Lok Sabha Election 2019: अरुण जेटली बोले- पहले चरण के मतदान में दिखा 'मोदी फैक्टर'
Lok Sabha Election 2019 वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को अपने फेसबुक ब्लॉग में लिखा कि कई राज्यों में बहुकोणीय मुकाबला रहा है जिससे सत्ताधारी भाजपा फायदे में है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। लोक सभा चुनाव 2019 के पहले चरण के मतदान में 'मोदी फैक्टर' साफ दिखा है। कई राज्यों में बहुकोणीय मुकाबला रहा है जिससे सत्ताधारी भाजपा फायदे में है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को अपने फेसबुक ब्लॉग में यह बात कही।
जेटली ने कहा कि वामदलों, तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस के बीच वाकयुद्ध बढ़ता जा रहा है। नेतृत्व के मुद्दे पर स्थिति उम्मीद से बदतर है। बसपा नेता मायावती और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने कांग्रेस अध्यक्ष को नीचा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। न कोई नेता है, न कोई गठबंधन है और न साझा कार्यक्रम या वास्तविक मुद्दा है। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि लोगों को इस विफल प्रचार पर कोई भरोसा नहीं है। यह अर्थहीन प्रचार है। जेटली ने कहा कि कई राज्यों में गठबंधन न होने से विपक्ष बिखरा हुआ है। ऐसी स्थिति में बहुकोणीय लड़ाई होने पर भाजपा फायदे में है।
जेटली ने यह ब्लॉग बृहस्पतिवार को लोक सभा चुनाव के पहले चरण में 18 राज्यों और दो संघ शासित प्रदेशों की 91 सीटों पर मतदान के दो दिन बाद लिखा है। जेटली ने कहा कि एक लोकप्रिय सरकार और बेहद लोकप्रिय प्रधानमंत्री को हराने के लिए काल्पनिक नहीं बल्कि वास्तविक मुद्दों की जरूरत होती है। विपक्ष ने बीते दो साल में ऐसे मुद्दे गढ़े जो वास्तव में थे ही नहीं। राफेल पर भी विपक्ष का झूठा प्रचार टिक नहीं पाया। इसी तरह उद्योगपतियों का कर्ज माफ करने का झूठ भी फैलाया गया। ईवीएम से छेड़छाड़ का भी बड़ा झूठ फैलाया गया।
जेटली ने कहा कि पहले चरण का मतदान हो चुका है। पूरे देश में मोदी फैक्टर स्पष्ट दिख रहा है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने भाजपा कार्यकर्ताओं को उन राज्यों में 50 प्रतिशत मत प्राप्त करने के लिए तैयारी करने को कहा है जहां भाजपा की सरकारें हैं। जेटली ने कहा कि विपक्ष हर दिन एक नया मुद्दा उछलता है।
विपक्ष ने पहले तो पुलवामा हमले को लेकर सवाल उठाये और अब विपक्षी नेता बालाकोट एयर स्ट्राइक पर भी सवाल उठा रहे हैं। एक दिन भाजपा को युद्ध-उन्मादी करार दिया जाता है तो अगले दिन उस पर पाकिस्तान समर्थक होने का आरोप लगाया जाता है। एक दिन भाजपा उम्मीदवार की शैक्षिक योग्यता का सवाल उठाया जाता है। यह भी याद नहीं रखा जाता कि राहुल गांधी के शैक्षिक रिकार्ड को देखा गया तो सवालों का जवाब देते नहीं बनेगा। आखिरकार वह मास्टर डिग्री के बगैर ही एमफिल की डिग्री लेने में कामयाब रहे। ऐसी स्थिति में विपक्ष आज क्या कह रहा है और पिछले कुछ महीनों में क्या कहा है, उसमें कोई तारतम्य नहीं है।