Lok Sabha Election 2019: पिछली बार 'दो-दो हाथ', इस बार 'हम साथ-साथ'
Lok Sabha Election 2019. एक-दूसरे के खिलाफ लडऩेवाले नेता इस बार दिखेंगे एक मंच पर। झारखंड में कई सीटों पर गठबंधन और दल-बदल कर पुराने दुश्मन इस बार दोस्त बन गए हैं।
रांची, [नीरज अम्बष्ठ]। Lok Sabha Election 2019: पिछले लोकसभा चुनाव में दुमका सीट पर दोनों पूर्व मुख्यमंत्री झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन और झाविमो प्रमुख बाबूलाल मरांडी आमने-सामने थे। दोनों एक-दूसरे के खिलाफ लड़े थे, जीत शिबू सोरेन की हुई थी। लेकिन इस लोकसभा चुनाव में दोनों एक-दूसरे के लिए प्रचार करेंगे, क्योंकि शिबू सोरेन इस बार भी वहां पार्टी के उम्मीदवार हैं और महागठबंधन के तहत बाबूलाल उनके लिए प्रचार करेंगे।
जी हां! इस लोकसभा चुनाव में इस तरह के कई मामले देखने को मिलेंगे। पिछले लोकसभा चुनाव में एक-दूसरे के दुश्मन रहे नेता इस बार एक-दूसरे के लिए प्रचार करेंगे। कई सीटों पर दलों के गठबंधन तथा दल-बदल के कारण ऐसी कई स्थितियां बनी हैं। रांची की ही बात करते हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी सुबोधकांत सहाय के विरुद्ध तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर बंधु तिर्की ने चुनाव लड़ा था। अब बंधु झाविमो के महासचिव हैं और महागठबंधन के तहत सुबोधकांत के समर्थन में प्रचार करेंगे।
बात सिंहभूम की करते हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में झाविमो के टिकट पर दशरथ गगरई तथा जय भारत समानता पार्टी के टिकट पर गीता कोड़ा एक-दूसरे के विरुद्ध चुनाव लड़े। इस बार दशरथ जहां झामुमो के विधायक हैं वहीं विधायक गीता कोड़ा कांग्रेस में शामिल हो गई हैं। कांग्रेस ने इस बार गीता कोड़ा को टिकट दिया है, जिनके लिए दशरथ गगरई प्रचार करेंगे। इसी तरह, पिछले चुनाव में हजारीबाग में जयंत सिन्हा के अलावा झाविमो के टिकट पर चाणक्या आइएएस एकेडमी के अरुण कुमार मिश्रा भी चुनाव लड़े थे। अब मिश्रा भाजपा में शामिल हो गए हैं जो जयंत सिन्हा के लिए प्रचार करेंगे।
... तो अन्नपूर्णा के लिए नीरा करेंगी प्रचार
वर्ष 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में अन्नपूर्णा देवी और नीरा यादव में जबर्दस्त टक्कर हुई थी। अन्नपूर्णा उस समय राजद में थीं अब भाजपा में आ गई हैं। संभावना के अनुसार उन्हें टिकट मिल जाता है तो इस चुनाव में दोनों महिला नेत्री एक साथ मंच पर दिखेंगी।
खतरा भितरघात का भी
पुराने दुश्मन रहे नेता भले ही दल-बदल कर या गठबंधन के कारण 'साथ-साथÓ की स्थिति में आ गए हैं, लेकिन खतरा भितरघात का भी है। कई नेता ऐसा कर सकते हैं। कुछ नेता तो अपना टिकट कटने पर काफी नाराज हैं। ये साथ-साथ होते हुए भी भितरघात कर सकते हैं। पिछले चुनाव में कांग्रेस के फुरकान अंसारी और झाविमो के प्रदीप यादव गोड्डा सीट पर एक-दूसरे के खिलाफ लड़े थे। भले ही दोनों हार गए। इस बार महागठबंधन में प्रदीप यादव टिकट पाने में सफल हो गए। इसे लेकर फुरकान नाराज हैं। अब अब देखना है कि गोड्डा में फुरकान प्रदीप यादव के लिए प्रचार करते हैं या फिर भितरघात।