Bhagalpur LS Seat : वर्ष 1984 में अंतिम बार भागलपुर से जीती थी कांग्रेस
भागवत झा आजाद के समय कांग्रेस का स्वर्णिम काल था जब भागलपुर से कांग्रेस 1962 67 71 80 व 1984 में जीती। आजाद भागलपुर से चुनाव जीतने के बाद केंद्र में कई विभागों के मंत्री रहे।
भागलपुर [राम प्रकाश गुप्ता]। भागलपुर में कांग्रेस पिछले 35 वर्षों से जीत का स्वाद नहीं चखी है। अंतिम बार भागलपुर से 1984 में कांग्रेस के टिकट पर पूर्व मुख्यमंत्री भागवत झा आजाद चुनाव जीते थे। 1989 में चुनचुन यादव से चुनाव हार के बाद कांग्रेस फिर भागलपुर में उठ नहीं सकी। आजाद की हार के बाद कांग्रेस एक बार 1996 में उठने की कोशिश की।
उस समय के केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री रामेश्वर ठाकुर जो राज्यसभा सदस्य थे, उनको भागलपुर से कांग्रेस का टिकट देकर लड़ाया गया, लेकिन सफलता नहीं मिली। 1996 में भी यह सीट चुनचुन यादव के पास चली गई। इसके 13 वर्षों के बाद 2009 में कांग्रेस ने कद्दावर नेता सदानंद सिंह को उतारा। भाजपा के शाहनवाज हुसैन 2009 का चुनाव जीत गए। कांग्रेस को मात्र 52121 मतों से संतोष करना पड़ा। इस चुनाव में एक और कांग्रेसी अजीत शर्मा बसपा से उम्मीदवार बन गए थे। उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी से अधिक 55387 मत मिले।
शाहनवाज हुसैन ने यह चुनाव करीब 56 हजार मतों से जीता था। 1989 के बाद कांग्रेस इस क्षेत्र में लगातार पिछड़ती गई। 2019 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी राजद की पिछलग्गू की भूमिका में आ गई है। बिहार में टिकट बंटवारे में भी राजद ने कांग्रेस की मांग पर सीट नहीं दी। चुनाव अभियान समिति के जिला अध्यक्ष मृत्युंजय सिंह गंगा कहते हैं कि तीन राज्यों में पार्टी की जीत के बाद देश में कांग्रेस की स्थिति में सुधार हुआ है। अगर पार्टी अपने बलबूते चुनाव लड़ती तो इस बार अच्छी सफलता मिलती। गंगा कहते हैं कि जनता के बीच कांग्रेस की साख बढ़ी है।
सीनियर कांग्रेसी डॉ. उग्र मोहन झा कहते हैं कि 1996 में रामेश्वर ठाकुर के चुनाव लडऩे के बाद हुए कई चुनावों में पार्टी ने गठबंधन धर्म की भूमिका निभाई थी। 2009 में पार्टी स्वतंत्र होकर चुनाव लड़ी थी। डॉ. झा का दावा है कि कांग्रेस के एमपी जब भागवत झा आजाद थे, तो उनका नाम जिले के कई विकास योजनाओं में शामिल हुआ था। कांग्रेस ने जो क्षेत्र का विकास किया, उसे आगे नहीं बढ़ाया जा सका। डॉ. झा का दावा है कि आजाद के समय कांग्रेस का स्वर्णिम काल था, जब भागलपुर सीट से कांग्रेस 1962, 1967, 1971, 1980 और 1984 में जीती। आजाद भागलपुर से ही चुनाव जीतने के बाद केंद्र में कई विभागों के मंत्री रहे थे।