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Lok Sabha Election 2019: पोलिंग एजेंटों के लिए गाइडलाइन तय, मॉक पोल में होंगे शामिल

Lok Sabha Election 2019. मतदान शुरू होने से एक घंटा पहले बूथ पर पहुंचने के निर्देश। बूथों पर नहीं ला जा सकेंगे मोबाइल कई अन्य बंदिशें भी पोलिंग एजेंटों पर रहेगी लागू।

By Alok ShahiEdited By: Published: Sun, 28 Apr 2019 08:05 AM (IST)Updated: Sun, 28 Apr 2019 08:05 AM (IST)
Lok Sabha Election 2019: पोलिंग एजेंटों के लिए गाइडलाइन तय, मॉक पोल में होंगे शामिल
Lok Sabha Election 2019: पोलिंग एजेंटों के लिए गाइडलाइन तय, मॉक पोल में होंगे शामिल

रांची, राज्य ब्यूरो। Lok Sabha Election 2019 निर्वाचन आयोग ने मतदान एजेंटों के लिए गाइडलाइन तय कर दी है। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी एल खियांग्ते ने सभी उम्मीदवारों से मतदान एजेंटों को मतदान शुरू होने से एक घंटा पहले बूथ पर पहुंचने के निर्देश देने का अनुरोध किया है ताकि वे मॉक पोल में भाग ले सकें। एजेंट मतदान शुरू होने के पहले होनेवाले मॉक पोल में भाग लेकर यह देखेंगे कि ईवीएम ठीक से काम कर रही है या नहीं। खियांग्‍ते के अनुसार, किसी मतदान एजेंट की नियुक्ति उम्मीदवार द्वारा स्वयं की जाती है।

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मतदान एजेंट को मतदान केंद्रों के 100 मीटर की परिधि तथा बूथ के अंदर सेल्यूलर फोन, कोर्डलेस फोन या वायरलेस सेट आदि के इस्तेमाल की अनुमति नहीं होगी। बूथों पर सिर्फ आब्जर्वर, माइक्रो आब्जर्वर, पीठासीन पदाधिकारी, सेक्टर ऑफिसर और सुरक्षाकर्मी ही अपने मोबाइल फोन साइलेंट मोड में ले जा सकेंगे।  मतदान केंद्र के भीतर अथवा उससे 100 मीटर के दायरे में मतदान एजेंट कोई ऐसा बैज नहीं लगाएगा जिसपर किसी दल के नेता के फोटो हों अथवा किसी दल का झंडा अथवा चुनाव चिह्न हो। एजेंट एक छोटा बैज लगा सकता है, जिसपर उम्मीदवार का नाम प्रदर्शित होगा।

कौन हो सकता है मतदान एजेंट

किसी व्यक्ति को मतदान एजेंट के रूप में नियुक्त करने के लिए कोई अर्हता निर्धारित नहीं की गई है। लेकिन यह उम्मीदवारों के हित में है कि वह किसी ऐसे व्यक्ति को इस कार्य के लिए नियुक्त करे जो वयस्क एवं परिपक्व हो। एजेंट के पास ईपीआइसी या ईआरओ/बीएलओ द्वारा जारी फोटो मतदाता पर्ची अथवा आयोग द्वारा तय कोई वैकल्पिक पहचान पत्र अनिवार्य रूप से होना चाहिए।

सरकारी सेवक नहीं बन सकता एजेंट, बना तो मिलेगी सजा 

कोई सरकारी सेवक एजेंट के रूप में काम नहीं कर सकता। यदि वह ऐसा करता है तो उसे एक साल का कारावास जिसे 3 माह तक बढ़ाया जा सकता है अथवा जुर्माना या दोनों सजा हो सकती है। ऐसे किसी व्यक्ति जिसे राज्य सरकार सुरक्षा कवर प्रदान करती है वह भी एजेंट नहीं बन सकता।

क्या-क्या काम हैं एजेंट के

- अपने उम्मीदवार के हितों की रक्षा करना, मतदान के दिन बूथ पर मॉक पोल में शामिल होना तथा यह देखना कि ईवीएम ठीक ढंग से काम कर रही है या नहीं।

- पीठासीन पदाधिकारियों को उन व्यक्तियों को चुनौती देकर जिनकी वास्तविक वोटर के रुप में पहचान संदेहास्पद हो, मतदान करने से रोकना।

-वोटिंग मशीन को मतदान के पूर्व, मतदान के दौरान तथा उसके बाद  समुचित रुप से सुरक्षित एवं सीलबंद रखने में सहायता करना।

-यह सुनिश्चित करना कि मतदान से संबंधित सभी निर्वाचन अभिलेख मतदान की समाप्ति के बाद समुचित रुप से सीलबंद हो।

-यह सुनिश्चित करना कि बूथों पर इस्तेमाल की जा रही कंट्रोल यूनिट, बैलेट यूनिट तथा ईवीएम के ड्राप बॉक्स वाले प्रिंटर रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा दिए गए ब्योरे के अनुरूप हों।


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