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Lok Sabha Election 2019 : झामुमो ने पहली बार उतारा यहां आदिवासी उम्मीदवार

Lok Sabha Election 2019. झारखंड मुक्ति मोर्चा ने चंपई सोरेन को उतारकर सबको चौंका दिया। अब तक कुणाल षाड़ंगी फिर आस्तिक महतो और अरविंद सिंह की चर्चा चल रही थी।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Thu, 04 Apr 2019 10:51 AM (IST)Updated: Thu, 04 Apr 2019 01:31 PM (IST)
Lok  Sabha Election 2019 :   झामुमो ने पहली बार उतारा यहां आदिवासी उम्मीदवार
Lok Sabha Election 2019 : झामुमो ने पहली बार उतारा यहां आदिवासी उम्मीदवार

जमशेदपुर,वीरेंद्र ओझा। जमशेदपुर लोकसभा क्षेत्र से विपक्षी महागठबंधन के उम्मीदवार को लेकर चल रहे उहापोह पर विराम लग गया। झारखंड मुक्ति मोर्चा ने चंपई सोरेन को उतारकर सबको चौंका दिया। अब तक यहां से बहरागोड़ा के विधायक कुणाल षाड़ंगी, फिर आस्तिक महतो और ईचागढ़ के पूर्व विधायक अरविंद सिंह की चर्चा चल रही थी। चौंकाने वाली बात यह है कि झामुमो ने पहली बार जमशेदपुर सीट से किसी आदिवासी को उम्मीदवार बनाया है।

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चंपई सोरेन जमशेदपुर से उम्मीदवार हो सकते हैं, इसकी चर्चा दो दिन पहले तक नहीं थी। पहले यह बात सामने आयी थी कि चंपई अरविंद सिंह को जमशेदपुर से चुनाव लड़ाना चाहते हैं। किसी को यह भनक भी नहीं लगी कि चंपई खुद चुनाव लड़ सकते हैं। आदिवासियों की पार्टी के रूप में पहचान रखने वाली झामुमो ने अब तक महतो को ही उम्मीदवार बनाया है। हालांकि, चंपई का आवास और उनकी कर्मभूमि जमशेदपुर के पास है, लेकिन शहरी मतदाताओं का कितना समर्थन मिलेगा, यह देखने वाली बात होगी।

2005 से हैं विधायक

चंपई 2005 से ही सरायकेला विधानसभा क्षेत्र के विधायक चुने जा रहे हैं। उस क्षेत्र में उनकी खासी लोकप्रियता भी है। पुराने कांग्रेसी मंगल प्रसाद बताते हैं कि जमशेदपुर लोकसभा क्षेत्र का आधे से अधिक हिस्सा शहरी मतदाता का है, लिहाजा यहां से अब तक झामुमो या कांग्रेस ने कभी आदिवासी को उम्मीदवार नहीं बनाया। भाजपा ने भी सिर्फ एक बार 2009 में पूर्व मुख्यमंत्री अजरुन मुंडा को उम्मीदवार बनाया था। इसकी वजह है कि कोल्हान प्रमंडल में दो ही लोकसभा सीट है, जिसमें सिंहभूम सीट आदिवासी के लिए आरक्षित है। ऐसे में हर दल ने यहां गैर आदिवासी को ही उम्मीदवार बनाया है। यहां से प्रदीप बलमुचू ने भी एक-दो बार संसदीय चुनाव लड़ने का प्रयास किया था, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिल सका।

रामकृष्ण मिशन स्कूल के छात्र रहे हैं चंपई

चंपई सोरेन का आवास सरायकेला-खरसावां जिले के गम्हरिया प्रखंड स्थित जिलिंगगोड़ा में पड़ता है, लेकिन उनकी स्कूली शिक्षा जमशेदपुर में ही हुई। चंपई ने दसवीं तक की पढ़ाई बिष्टुपुर स्थित रामकृष्ण मिशन हाईस्कूल से की। साकची स्थित झामुमो कार्यालय में उनका अक्सर उठना-बैठना लगा रहता है। पार्टी में केंद्रीय उपाध्यक्ष रहने की वजह से जमशेदपुर की सांगठनिक गतिविधियों में उनका खासा प्रभाव रहता है।

सर्वाधिक लोकप्रिय चेहरा झामुमो ने उतारा : कुणाल

झारखंड टाइगर के नाम से मशहूर विधायक चंपई सोरेन को महागठबंधन प्रत्याशी के रूप में झामुमो द्वारा टिकट दिए जाने पर पार्टी के केंद्रीय प्रवक्ता सह बहरागोड़ा के विधायक कुणाल षाड़ंगी ने इसका स्वागत किया है। कहा कि सर्वाधिक लोकप्रिय चेहरा को झामुमो ने उतारा है। चंपई दा ने मजदूरों की लड़ाई हमेशा लड़ी है। उन्हें हर हाल में सभी वगरें और दलों का पूर्ण समर्थन प्राप्त होगा। कुड़मी समीकरण के बारे में कहा कि जात-पात और धर्म की राजनीति का सहारा भाजपा लेती है। भाजपा और मोदी सरकार विकास के मुद्दे से भटक गई है। इस कारण वह जात-पात की राजनीति कर रही है। हम विकास व स्थानीय समस्याओं को लेकर ही चुनाव लड़ेंगे।

पहली बार बागी बनकर चुनाव जीते थे चंपई

सरायकेला के विधायक चंपई सोरेन पांच बार सरायकेला से विधायक बन चुके हैं। उन्होंने झामुमो का दामन कभी नहीं छोड़ा, लेकिन पहला चुनाव बागी बनकर जीता था। सिंहभूम क्षेत्र से 1992 में सांसद चुने जाने के बाद कृष्णा मार्डी की सीट खाली हो गई थी। इसके बाद चंपई ने सरायकेला के लिए झामुमो से टिकट मांगा, पार्टी ने कृष्णा मार्डी की पत्नी मोती मार्डी को टिकट दे दिया। इस पर चंपई निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़े और जीते। इसके बाद 1995 के चुनाव में झामुमो ने उन्हें टिकट दिया और दोबारा विधायक बने।

अब संगठन के लिए काम करूंगा : आस्तिक

जमशेदपुर लोकसभा क्षेत्र से झामुमो से चंपई सोरेन को उम्मीदवार बनाने से आस्तिक महतो के समर्थकों को निराशा हुई है। अब तक संभावित उम्मीदवार के रूप में चर्चा बटोर चुके आस्तिक भी कहते हैं कि उन्हें पार्टी से आश्वासन मिला था, लेकिन राजनीति में ऐसा होता रहता है। चंपई सोरेन निश्चित रूप से अनुभवी नेता हैं। पार्टी ने सोच-समझकर ही उन्हें उम्मीदवार बनाया होगा। वे अब संगठन के लिए काम करेंगे। चंपई दा को जिताने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।


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