जाट बहुल क्षेत्र है Sangrur Lok Sabha constituency, जींद रियासत की राजधानी रहा है यह क्षेत्र
संगरूर लोकसभा क्षेत्र की पहचान शहीद ऊधम सिंह से है। संगरूर जींद रियासत की राजधानी रहा है। इसे जयपुर शहर की तर्ज पर बसाया गया था।
जेएनएन, संगरूर। संगरूर लोकसभा क्षेत्र की पहचान शहीद ऊधम सिंह से है। संगरूर जींद रियासत की राजधानी रहा है। इसे जयपुर शहर की तर्ज पर बसाया गया था। जाट बहुल होने के कारण इसे पंजाब की जाटलैंड भी कहा जाता है। 1952 में कांग्रेस के उम्मीदवार सरदार रणजीत सिंह पहले सांसद बने। इसके बाद शिअद, शिअद (मान) व कांग्रेस के हाथ ही हलके की कमान रही। एक बार यह सीट सीपीआइ के खाते में भी रही।
वर्ष 2014 में यहां की सियासत में बड़ा फेरबदल हुआ और आम आदमी पार्टी के भगवंत मान सांसद बने। कांग्रेस उम्मीदवार विजयइंद्र सिंगला की जमानत जब्त हुई। विधानसभा चुनाव में इसका असर देखने को मिला। लोकसभा हलका संगरूर में बरनाला जिले के विधानसभा हलके भी शामिल हैं। बरनाला की सभी विस सीटें आप के पास हैं। जिले के अधिकतर लोग कृषि व्यवसाय से जुड़े हैं।
विधानसभा हलकों में किसका दबदबा
- संगरूर- कांग्रेस
- धूरी- कांग्रेस
- मालेरकटला- कांग्रेस
- लहरागागाा- शिअद (ब)
- सुनाम- आप
- दिड़बा- आप
- बरनाला- आप
- महलकलां- आप
- भदौड़- आप
डेमोग्राफी
- कुल वोटर्स: 14,24,743
- पुरुष वोटर्स: 7,58,197
- महिला वोटर्स: 6,66,546
पांच साल में बड़ी घटना
वर्ष 2016 में दिड़बा के सुलरघराट इलाके में पटाखों के गोदाम में धमाका हुआ था, जिसमें पांच लोगों की मौत हो गई थी।
विकास का हाल
पिछले पांच साल में काफी काम हुआ है। सांसद भगवंत मान ने 22 करोड़ रुपये की राशि खर्च की है। उनके गोद लिए गए गांव बेनड़ा में सिर्फ स्कूल को ही 15 लाख रुपये की ग्रांट मिली है। स्कूलों, ग्रामीण बस स्टैंड, सोलर लाइट्स ज्यादा काम हुआ है, अन्य सुविधाओं की कमी है।
स्थानीय मुद्दे
- रोजगार के साधन नहीं।
- सेहत सेवाओं की खराब हालत।
- शिक्षा के विस्तार की धीमी रफ्तार।