Lok Sabha Election 2019 : मौसम और राजनीतिक गर्मी के बीच खामोश जमशेदपुर
Lok Sabha Election 2019. प्रचार के लिए सिर्फ ग्यारह दिन बचे हैं लेकिन गांव से लेकर शहर तक खामोशी है। न नारों की गूंज सुनाई दे रही है और न ही शोर-शराबा।
आई मुकेश, जमशेदपुर । Lok Sabha Election 2019 लोकसभा में जमशेदपुर से प्रतिनिधि चुनने के लिए 12 मई को वोट डाले जाएंगे। इससे पहले 10 मई को शाम चार बजे से चुनावी शोर थम जाएगा। यानी प्रचार के लिए सिर्फ ग्यारह दिन बचे हैं, लेकिन गांव से लेकर शहर तक खामोशी है। न नारों की गूंज सुनाई दे रही है और न ही शोर-शराबा। माहौल कहीं से चुनावी नहीं है।
शिबू सोरेन और हेमंत सोरेन को छोड़ दे तो अब तक जमशेदपुर में किसी बड़े नेता का कार्यक्रम तय नहीं है। अलबत्ता चाईबासा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पांच मई को सभा है, जिसकी तैयारी का असर यहां भी दिख रहा है। मोदी की चाईबासा में सभा का यहां कितना असर पड़ेगा, यह तो समय के गर्भ में है। वैसे बहरागोड़ा से लेकर जमशेदपुर तक और पटमदा से पोटका तक चौक-चौराहे तक ही चुनाव की चर्चा है, लेकिन वह चर्चा मोदी और राहुल के इर्द-गिर्द ही है। भाजपा प्रत्याशी विद्युत वरण महतो और झामुमो प्रत्याशी चंपई सोरेन की चर्चा होते ही बात 'देखबो, जाय होक, वोट तो दितेइ होबेÓ यानी 'देखा जाएगा, जो हो वोट तो देना ही होगाÓ पर खत्म हो जाती है।
टोलियों में बंटा जनसंपर्क
भले ही धूम-धड़ाकेदार जुलूस और कानफोड़ू भोंपू की आवाज मौन है तो ऐसा नहीं है कि चुनाव लडऩे वाले चुप बैठे हैं। भाजपा और झामुमो, दोनों के ही समर्थक और समर्थक दलों के कार्यकर्ता टोलियों में बंटकर जनसंपर्क कर रहे हैं। ये टोलियां लोगों को चापाकल, पेंशन, लाल कार्ड से लेकर तरह-तरह की सुविधा दिलाने की बात करती हैं। साथ ही 'अपने लोगÓ की याद भी जरूर दिलाती है। अपने लोग की परिभाषा भी घर की चौखट बदलते ही बदल जाती है। कहीं यह जाति में सिमट जाती है तो कहीं व्यापक तौर पर 'झारखंडीÓ हो जाती है।
दिख रही आयोग की सख्ती
प्रचार के पुराने आक्रामक तरीकों पर चुनाव आयोग की सख्ती का असर दिख रहा है। छोटी जनसभा, जुलूस, प्रचार गाडिय़ों के प्रयोग जैसी छोटी-छोटी चीजों के लिए भी जिला प्रशासन से अनुमति लेने की बाध्यता के कारण भी प्रचार में सुस्ती है। बैनर-पोस्टर टांगने के लिए मकान मालिक की अनुमति और उसकी सूचना थाने को देने जैसे नियम के कारण पार्टी कार्यकर्ता ऊहापोह में हैं।
चढ़ते पारे ने भी डाला असर
पिछले कुछ दिनों से लगातार पारा चढ़ रहा है, जिसका असर प्रचार पर दिख रहा है। दिन ढलने के बाद रात सात बजे के बाद ही जनसंपर्क शुरू होता है और दस बजे तक जनता सो चुकी होती है। ऐसे बामुश्किल डेढ़ से दो घंटे का समय ही बचता है।
डिजिटल फोरम पर है तेजी
धरातल पर भले ही प्रचार नहीं दिख रहा है, लेकिन सोशल मीडिया यानी डिजिटल फोरम पर हर पार्टी के लोग रेस हैं, लेकिन वहां भी ज्यादा स्पेस मोदी और राहुल ही ले रहे हैं। वाट्सएप, फेसबुक और ट्विटर पर चल रहे मैसेज से साफ है कि वहां स्थानीयता का गुंजाइश काफी कम है। उस फोरम पर मोदी बनाम राहुल की ही लड़ाई है। वैसे थोड़ी ही सही विद्युत-चंपई भी जगह निकाल ले रहे हैं।