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कांग्रेस नेताओं ने एकता दिखाई होती तो बदला हुआ होता बिलासपुर का नक्शा: रामलाल ठाकुर

Lok Sabha Election 2019 वर्ष 2004 रामलाल ठाकुर बिलासपुर में कांग्रेस नेताओं की दगाबाजी के कारण सुरेश चंदेल के हाथों शिकस्त खा गए थे।

By BabitaEdited By: Published: Tue, 09 Apr 2019 09:28 AM (IST)Updated: Tue, 09 Apr 2019 09:28 AM (IST)
कांग्रेस नेताओं ने एकता दिखाई होती तो बदला हुआ होता बिलासपुर का नक्शा: रामलाल ठाकुर
कांग्रेस नेताओं ने एकता दिखाई होती तो बदला हुआ होता बिलासपुर का नक्शा: रामलाल ठाकुर

बिलासपुर, जेएनएन। वर्ष 2004 में जब प्रदेश में वीरभद्र्र सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार सत्ता में थी और पार्टी के वरिष्ठ नेता रामलाल ठाकुर मंत्री थे तो लोकसभा चुनाव में उनके सामने भाजपा के वरिष्ठ नेता सुरेश चंदेल थे। मेजर जनरल विक्रम सिंह की जीत के बाद हुई हार ने कांग्रेस की हार का आंकड़ा इतना ज्यादा बढ़ा दिया था कि इसे सिकोड़ना बहुत मुश्किल था। लेकिन रामलाल ने हार का आंकड़ा डेढ़ हजार तक ला दिया था। हमीरपुर, ऊना व दूसरे क्षेत्रों से जीत का परचम लहराते हुए रामलाल को अंत में बिलासपुर में कांग्रेस की आंतरिक लड़ाई ने जीत दर्ज करवाने से रोक दिया था। वह बिलासपुर में कांग्रेस नेताओं की दगाबाजी के कारण सुरेश चंदेल के हाथों शिकस्त खा गए थे। रामलाल ठाकुर कहते हैं बिलासपुर जिले में कांग्रेस नेताओं ने एकता दिखाई होती तो वह नहीं हारते और आज बिलासपुर का नक्शा बदला होता।

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2004 तक भाजपा के संगठन महामंत्री से प्रदेश अध्यक्ष तक रहे सुरेश चंदेल हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से दो बार सांसद बन गए थे। वह भाजपा के ऐसे नेता रहे जिन्होंने पार्टी की जीत का अंतर कांग्रेस के मुकाबले में दो बार इतना बढ़ा दिया था कि पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल भी उस मार्जन से चुनाव नहीं जीते थे। उनके तीसरी बार चुनाव लड़ने के दौरान प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी। ऐसे में उनके लिए जीत के आंकड़े को बनाए रखना बड़ी चुनौती थी। कांग्रेस ने उनके सामने दोबारा रामलाल ठाकुर को खड़ा किया। रामलाल ने इस चुनाव में संसदीय हलके के बाकी क्षेत्रों से इतनी भारी लीड ली थी कि अंतिम दौर की गिनती से पहले सभी को लग रहा था वह जीत जाएंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। बिलासपुर में वर्तमान में कांग्रेस के भीतर के समीकरण जिस तरह से बिगडे़ हुए दिख रहे हैं उसी तरह से उस दौर में भी थे।

उस समय जिले में पार्टी नेताओं में खेमेबंदी चरम पर थी जिसका नुकसान यह हुआ कि रामलाल को अपने ही जिले से डेढ़ हजार के मार्जन से हार का मुंह देखना पड़ा था। उस दौरान कांग्रेस के कुछ नेताओं ने रामलाल के खिलाफ अभियान छेड़ा था और पार्टी के झंडे तक फूंक दिए थे।

सूत्रों का कहना है कांग्रेस में हुए भितरघात को रामलाल अभी तक नहीं भूले हैं। करीब दो माह पहले कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष के दौरे के दौरान भी रामलाल का दर्द मंच पर छलक गया था। उन्होंने कहा उस दौरान कुछ नेताओं ने दगेबाजी न की होती तो आज हालात कुछ और होते।


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