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LOk Sabha Polls 2019 : सिंहभूम सीट पर बोलती रही है हो नेताओं की तूती

Lok Sabha Polls 2019. 1991 में संताल जनजाति के कृष्णा मार्डी को छोड़कर हमेशा सिंहभूम सीट से हो प्रत्याशी ही जीता। इतना ही नहीं करीबी प्रतिद्वंदी भी हो समुदाय का ही रहा।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Tue, 19 Mar 2019 09:07 AM (IST)Updated: Tue, 19 Mar 2019 09:07 AM (IST)
LOk Sabha Polls 2019 : सिंहभूम सीट पर बोलती रही है हो नेताओं की तूती
LOk Sabha Polls 2019 : सिंहभूम सीट पर बोलती रही है हो नेताओं की तूती

जमशेदपुर [विश्वजीत भट्ट]। सिंहभूम संसदीय क्षेत्र में 1957 से लेकर अब तक हुए चुनावों में हो जनजाति की तूती बोलती रही है। 1991 में संताल जनजाति के कृष्णा मार्डी को छोड़कर हमेशा हो प्रत्याशी ही जीता। इतना ही नहीं करीबी प्रतिद्वंदी भी हो समुदाय का ही रहा। झामुमो को कृष्णा मार्डी ने कांग्रेस के विजय सिंह सोय को मात दी थी, जो हो ही थे। 

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65 फीसद आदिवासी, उनमें तीन-चौथाई हो : सिंहभूम संसदीय क्षेत्र में आदिवासियों की तादाद करीबन 60 से 65 फीसद है। इसमें हो आदिवासियों की तादाद सर्वाधिक 70 से 75 फीसद बताई जाती है। लगभग एक चौथाई आबादी संथाल, उरांव, मुंडा समेत अन्य जनजाति है। विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो सिर्फ सरायकेला विस क्षेत्र में ही संताल की बहुलता है। 

सिंहभूम की पहचान हो आदिवासियों से : सिंहभूम की पहचान ही हो आदिवासियों से है। अंग्रेजों ने इन्हें लड़ाका कोल की संज्ञा दी थी। हो आदिवासियों की बहुलता के कारण इसे 'होलैंडÓ भी कहा जाता है। यहां किसी प्रमुख दल ने कभी गैर हो पर दांव लगाया भी, तो वह बेकार गया है। वर्ष 2004 में बतौर आजसू प्रत्याशी सुखराम उरांव लोकसभा चुनाव लड़े, लेकिन तीसरे स्थान पर रहे। शुरुआत में यह सीट झारखंड पार्टी का गढ़ थी, लेकिन समय के साथ यहां कांग्रेस ने पांव पसारा और उसके प्रत्याशी कई बार जीते। इस सीट से झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा भी निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव जीत चुके हैं। फिलहाल इस सीट से भाजपा के लक्ष्मण गिलुवा सांसद हैं। वे भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं।

अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है सीट

बागुन सुम्बरूई की फाइल फोटो।

सरायकेला खरसावां से लेकर पश्चिमी सिंहभूम जिले तक फैली यह सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। इसके अंतर्गत आने वाली सभी छह विधानसभा सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। इसके अंतर्गत सरायकेला, चाईबासा, मंझगांव, जगन्नाथपुर, मनोहरपुर और चक्रधरपुर विधानसभा क्षेत्र आते हैं। 

अब तक जीते हो नेता व समुदाय

  • 1957 में शंभु चरण गोडसरा : हो 
  • 1962 में हरी चरण सोय : हो 
  • 1967 में कोलई बिरुआ : हो 
  • 1971 में मोरन सिंह पुर्ती : हो 
  • 1977 में बागुन संबरूई : हो
  • 1980 में बागुन संबरूई : हो
  • 1984 और 1989 में भी बागुन सुंबरूई : हो
  • 1991 में कृष्णा मार्डी : संताल
  • 1996 में चित्रसेन सिंकू : हो 
  • 1998 में विजय सिंह सोय : हो
  • 1999 में लक्ष्मण गिलुवा : हो
  • 2004 में बागुन सुंबरूई : हो
  • 2009 में मधु कोड़ा : हो
  • 2014 में लक्ष्मण गिलुवा : हो  

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