हार्दिक पटेल नहीं लड़ पाएंगे लोकसभा चुनाव, कहा- कानून सिर्फ मेरे लिए ही क्यों
Hardik Patel गुजरात उच्च न्यायालय ने हार्दिक पटेल की याचिका को खारिज कर दिया जिसमें दंगा मामले में उनकी सजा को निलंबित करने की मांग की गई थी।
अहमदाबाद, शत्रुघ्न शर्मा। कांग्रेस नेता हार्दिक पटेल की लोकसभा चुनाव लड़ने की उम्मीदों पर पानी फिर गया है। कोर्ट ने उनकी सजा को निलंबित करने की याचिका को रद कर दिया है।
गुजरात उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कांग्रेस नेता हार्दिक पटेल की याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें मेहसाणा में 2015 के एक दंगा मामले में उनकी सजा को निलंबित करने की मांग की गई थी। जनप्रतिनिधि अधिनियम, 1951 के अनुसार, हार्दिक पटेल अपनी सजा के कारण आगामी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।
पाटीदार नेता हार्दिक पटेल के लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारियों को हाईकोर्ट ने तगड़ा झटका दिया है। बार-बार कानून को धता बताने वाले हार्दिक लॉ मेकर कैसे बन सकते हैं। हार्दिक महिलाओं का सम्मान नहीं करते और उनकी आपराधिक छवि को देखते हुए चुनाव लड़ने की इजाजत नहीं देना चाहिए। गुजरात सरकार के महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी की इन्हीं दलीलों को रखते हुए न्यायाधीश एजी उरेजी ने हार्दिक की याचिका को खारिज कर दिया।
पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति के संयोजक हार्दिक पटेल ने गुजरात हाईकोर्ट के समक्ष याचिका दाखिल कर विसनगर सेशन कोर्ट की ओर से उन्हें सुनाई गई सजा को स्थगित करने की मांग की थी। भाजपा विधायक ऋषिकेश पटेल के कार्यालय में तोड़फोड़ व आगजनी के मामले में हार्दिक व उनके साथियों को दो साल से अधिक की सजा सुनाई गई थी।
हार्दिक के वकील आईएच सैयद व रफीक लोखंडवाला ने न्यायाधीश उरेजी की अदालत में कहा कि हार्दिक लोकसभा चुनाव लड़कर समाज का काम करना चाहते हैं, लेकिन अदालत की सजा के चलते कानूनन इसके लिए अयोग्य हैं। इसलिए निचली अदालत की सजा को स्थगित किया जाए।
राज्य सरकार के महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी ने अदालत को बताया कि आंदोलन व उसके बाद हार्दिक ने इतनी बार कानून तोड़ा है तो अब वह लॉ मेकर कैसे बन सकता है। हार्दिक पर बीस से अधिक एफआइआर दर्ज हैं, उस पर राजद्रोह का मामला चल रहा है। हार्दिक की छवि आपराधिक है और पिछला रिकार्ड ठीक नहीं है। महिलाओं का सम्मान नहीं करते हैं। त्रिवेदी की इन्हीं सब दलीलों को हाईकोर्ट ने मान्य रखते हुए हार्दिक की सजा स्थगित करने की अर्जी को खारिज कर दिया। हाईकोर्ट के फैसले को हार्दिक उच्चतम न्यायालय में चुनौती देंगे। गौरतलब है कि गुजरात में लोकसभा चुनाव के लिए नामांकन की अंतिम तिथि चार अप्रैल है, इससे पहले फैसला नहीं हुआ तो हार्दिक चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।
कानून सिर्फ मेरे लिए ही क्यों: हार्दिक पटेल
हाईकोर्ट से याचिका खारिज किए जाने के बाद पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने कहा कि अदालत के फैसले का स्वागत है। देश में इतने अपराधी नेता चुनाव लड़ रहे हैं फिर कानून सिर्फ मेरे लिए ही क्यों है। हार्दिक ने कहा मैं डरने वाला नहीं हूं, सत्य, अहिंसा व ईमानदारी से जनता की आवाज उठाते रहेंगे। हार्दिक ने कहा कि देशभर में कांग्रेस का प्रचार करके जनता की सेवा करने वाली कांग्रेस सरकार बनाएंगे। भाजपा संविधान विरोधी काम कर रही है, सत्ता के सामने लड़ने का यह परिणाम है। भाजपा के सामने नहीं झुकने वाला नहीं हूं।
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 8-3 के अनुसार दो साल से अधिक की सजा पाने वाला व्यक्ति चुनाव नहीं लड़ सकता। हार्दिक को विसनगर कोर्ट से मिली सजा के बाद जमानत तो मिल गई, लेकिन उनकी सजा यथावत है। हार्दिक इस सजा को स्थगित कराना चाहते थे, ताकि जनप्रतिनिधित्व कानून से बचकर चुनाव लड़ सकें।
गौरतलब है कि हाल ही लीली थॉमस बनाम भारत सरकार के मामले में उच्चतम न्यायालय के एक फैसले के आधार पर ही कांग्रेस के विधायक भगाभाई बारड को गुजरात विधानसभाा के अध्यक्ष राजेंद्र त्रिवेदी ने सदन की सदस्यता से निलंबित कर दिया था। इस मामले में बारड ने भी हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए निलंबन को चुनौती दी, लेकिन कोई राहत नहीं मिली।
दंगा भड़काने के आरोप में साल 2018 में कोर्ट ने पाटीदार नेता हार्दिक पटेल को दोषी ठहराते हुए दो साल की जेल की सजा सुनाई थी। दंगे 23 जुलाई, 2015 को हुए थे, जब उनके नेतृत्व में पाटीदारों ने पहली बार रैली की थी। गुजरात हाईकोर्ट के न्यायाधीश आरपी धोलारिया ने पाटीदार समुदाय के नेता हार्दिक पटेल की उस अर्जी पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया, जिसमें उन्होंने 2015 के दंगा मामले में अपनी दोषसिद्धि पर रोक लगाने की मांग की है।
हार्दिक पटेल गत दिनों गांधीनगर में आयोजित कांग्रेस की रैली में पार्टी में शामिल हुए थे। इस दौरान उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जताई थी। न्यायमूर्ति आरपी धोलारिया ने गत बुधवार को खुद को सुनवाई से अलग कर लिया था। गत वर्ष जुलाई में एक सत्र अदालत ने हार्दिक पटेल को 2015 में विसनगर में दंगा और आगजनी के लिए दो वर्ष की सजा सुनाई थी, जब पाटीदार आरक्षण आंदोलन राज्य में गति पकड़ रहा था।
मेहसाणा जिले के विसनगर की अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने की वजह से हार्दिक पटेल चुनाव लड़ने के अयोग्य हैं। हार्दिक पटेल ने इस मामले में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने गत वर्ष अगस्त में हार्दिक पटेल को जमानत देने के साथ ही उनकी दो वर्ष की सजा निलंबित कर दी थी, लेकिन उनकी दोषसिद्धि पर रोक नहीं लगाई थी।
पाटीदार आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल मंगलवार को कांग्रेस में शामिल हो गए। इस मौके पर अपने फैसले को सही ठहराते हुए उन्होंने कहा कि अब वह गुजरात के छह करोड़ लोगों के लिए बेहतर तरीके से काम कर सकते हैं। राहुल गांधी तथा संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी की मौजूदगी में कांग्रेस में शामिल हुए हार्दिक ने गांधीनगर के निकट अदलाज गांव में आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए लोगों से पूछा- क्या उनका फैसला सही है, इस पर लोगों ने 'हां' में जवाब दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि पुलवामा हमले के कारण जहां कांग्रेस ने 28 फरवरी को होने वाली अपनी कार्यसमिति की बैठक टाल दी, वहीं प्रधानमंत्री देशभर में रैलियों को संबोधित करने में व्यस्त थे। हार्दिक ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की प्रशंसा करते हुए उन्हें ईमानदार बताया। उन्होंने कहा कि लोग पूछते हैं कि मैंने कांग्रेस और राहुल गांधी को क्यों चुना। मैंने राहुल गांधी को इसलिए चुना, क्योंकि वह ईमानदार हैं। वह तानाशाह की तरह काम करने में विश्वास नहीं रखते।