LokSabha Election 2019: राजमहल में गुटबाजी से निपटना सभी दलों के सामने बड़ी चुनाैती
भौगोलिक विषमताओं के घिरे राजमहल लोकसभा क्षेत्र में साहिबगंज व पाकुड़ जिले के 15 प्रखंड के अलावा गोड्डा जिले का दो और दुमका जिले का एक प्रखंड आता है।
साहिबगंज, धनंजय मिश्र। राजमहल लोकसभा चुनाव को लेकर जहां प्रत्याशियों की ओर से सरगर्मी बढ़ा दी गई है। वहीं विभिन्न राजनैतिक दलों में गुटबाजी से प्रत्याशियों की चुनाव में बेचैनी बढऩे वाली है। भाजपा, झामुमो और झाविमो सहित सभी दलों में गुटबाजी बढ़ती जा रही है। चुनाव के दाैरान सभी दलों और उनके प्रत्याशियों के सामने गुटबाजी एक बड़ी चुनाैती होगी।
भौगोलिक विषमताओं के घिरे राजमहल लोकसभा क्षेत्र में साहिबगंज व पाकुड़ जिले के 15 प्रखंड के अलावा गोड्डा जिले का दो और दुमका जिले का एक प्रखंड आता है। चुनाव में सभी दल गठबंधन धर्म से बंधे हैं। भाजपा का गठबंधन आजसू से है, तो झामुमो का गठबंधन कांग्रेस, झाविमो, राजद से है। भाजपा ने अबतक अपना उम्मीदवार पुराने व सालों से झामुमो में काम करने वाले हेमलाल मुर्मू को घोषित किया है, जो पिछला लोकसभा चुनाव झामुमो के विजय हांसदा से इसलिए हार गए थे, क्योंकि आदिवासी वोटर उन्हें भाजपा का मानने को तैयार नहीं थे।
आदिवासी वोटर वर्ष 2014 के चुनाव में हेमलाल मुरमू को तीर धनुष चिन्ह का प्रत्याशी ही मान बैठे थे। इस साल के चुनाव में पांच वर्ष निकल गया है। हेमलाल के लिए आदिवासी कितना अहम वोट होगा इससे ही हार जीत के गणित का पता चलेगा।
झामुमो ने विजय हांसदा को दिया दोबारा माैका: झामुमो ने अपने सांसद विजय हांसदा को दोबारा माैका किया है। भाजपा में सालों पहले बतौर जिला अध्यक्ष या फिर मंच मोर्चा में जिला से लेकर प्रदेश स्तर तक कार्य कर चुके कार्यकर्ता न केवल वर्तमान संगठन से नाराज हैं। पार्टी के जिला के जनप्रतिनिधियों से भी उनकी नाराजगी चल रही है। ऐसे में पार्टी प्रत्याशी की बेचैनी बढ़ी हुई है। झामुमो ने राजमहल लोकसभा से विजय हांसदा को उम्मीदवार बनाया है।
गुटबाजी से पार पाना बड़ी चुनौती : पाकुड़ जिले के तीन विधायक में से एक भी भाजपा का नहीं है और दोनों जिलों में पार्टी गुटबाजी का शिकार है। झामुमो के तीन विधायक बरहेट, लिट्टीपाड़ा, महेशुपर से जीते हैं, जिन्हें सांसद के साथ बताया जा रहा है। पाकुड़ विधायक आलमगीर आलम भी सख्ती से महागठबंधन के साथ हैं। बोरियो विधायक झामुमो के संपर्क में हैं। ऐसे में राजमहल विधायक जो भाजपा के प्रदेश महामंत्री भी हैं, चुनाव में उनकी अहमियत बढ़ी हुई है। ऐसे में संगठन की गुटबाजी और के प्रत्याशी की नैया पार लगाना किसी चुनौती से कम नहीं है।