महागठबंधन की सीट शेयरिंग का पेंच, अस्तबल में घोड़े हैं तैयार अब आर-पार का इंतजार
महागठबंधन में सीट शेयरिंग का पेंच अब सुलझ जाने की कगार पर है। सीट शेयरिंग से पहले ही विभिन्न दलों के योद्धा लोकसभा चुनाव के महासमर में उतरने को तैयार हैं। अब आर-पार का इंतजार है।
पटना [अरविंद शर्मा]। कांग्रेस के अड़ियल रवैये ने राजद को परेशान कर रखा है। राजद-कांग्रेस खेमे में पिछले चार महीने के दौरान एक-एक कर करीब दर्जन भर दल इकट्ठा हो गए। सबने मिलकर बिहार में राजग से मुकाबला करने का करार किया।लेकिन सीट बंटवारे पर घमासान कम होने का नाम नहीं ले रहा है।
कांग्रेस के अपने बूते दोबारा खड़े होने की मंशा ने राजद को परेशान कर रखा है। दोनों ज्यादा से ज्यादा सीटें चाह रहे। बड़े दलों के अड़ियल रवैये को देखते हुए छोटे दल अलग राह तलाशने लगे हैं। कांग्रेस के प्रति आशंकित राजद की ओर से विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। मुकाबले के लिए घोड़े तलाशे जा रहे हैं।
दर्जन भर से ज्यादा के नाम तय भी कर लिए गए हैं। पप्पू ने राजद छोड़कर अपनी अलग पार्टी बना ली है और इस बार कांग्रेस की कृपा के आकांक्षी हैं। पप्पू की सीट मधेपुरा पर लालू ने समाजवादी नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव को आगे कर रखा है।
शहाबुद्दीन की पत्नी हिना और लालू के समधी की दावेदारी भी लगभग पक्की है। रघुवंश प्रसाद सिंह, जगदानंद सिंह, सुरेंद्र यादव की दावेदारी पक्की मानी जा रही है।
इसी तरह पाटलिपुत्र से मीसा भारती या भाई वीरेंद्र को उतारा जा सकता है। सारण की सीट लालू परिवार से अलग जाती दिख रही है। लालू के समधी चंद्रिका राय टिकट की दौड़ में सबसे आगे चल रहे हैं।
लालू अपने विधायकों को लोकसभा का टिकट देने के पक्ष में नहीं हैं। किंतु तेजस्वी यादव के करीबी आलोक मेहता और अब्दुल बारी सिद्दीकी के मामले में इस नियम को शिथिल किया जा सकता है।
गोपालगंज को राजद ने बसपा के लिए रिजर्व कर रखा है। तेजस्वी को उम्मीद है कि मायावती उनकी बात मान सकती हैं और किसी न किसी को प्रत्याशी बना सकती हैं। बसपा बिहार की सभी 40 सीटों पर प्रत्याशी उतारने का एलान कर चुकी है।
वाल्मीकिनगर में लालू के रिश्तेदार साधु यादव ने कांग्रेस की ओर से दावा ठोक रखा है। लालू की शर्तों के मुताबिक शरद यादव अगर लालटेन थामने के लिए तैयार हो गए तो मधेपुरा उनके लिए रिजर्व है। ऐसी स्थिति में कांग्रेस पूर्णिया में पप्पू यादव को प्रत्याशी बनाने पर अड़ी है। पप्पू के नाम पर लालू और तेजस्वी तैयार नहीं हैं।