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Lok Sabha Election 2019 : अपने घर में ही घिरा देवेगौड़ा परिवार, एचडी देवेगौड़ा और उनके दो पोते चुनावी मैदान में

गठबंधन के सहारे भाजपा को चुनौती देने की कोशिश कर एचडी देवेगौड़ा परिवार के लिए अपनी घरेलू सीट बचाना भी मुश्किल साबित हो रहा है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Thu, 11 Apr 2019 09:02 PM (IST)Updated: Thu, 11 Apr 2019 09:02 PM (IST)
Lok Sabha Election 2019 : अपने घर में ही घिरा देवेगौड़ा परिवार, एचडी देवेगौड़ा और उनके दो पोते चुनावी मैदान में

नई दिल्ली, नीलू रंजन। गठबंधन के सहारे भाजपा को चुनौती देने की कोशिश कर एचडी देवेगौड़ा परिवार के लिए अपनी घरेलू सीट बचाना भी मुश्किल साबित हो रहा है। कांग्रेस और जेडीएस का गठबंधन तो हो गया है, लेकिन दोनों दलों के समर्थकों के बीच दशकों पुरानी तनातनी थमने का नाम नहीं ले रही है। गौड़ा परिवार के तीन सदस्य खुद एचडी देवेगौड़ा और उनके दो पोते निखिल कुमारास्वामी व प्रज्वल रेवन्ना भी इस बार चुनावी मैदान में है।

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दरअसल, 1999 से छह बार हासन सीट पर जीत चुके एचडी देवेगौड़ा ने इस बार सीट को अपने पोते प्रज्वल रेवन्ना के लिए छोड़ दी है। उसकी जगह वह टुमकुरू से चुनाव लड़ रहे हैं। लेकिन टुमकुरू से 2014 में कांग्रेस के एसपी मुद्धाहनुमे गौड़ा जीते थे, लेकिन समझौते में यह सीट जेडीएस के खाते में आ गई। मुद्धाहनुमे गौड़ा ने नामांकन भी दाखिल किया, लेकिन पार्टी के दबाव में उन्हें वापस लेना पड़ा। मुद्धाहनुमे ने चार लाख 29 हजार वोट हासिल कर तीन लाख 55 हजार वोट पाने वाले भाजपा के जीएस बासवराज को हराया था। ढाई लाख वोट के साथ जेडीएस तीसरे नंबर पर रही थी।

बताया जा रहा है कि मुद्धाहनुमेगौड़ा की नामांकन वापस लेने से कांग्रेस समर्थक बुरी तरह नाराज हैं और देवेगौड़ा के पक्ष में प्रचार करने के लिए भी तैयार नहीं है। खुद मुख्यमंत्री कुमारास्वामी सार्वजनिक मंच से कांग्रेस समर्थकों व नेताओं के असहयोग पर नाराजगी जाहिर कर चुके हैं। जबकि 2014 में मुद्धाहनुमे से हारने वाले जीएस बासवराज को भाजपा ने फिर से मैदान में उतारा है। 2014 में हारने के पहले बासवराज यहां से चार बार जीत चुके हैं, तीन बार कांग्रेस और एक बार भाजपा के सिंबल पर।

टुमकुरू सीट पर एचडी देवेगौड़ा की तरह उनकी पुरानी सीट हासन पर प्रज्वल रेवन्ना की स्थिति भी आसान नहीं है। पिछली बार देवेगौड़ा ने कांग्रेस के ए मंजू को एक लाख वोटों से हराया था। जबकि भाजपा के सीएच विजयशंकर को एक लाख 65 हजार वोट मिले थे। गठबंधन से नाराज ए मंजू ने कांग्रेस से इस्तीफा दिया और अब भाजपा से मैदान में है। सबसे बड़ी बात यह है कि ए मंजू को पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का करीबी माना जाता है। ऐसे में ए मंजू को परोक्ष रूप से सिद्धारमैया का वरदहस्त होने के कयास भी लगाए जा रहे हैं।

इसी तरह निखिल कुमारास्वामी की सीट भी मांड्या में फंसी हुई है। पिछली बार कांग्रेस और जेडीएस के बीच यहां भीषण मुकाबला हुआ था, जिसमें जेडीएस के सीएस पुत्ताराजू छह हजार से भी कम वोट से जीतने में सफल रहे थे। भाजपा को यहां केवल 87 हजार वोट से ही संतोष करना पड़ा था। इस बार भी भाजपा ने यहां से अपना उम्मीदवार नहीं उतारा है, बल्कि निर्दलीय के रूप में खड़ी सुमलता अंबरीश को समर्थन दिया है।

सुमलता अंबरीश कांग्रेस के दिग्गज नेता कन्नड़ फिल्म स्टार एमएच अंबरीश की पत्नी है। पिछले साल नवंबर में अंबरीश की मृत्यु हो गई थी। अंबरीश इस सीट से तीन बार जीत चुके हैं। दो बार कांग्रेस के टिकट पर एक बार जेडीएस के टिकट पर। सुमलता अंबरीश को इस बार बार सहानुभूति वोट मिलने की भी उम्मीद है। ध्यान रहे कि दक्षिण कर्नाटक की इन तीनों सीटों पर 18 अप्रैल को मतदान है। दक्षिण कर्नाटक कांग्रेस और जेडीएस का गढ़ माना जाता है। अगर यहां गठबंधन को ठेस लगी तो तीसरे चरण का चुनाव बहुत रोचक हो सकता है। ध्यान रहे कि 28 सीटों वाले कर्नाटक में भाजपा ने 17 सीटें जीती थी।


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