Lok Sabha Election 2019:13 साल पहले मिला था जख्म, अब भी मरहम का इंतजार
खैरकियारी गांव की आबादी करीब 600 है। घटना के समय पीडि़त परिवारों को सहायता देने के लिए राजनीतिक दलों एवं प्रशासन के आला अधिकारियों ने कई घोषणाएं की।
धनबाद, आशीष अंबष्ट। धनबाद जिला मुख्यालय से करीब 58 किलोमीटर दूर है पश्चिम बंगाल सीमा से सटे कलियासोल प्रखंड का खैरकियारी बैजनाथपुर गांव। यह गांव 13 साल पहले उस समय सुर्खियों में आया जब यहां के 10 नौजवानों ने अपने परिवार का पेट पालने के लिए अवैध उत्खनन के दौरान 700 फीट गहरी गांगटीकुली खदान में जल समाधि ले ली। घटना अगस्त 2006 की है।
इस गांव की आबादी करीब 600 है। घटना के समय पीडि़त परिवारों को सहायता देने के लिए राजनीतिक दलों एवं प्रशासन के आला अधिकारियों ने कई घोषणाएं की। शुक्रवार को जब हम इस गांव में पहुंच रहे थे, काफी कुछ बदला-बदला सा था। सड़क पक्की करण का काम चल रहा था। गांव तक जाने के लिए पहले भी लोग निजी वाहनों के भरोसे थे और आज भी हैं। गांव के बाहर ही कई लोग सड़क निर्माण को लेकर गांव में विकास की बातें कर रहे हैं।
दुआ सलाम के बाद खैरकियारी गांव के उस हिस्से में पहुंचते हैं जहां अक्सर ग्रामीणों की चौपाल लगती है। यहां सुबोध गोप की पत्नी सोमा गोप अपने आंगन की सफाई कर रही होती है। उनके घर में प्रवेश करते है। वह सहज ही बैठने को कहती हैं। देखा तो बड़ी आशा भरी आंखों से कहा कि आप लोग क्या अधिकारी हैं? जब हमने उन्हें बताया कि नहीं हम दैनिक जागरण अखबार से आए हैं। पहले तो वह घटना के बारे में कुछ बताने के बजाए मौन साध जाती हैं फिर कहती हैं- बाबू सब कुछ तो चला गया। मुआवजा तो दूर पति का मृत्यु प्रमाण पत्र तक नहीं मिला। इंदिरा आवास देने की बात थी लेकिन वह भी नहीं मिला। जो कच्चा मकान है वह भी कब बिखर जाए पता नहीं।
सोमा गोप गाय के लिए लकड़ी के चूल्हे की आंच पर घटा पका रही थीं। बताया कि दो लड़की की शादी कर ली है। आर्थिक अभाव के कारण बेटा को मामा घर गोविंदपुर भेज दिया है। सहिया का काम मिला है। बीपीएल कार्ड है लेकिन राशन कार्ड में नाम नहीं होने के कारण उज्ज्वला योजना का लाभ नहीं मिला। घटना में मारे गए सभी 10 युवकों के परिजनों को मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं होने के कारण काफी परेशानी हो रही है। कार्तिक गोप के पिता कोलू गोप ने कहा कि 10 साल पहले बेटा गंगटीकुली में खो दिया। शिबू सोरेन, गोविंदाचार्य सहित कई बड़े-बड़े नेता यहां पहुंचे थे। सभी ने उस समय भरोसा दिलाया था कि मदद करेंगे। लेकिन कुछ भी नहीं मिला।
दशरथ गोप की पत्नी आशा गोप की स्थिति काफी खराब है। इनके परिवार में कमाने वाला कोई नहीं है। पति की मृत्यु के बाद सास व देवर की मौत दुर्घटना में हो गई। लड़की की शादी की चिंता सता रही है। अपनी आपबीती बताते हुए उनकी आंखें नम हो जाती है। कहती हैं, जान रहे कि पति नहीं है लेकिन सरकार की तरफ से कागज नहीं मिल रहा है।
झरना का पानी से होता है काम, स्वास्थ्य केंद्र उद्घाटन से पहले हो गए जर्जर : खैरक्यारी बैजनाथपुर गांव में पेयजल के लिए लोग झरना पर आश्रित हैं। तालाब पूरी तरह सूख गया है। गांव के लोग जलसंकट से त्रस्त हैं। सिंचाई की सुविधा भी नहीं है। जबकि पंचेत जलाशय से कुछ दूरी पर ही यह गांव है। दो तरफ से नदी है। बावजूद यहां के किसान केवल बारिश पर ही निर्भर हैं। दामोदर नदी के तट पर बसा यह गांव पंचेत से छह किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। गांव में सरकारी स्वास्थ्य केंद्र बनाया गया लेकिन उद्घाटन के अभाव में पूरी तरह से जर्जर हो चुका है।
इनकी हुई थी मौत :कार्तिक गोप, दशरथ गोप, दीपक बाउरी, माधव बाउरी, दीनानाथ मंडल, होपेन मंडल, उज्ज्वल मंडल, बंधु मंडल, सुबोध गोप, बुढ़ा मंडल।
क्या कहते हैं ग्रामीण : गांव की स्थिति क्या है सब जानते है। रोजगार के लिए लोगों को भटकना पड़ता है। 10 साल पहले गांव के 10 युवकों की मौत हो गई थी। पानी के अभाव में खेत परती रह जाती है।
- गुरुपदो मंडल, बैजनाथपुर
झारना का पानी यहां का मुख्य जल स्रोत है। दूर नदी से भी पानी लाना पड़ता है। उसकी की स्थिति ठीक नहीं है। पानी व यातायात की व्यवस्था नहीं होने के कारण गांव से शहर नहीं जा पाते। एक पुल भी बना है लेकिन उसे भी पक्की सड़क से नहीं जोड़ा गया है।
-अरूप मंडल, बैजनाथपुर
गांव के स्वास्थ्य केंद्र की स्थिति देखने लायक है। उद्घाटन के पहले ही जर्जर हो गई है। सिंचाई की व्यवस्था नहीं है। मछली पालन होता था, तालाब भी सूख गया है। खेती करना भी कठिन है। नदी व जलाशय होने के बाद भी सुविधा नहीं है।
-आकाश धीवर, खैरकियारी
कमाने के लिए बाहर जाना पड़ता है। यातायात की व्यवस्था ठीक नहीं है। पैदल पांच किमी चलने के बाद ऑटो मिलेगा। जाने व आने में यह समय बीत जाएगा। इसलिए हम लोगों का विशेष ध्यान खेती पर होता है, लेकिन पानी की समस्या है।
-फकीरचंद, खैरक्यारी