Lok Sabha Polls 2019: नीति सिद्धांत गायब, अब सिर्फ आरोपों का शोर
Lok Sabha Polls 2019. चुनाव में अब नीति सिद्धांत की कोई अहमियत नहीं रही। लोग चुनाव तो जीत जाते हैं लेकिन जनता से जुड़ाव बहुत कम रह जाता है।
खूंटी, जासं। चुनाव में अब नीति सिद्धांत की कोई अहमियत नहीं रही। सिर्फ आरोप-प्रत्यारोप काा शोर सुनाई देता है। लोग चुनाव तो जीत जाते हैं, लेकिन जनता से जुड़ाव बहुत कम रह जाता है। यह बातें खूंटी निवासी एतवा नायक ने कहीं। एतवा जेपी आंदोलन के आंदोलनकरी रहे हैं। साथ ही वे किशोरावस्था से ही संघ से जुड़े हैं। फिलवक्त खूंटी के नेताजी चौक के किनारे बैठ कर डायरी कैलेंडर आदि बेचते हैं।
उन्होंने बताया कि पहले नीति सिद्धांत के आधार पर उम्मीदवार एवं उनके समर्थक वोट मांगते थे। गांव-गांव घूमकर लोगों से मिलते थे। अपना एजेंडा बताते थे एवं पार्टी के सिद्धांतों पर वोट की अपील करते थे। इससे मतदताओं एवं कार्यकर्ताओं का प्रत्याशी से सीधा जुड़ाव रहता था। कार्यकर्ता अपने खर्च से प्रचार करने निकलते थे। लेकिन अब वैसी बात नहीं रही।
अब तो प्रत्याशी एवं कार्यकर्ता एक दूसरे दल के नेताओं पर सीधा आरोप-प्रत्यारोप लगाने में मशहूल रहते हैं। ज्यादातर कार्यकर्ता भी समर्पित नहीं होते। वह भी भाड़े के हो गए हैं। नेता-कार्यकर्ता गांव एवं चौक चौराहे पर पहुंच कर हो हल्ला कर देते हैं। जनता से नेताओं का सीधा संवाद बहुत कम हो पाता है। चुनाव की सफलता के लिए तिकड़म एवं वोट मैनेज में विश्वास करते हैं। यही वजह है कि राजनीति में विचौलियावाद को बढ़ावा मिल रहा है।