चुनाव आयोग से सिफारिश, मतदान से 72 घंटे पहले ही जारी हो घोषणापत्र
कमेटी ने अपने सुझावों में चुनावी प्रचार पर रोक का दायरा सोशल मीडिया, इंटरनेट, केबल टीवी और प्रिंट मीडिया के ऑनलाइन संस्करणों तक बढ़ाने की बात कही है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। आगामी लोकसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग की एक कमिटी ने आदर्श आचार संहिता में संशोधन करने की सिफारिश की है। इस सिफारिश में पार्टियों को पहले चरण के मतदान समाप्ति के 72 घंटे पहले अपना चुनावी घोषणापत्र जारी करने के नियम बनाने की मांग की गई है। आयोग ने देश के सबसे बड़े चुनाव से सिफारिश करते हुए एक विस्तृत रिपोर्ट मुख्य चुनाव आयुक्त को सौंपी है।
कमेटी ने अपने सुझावों में चुनावी प्रचार पर रोक का दायरा सोशल मीडिया, इंटरनेट, केबल टीवी और प्रिंट मीडिया के ऑनलाइन संस्करणों तक बढ़ाने की बात कही है। साथ ही सोशल मीडिया एजेंसी को राजनीतिक प्रचार की चीजों को अन्य सामग्री से अलग करके दल और उम्मीदवार के इन माध्यमों पर खर्च किए पैसे का हिसाब रखने को भी कहा गया है।
चुनाव आयोग ने इस 14 सदस्यों वाली कमेटी का गठन पिछले साल मीडिया के प्रसार को देखते हुए लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुच्छेद 126 की समीक्षा के लिए किया था। उप चुनाव आयुक्त उमेश सिन्हा की अध्यक्षता वाली इस कमेटी में आयोग के नौ अन्य सदस्यों के अलावा सूचना और प्रसारण मंत्रालय, कानून मंत्रालय, आईटी मंत्रालय, नेशनल ब्रॉडकास्ट एसोसिएशन और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के एक- एक नामित सदस्य शामिल थे। इस कमिटी ने यह रिपोर्ट मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा और चुनाव आयुक्त अशोक लवासा को सौंपी है।
बता दें कि मौजूदा नियमों में घोषणापत्र जारी करने को लेकर कोई बंदिश नहीं है। 2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने अपना घोषणापत्र 7 अप्रैल यानि पहले चरण के मतदान वाले दिन जारी किया था। उस वक्त इस घटना को कांग्रेस ने मतदाताओं को प्रभावित करने का प्रयास बताकर आयोग से शिकायत भी की थी मगर घोषणापत्र को लेकर कोई कानून नहीं होने के कारण आयोग कोई कार्रवाई नहीं कर सका था।
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुच्छेद 126, चुनाव प्रचार पर रोक की बात कहता है जिसके मुताबिक चुनाव वाले क्षेत्र में मतदान से 48 घंटे पहले प्रचार पर रोक लगाई जाती है। कई बार एक जगह प्रचार शांत होने के बावजूद दूसरी जगह पर प्रचार जारी रहता है। ऐसी परिस्थिति में इस रिपोर्ट में नेताओं को इंटरव्यू और प्रेसवार्ता से बचने की हिदायत दी गई है। हालांकि कुछ सिफारिशों को लागू करने से पहले लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम में संशोधन करना होगा। जिसके लिए आयोग को कानून मंत्रालय को पत्र लिखना पड़ेगा।