लोकसभा चुनाव 2019: कल्याण सिंह की बढ़ सकती है मुश्किलें, आयोग ने राष्ट्रपति से की शिकायत
कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह उत्तर प्रदेश के एटा लोकसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। लोकसभा चुनाव से पहले लागू हुई आचार संहिता के उल्लघंन के मामले में राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह अब मुश्किल में फंसते नजर आ रहे है। कल्याण सिंह के प्रधानमंत्री मोदी के समर्थन में दिए गए बयान पर चुनाव आयोग सख्त हो गया है। आयोग की एक टीम ने कल्याण सिंह के भाजपा समर्थन वाले बयान को चुनाव आचार सहिंता के खिलाफ मानते हुए उनकी शिकायत राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से की है। आयोग ने राष्ट्रपति भवन को पत्र लिखकर कहा है कि कल्याण सिंह राजस्थान के राज्यपाल हैं और ऐसे किसी संवैधानिक पद पर बैठा व्यक्ति किसी पार्टी या व्यक्ति विशेष के पक्ष में बयान नहीं दे सकता है।
कल्याण सिंह ने पिछले महीने 23 मार्च को अपने गृह जनपद अलीगढ़ का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने राजनीतिक बयान दिया था। कल्याण सिंह ने कहा था, 'हम सब भाजपा कार्यकर्ता हैं और चाहते हैं कि भाजपा विजयी हो। हम मोदी जी को एक बार फिर देश का प्रधानमंत्री बनते देखना चाहते हैं।' वहीं इस मामले का संज्ञान लेते हुए चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश के मुख्य चुनाव आयुक्त से रिपोर्ट मांगी थी। रिपोर्ट में पुष्टि हुई कि कल्याण सिंह ने खुद को एक भाजपाई बताया था।
उल्लेखनीय है कि कल्याण सिंह एक दौर में भाजपा के कद्दावर नेता रहे है और मौजूदा समय में राजस्थान के राज्यपाल हैं। ऐसे में कल्याण सिंह के इस बयान को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई है। विपक्ष ने इसे आचार संहिता का उल्लंघन बताया है और चुनाव आयोग से कारवाई की मांग भी की है। दरअसल कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह उत्तर प्रदेश के एटा लोकसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं।
इसके अलावा अलीगढ़ सीट भी कल्याण सिंह के राजनीतिक प्रभाव वाली मानी जाती है। ऐसे में विपक्ष खासतौर से इस पुरे मामले को लेकर हमलावर है। कल्याण सिंह के बयान को लेकर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी ट्वीट करके कहा है कि 'राज्यपाल का पद एक संवैधानिक पद होता है, एक लोकतंत्र में राज्यपाल से निष्पक्षता और सभी पार्टियों से दूरी बरकरार रखने की उम्मीद की जाती है।'
यह दूसरी बार है जब चुनाव आयोग ने किसी राज्यपाल को आचार सहिंता का उल्लंघन करते पाया है। इससे पहले 1993 में हिमाचल के राज्यपाल गुलशेर अहमद को अपने बेटे सैय्यद अहमद के लिए चुनाव प्रचार करते पाया गया था। जिसके चलते बाद में उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।