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Lok Sabha Election 2024: इन पार्टियों ने सबसे अधिक महिलाओं को दिया टिकट, राष्ट्रीय दलों ने दिखाई कंजूसी, जीतने में पुरुषों से आगे है नारी शक्ति

Lok Sabha Election 2024 जहां हर क्षेत्र में आज महिलाएं पुरुषों से कदमताल कर रही हैं तो वहीं राजनीति में अभी भी इस दिशा में लंबा सफर तय किया जाना है। हालांकि पहले चुनाव के मुकाबले तस्वीर काफी बदली है लेकिन महिला प्रत्याशी उतारने के मामले में अब भी पार्टियों का प्रदर्शन खराब है। खासकर की भाजपा-कांग्रेस जैसे प्रमुख राष्ट्रीय दल तो इसमें और भी पीछे हैं। पढ़ें रिपोर्ट-

By Jagran News Edited By: Sachin Pandey Published: Tue, 16 Apr 2024 08:33 PM (IST)Updated: Tue, 16 Apr 2024 08:33 PM (IST)
Lok Sabha Election 2024: इन पार्टियों ने सबसे अधिक महिलाओं को दिया टिकट, राष्ट्रीय दलों ने दिखाई कंजूसी, जीतने में पुरुषों से आगे है नारी शक्ति
Lok Sabha Election: चुनाव में जीत के मामले में महिलाओं का सफलता दर पुरुषों से बेहतर है।

चुनाव डेस्क, नई दिल्ली। Lok Sabha Election 2024: महिलाएं हर पार्टी के लिए एक बड़ा वोट बैंक है और सभी पार्टियां उन्हें लुभाने के लिए तमाम तरह के वादे और प्रचार करती हैं। लेकिन जब बात टिकट में हिस्सेदारी की आती है तो सभी पार्टियों का ट्रैक रिकॉर्ड इसमें बेहद खराब है। जबकि आंकड़े ये दर्शाते हैं कि चुनाव में जीत के मामले में महिलाओं का सफलता दर पुरुषों से बेहतर है।

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खासकर की दोनों प्रमुख राष्ट्रीय दलों का प्रदर्शन महिलाओं को टिकट देने के मामले में निराशाजनक रहा है। भाजपा ने अब तक घोषित कुल 417 प्रत्याशियों में से मात्र 16 फीसदी यानी 68 महिलाओं को ही टिकट दिया है। वहीं कांग्रेस ने कुल 192 घोषित प्रत्याशियों में से 11 फीसदी यानी केवल 22 महिलाओं को ही टिकट दिया है।

क्षेत्रीय पार्टियां आगे

इसके इतर कुछ क्षेत्रीय पार्टियों ने इस दिशा में बेहतरीन प्रयास किए हैं। इसमें बीजू जनता दल ने सबसे अधिक 33 फीसदी महिलाओं को टिकट दिए हैं। पार्टी ने 21 में से 7 सीटों पर महिला प्रत्याशी उतारे हैं। इसके बाद तृणमूल कांग्रेस ने 28 फीसदी महिलाओं को टिकट दिया है। पार्टी के कुल 42 प्रत्याशियों में से 12 महिलाएं हैं।

2019 में महिला सांसद

ध्यान देने योग्य बात यह भी है कि 2019 के चुनाव में भी बीजद और टीएमसी से ही सबसे अधिक महिला सांसद चुनकर आई थीं। बीजद से सबसे अधिक 42 फीसदी महिलाएं सांसद चुनी गई थीं, वहीं टीएमसी से 39 फीसदी महिलाएं सांसद बनी थीं। इसके बाद वाईएसआर से 18 फीसदी, भाजपा से 14 फीसदी, शिवसेना से 11, डीएम के से 8 एवं जदयू से 4 फीसदी महिलाएं सांसद चुनी गई थीं।

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बढ़ रही है महिलाओं की हिस्सेदारी

हालांकि देश के पहले चुनाव से तुलनात्मक अध्ययन किया जाए तो संसद में महिलाओं की हिस्सेदारी लगातार बढ़ी है। 1952 में पहले चुनाव में कुल 489 सांसद में से 22 महिलाएं थी, जोकि कुल सासंदों का 4.4 फीसदी था। इस संख्या में चुनाव-दर-चुनाव इजाफा होता गया और 2019 के चुनाव में रिकॉर्ड सबसे ज्यादा महिलाएं सांसद चुनी गई थीं।

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2019 में सबसे अधिक महिलाएं बनी सांसद

2019 में 17वीं लोकसभा में सबसे अधिक 78 महिला सांसद चुनी गई थीं, जोकि कुल सांसदों का 14 फीसदी था। वहीं आंकड़ों में गौर करें तो जीत के मामले में भी महिलाओं का रिकॉर्ड पुरुषों के मुकाबले बेहतर रहा है।

1957 में जहां कुल 45 महिलाओं में से 48.88 फीसदी यानी 22 महिलाएं जीती थीं, वहीं 2019 में सफलता दर 10.74 फीसदी रही थी। इसके मुकाबले 1957 में 31.7 फीसदी पुरुष जीते थे। 2019 में यह आंकड़ घटकर मात्र 6.4 फीसदी रह गया।

(स्त्रोत - निर्वाचन आयोग)

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