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Election 2019: राजपूत समाज में चर्चा दीया को टिकट तो नहीं करेंगे विरोध

जयपुर के पूर्व राजघराने की सदस्या दीयाकुमारी के चुनाव लड़ने की संभावना जयपुर राजघराने का मेवाड़ से गहरा नाता रहा है।इसलिए दीयाकुमारी को टिकट दिया जाता है तो उसका विरोध नहीं करेगा

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 05 Apr 2019 11:43 AM (IST)Updated: Fri, 05 Apr 2019 11:43 AM (IST)
Election 2019: राजपूत समाज में चर्चा दीया को टिकट तो नहीं करेंगे विरोध
Election 2019: राजपूत समाज में चर्चा दीया को टिकट तो नहीं करेंगे विरोध

उदयपुर, सुभाष शर्मा। मेवाड़ की सबसे महत्वपूर्ण राजसमंद लोकसभा सीट के लिए भाजपा अभी तक प्रत्याशी तय नहीं कर पाई, किन्तु राजपूत समाज के कई घटकों ने इस सीट से जयपुर के पूर्व राजघराने की सदस्या दीयाकुमारी के चुनाव लड़ने की संभावना के बीच कहा कि जयपुर राजघराने का मेवाड़ से गहरा नाता रहा है।इसलिए दीयाकुमारी को टिकट दिया जाता है तो समाज उसका विरोध नहीं करेगा।

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राजपूत करणी सेना तथा श्री राजपूत सभी के अलावा क्षेत्र के रावत-राजपूत समाज के पदाधिकारियों का कहना है कि दीयाकुमारी को टिकट दिया जाता है तो वह उसका समर्थन करेंगे। इससे पहले राजपूत समाज के एक घटक ने दीयाकुमारी के राजसमंद से चुनाव लड़ने की संभावन से पूर्व ही विरोध जताते हुए कहा था कि वह हल्दीघाटी युद्ध को नहीं भूले हैं।

राजपूत करणी सेना, श्री शक्ति राजपूत समाज और राजपूत महासभा के स्थानीय नेता मानते हैं कि भाजपा यदि दीयाकुमारी को उम्मीदवार बनाती है तो वह उसका विरोध नहीं करेंगे। इस संबंध में राजपूत करणी सेना और राजपूत महासभा की बैठक राजसमंद जिले में आयोजित हुई। इसमें निर्णय लिया गया कि यदि भाजपा स्थानीय व्यक्ति को टिकट नहीं देती है और बाहरी राजपूत समाज से टिकट भी मिलता है तो वह उसे समर्थन करेगी। कांग्रेस अपना प्रत्याशी घोषित कर चुका है और राजसमंद लोकसभा क्षेत्र में सर्वाधिक मत राजपूत-रावत समाज

के होने पर भाजपा पर दबाव बनाए हुए हैं।

बैठक में दीयाकुमारी की दावेदारी को लेकर कहा जा रहा है कि जयपुर राजघराना मेवाड़ राजघराने से अलग नहीं है। रिश्ते सुधारने के लिए ढूंढात और मेवाड़ में पारिवारिक रिश्ते भी कायम किये गये थे, जिसके तहत महाराजा सवाई जयसिंह ने 18 वीं सदी में उदयपुर के महाराणा अमरसिंह की पुत्री चन्द्रकंवर से विवाह किया था। उस समय चंद्रमहल का निर्माण करवाया गया और लेस पैलेस की तर्ज पर जयपुर में भी जलमहल बनवाया गया। महारानी चंद्रकंवर से उत्पन्न पुत्र कालांतर में महाराजा सवाई मोधोसिंह प्रथम के नाम से प्रसिद्ध हुआ। जिनका पालन-पोषण ननिहाल में हुआ था और बाद में वह जयपुर के तृतीय शासक रहे।

उन्हीं के नाम पर 1763 में सवाई माधोपुर शहर की स्थापना की गई और महारानी चंद्रकंवर के लिए सिसोदिया रानी का बाग बनवाया गया। श्री राजपूत करणी सेना के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. गोविन्द सिंह सोलंकी, क्षत्रिय शक्ति सेना और मेवाड़ क्षत्रिय महासभा के संरक्षण मनोहरसिंह कृष्णावत ने यूं तो दीयाकुमारी की दावेदारी पर आपत्ति जताते आए हैं। उनका कहना है कि वह हल्दीघाटी के युद्ध को नहीं भूले। 


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