Lok Sabha Election 2019 : जीवेत शरद: शतम् : तब पढ़े-लिखे प्रत्याशी ही उतरते थे चुनाव मैदान में
Lok Sabha Election 2019. हमारे समय में भी चुनाव होते थे लेकिन अब काफी कुछ बदल चुका है। तब साफ छविवाले प्रत्याशी ही चुनाव लड़ते थे।
जमशेदपुर, जेएनएन। हमारे समय में भी चुनाव होते थे, लेकिन अब काफी कुछ बदल चुका है। तब साफ छविवाले प्रत्याशी ही चुनाव लड़ते थे। उन पर आपराधिक मामले नहीं दर्ज रहते, दागी नहीं होते थे। उस दौर में आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति नहीं होती थी। आज जो नेता प्रतिद्वंद्वी पर जितना ज्यादा आरोप लगाता है, उसकी जीत सुनिश्चित मानी जाती है। उसे आक्रामक कहा जाता है।
1955-56 में मैंने पहली बार मतदान किया था। तब इतने उम्मीदवार नहीं होते थे। मात्र तीन या चार उम्मीदवार चुनाव लड़ते थे। उम्मीदवार पैदल या साइकिल पर प्रचार करते थे। किसी प्रत्याशी विशेष को मतदान करने के लिए कोई दबाव नहीं होता था। उस समय कांग्रेस, जनसंघ और सीपीआइ के अलावा एक-दो पार्टियों के उम्मीदवार होते थे। सभी प्रत्याशी एक से बढ़कर एक, पढ़े-लिखे और जमीन से जुड़े हुए होते थे। सभी उम्मीदवार अपने प्रतिद्वंद्वी का भी सम्मान करते थे।
आज तो चुनाव प्रणाली पूरी तरह से बदल चुकी है। अब उम्मीदवार की छवि या योग्यता नहीं देखी जाती। उसके ऊपर कितने मामले दर्ज हैं। उसके पास संख्या बल कैसी है, यह देख कर टिकट दिया जाता है। मुङो आज भी याद है कि 1954-55 में एकबार पंडित जवाहरलाल नेहरू जमशेदपुर आए थे। तब यहां उनकी विशाल जनसभा हुई थी। सभा में उन्होंने क्या-क्या बातें कहीं, यह जानने के लिए दूसरी पार्टियों के नेता भी लालायित रहते थे।
-भक्तू राम साहू
पूर्व टाटा स्टील कर्मी, उम्र 82 वर्ष, सोनारी, जमशेदपुर
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