LOk Sabha Election 2019 : Ground Report. यहां दिखती है डबल इंजन की सियासत
LOk Sabha Election 2019. कतार से सजीं दुकानें तंग गलियां और घनी आबादी वाला यह इलाका देखने से नहीं लगता कि जमशेदपुर का हिस्सा है।
जमशेदपुर, वीरेंद्र ओझा। जुगसलाई। जमशेदपुर लोकसभा क्षेत्र का महत्वपूर्ण अंग है। शहर की आर्थिक गतिविधियों का प्रमुख केंद्र है। शहर से सटे होने के बाद भी क्षेत्र में घुसते ही किसी पुराने शहर का एहसास होता है। कतार से सजीं दुकानें, तंग गलियां और घनी आबादी वाला यह इलाका देखने से नहीं लगता कि उसी जमशेदपुर का हिस्सा है, जो चौड़ी और साफ-सुथरी सड़कों, भव्य इमारतों, खुले मैदानों के लिए प्रसिद्ध है। एकबारगी देखने से लगता है कि यहां के लोगों को राजनीति से ज्यादा सरोकार नहीं है।
हर कोई किसी न किसी कारोबार से जुड़ा हुआ, लिहाजा इनका दिन सुबह से रात तक व्यापार में ही बीतता है। क्षेत्र में सबसे ज्यादा आबादी मारवाड़ी समाज की है, तो उसके बाद पंजाबी, सिख व सिंधी हैं। तीसरी बड़ी आबादी मुस्लिम की है। शेष आबादी में बिहार, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ मूल के लोग आते हैं। यह शहर का वह क्षेत्र है, जहां टाटा स्टील के स्थापना काल से रह रहे हैं। टाटानगर स्टेशन से सटे होने की वजह से लोग इसी इलाके में बसते गए।
विधायक आते ही नहीं
इनकी पीड़ा है कि क्षेत्र के आजसू विधायक रामचंद्र सहिस यहां आते नहीं तो अपनी समस्या किससे कहें। महेंद्र जैन बताते हैं कि अच्छी बात है कि सांसद विद्युत वरण महतो उनका हर ख्याल रखते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बार-बार कहते हैं कि झारखंड को 'डबल इंजनÓ वाली सरकार का फायदा मिलता है, उसी तर्ज पर हमारे सांसद विधायक स्तर का काम भी कराते हैं। चाहे वह नाली सफाई का काम हो या ट्रैफिक जाम का, सांसद एक बार में तत्पर हो जाते हैं।
दूर हो रही ओवरब्रिज व बिजली की समस्या
मो. नसीम बताते हैं कि जुगसलाई के लोगों की सबसे बड़ी समस्या रेलवे फाटक और बिजली की रही है। घनी आबादी और अनियोजित बस्ती की वजह से यहां की सड़कें काफी संकरी हैं, जिससे पूरे क्षेत्र में दिन के समय टै्रफिक जाम की समस्या रहती है। ओवरब्रिज का निर्माण शुरू होने से यह समस्या अब कुछ ही दिनों की मेहमान है। वहीं वर्षों पुराने बिजली के तार व खंभे भी बदले जा रहे हैं।
सीवरेज सिस्टम का दंश झेल रहे लोग
जुगसलाई निवासी व शहर के जाने-माने कर अधिवक्ता मुरलीधर केडिया बताते हैं कि अनियोजित ढंग से आबादी बसने की वजह से यहां की सबसे बड़ी समस्या सीवरेज सिस्टम का घोर अभाव है। इसकी वजह से आए दिन क्षेत्र की नालियां जाम होती रहती हैं। मच्छरों का प्रकोप तो है ही। यहां नगरपालिका तो है, लेकिन 35 वर्ष से चुनाव नहीं हुआ है, जिससे यह व्यवस्था भी अपने ढंग से चलती है।
पार्किंग समस्या का नहीं दिखता निदान
क्षेत्र के पुराने व्यवसायी गुरदयाल सिंह बताते हैं कि तंग सड़कें व संकरी गलियों के बीच घनी आबादी होने से क्षेत्र में पार्किंग की समस्या विकराल है। आर्थिक गतिविधियों का केंद्र होने से यहां दोपहिया-चारपहिया वाहनों की भरमार है, लेकिन उन्हें खड़ी करने की जगह नहीं है। इसका निकट भविष्य में कोई निदान भी नहीं दिखता है। इसकी वजह से सुबह से देर शाम तक जाम से जूझना क्षेत्र के लोगों की नियति बन गई है।
ये भी जानें
- 03 किलोमीटर का क्षेत्रफल
- 50 हजार लगभग आबादी
- 42 हजार लगभग मतदाता
- 5000 से ज्यादा दुकान-गद्दी
- 35 वर्ष से नपा चुनाव लंबित