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Lok Sabha Election 2019 : सियासी पेच में उलझा प्रेमचंद का ‘जुम्मन’

Lok Sabha Election 2019. मुंशी प्रेमचंद की कहानी पंच परमेश्वर का एक किरदार ‘जुम्मन’ इस लोकसभा चुनाव में फिर चर्चा में है। ‘जुम्मन’ सियासी पेच में उलझ गया है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sat, 13 Apr 2019 12:18 PM (IST)Updated: Sat, 13 Apr 2019 12:20 PM (IST)
Lok  Sabha Election 2019 :   सियासी पेच में उलझा प्रेमचंद का ‘जुम्मन’
Lok Sabha Election 2019 : सियासी पेच में उलझा प्रेमचंद का ‘जुम्मन’

जमशेदपुर, मुजतबा हैदर रिजवी। मुंशी प्रेमचंद की कहानी पंच परमेश्वर का एक किरदार ‘जुम्मन’ इस लोकसभा चुनाव में फिर चर्चा में है। ‘जुम्मन’ सियासी पेच में उलझ गया है। यह समझ नहीं पा रहा कि चुनाव में किधर जाए। जो हिमायती होने का दावा करते थे उन्होंने झारखंड में एक भी ‘जुम्मन’ को टिकट ही नहीं दिया है। यह ‘जुम्मन’ कोई और नहीं झारखंड का मुस्लिम समुदाय है। बड़ी आबादी होने के बावजूद इसबार इस समुदाय को किसी ने टिकट ही नहीं दिया है। 

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नाराजगी इस कदर है कि मुस्लिम बुद्धिजीवी सोशल मीडिया पर हिमायती पार्टियों को जमकर कोस रहे हैं। झारखंड की 14 लोकसभा सीटों पर कांग्रेस, झामुमो और झाविमो मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। इनमें से किसी पार्टी ने इस बार एक भी मुस्लिम उम्मीदवार खड़ा नहीं किया है। यही इस वर्ग की नाराजगी की वजह है। फेसबुक और वाट्स एप पर लोग इन्हें कोस रहे हैं। अमजद ने अपने फेसबुक पर लिखा है कि महागठबंधन के प्रत्याशियों को सिर्फ मुसलमानों का वोट चाहिए, लेकिन प्रत्याशी नहीं बनाएंगे। यह दिनदहाड़े ठगने का काम है।

झाविमो को दे दी गोड्डा सीट

मालूम हो कि गोड्डा सीट से कांग्रेस के फुरकान अंसारी ताल ठोकने को तैयार थे। लेकिन, महागठबंधन बनने के बाद कांग्रेस ने यह सीट झारखंड विकास मोर्चा को दे दी। गोड्डा से मुस्लिम उम्मीदवारी छिन जाने के बाद मुस्लिम वोटरों का गुस्सा सातवें आसमान पर है। फेसबुक पर जमशेदपुर के ही युवा नेता शाहिद रजा लिखते हैं ‘जिसे हम हार समङो थे गला अपना सजाने को, वही अब नाग बन बैठा हमें ही काट खाने को- झारखंड महागठबंधन’। उनकी दूसरी पोस्ट महागठबंधन से नाराजगी कुछ यूं व्यक्त करती है- महागठबंधन के सीटों का एलान। कांग्रेस, जेएमएम, जेवीएम से जुड़े मुस्लिम नेताओं थू है तुम्हारी राजनीति पे। इस पोस्ट के नीचे 32 मुस्लिमों ने अपने कमेंट कर महागठबंधन की सियासत को आड़े हाथों लिया है।

शाहिद की अनगिनत पोस्ट महागठबंधन से नाराजगी को उजागर करती है। यही नहीं, इन पोस्टों के समर्थन में कई लोगों ने कमेंट में भी महागठबंधन की आलोचना की है। वहीं कुछ मुस्लिम बुद्धिजीवी इसे नादानी भी बता रहे। उनका कहना है- यह नए उम्र के लोग सियासत समझ नहीं पा रहे। उधर, जुगसलाई के राशिद बाकरी कहते हैं कि फेसबुक पर मुसलमानों को जुम्मन कहना बता रहा है कि ये नौजवान किसी पार्टी के हाथों खेल रहे हैं।

नोटा दबाने की चल रही मुहिम

गुस्सा इस कदर है कि फेसबुक व वाट्स एप पर कुछ मुस्लिम नवयुवक नोटा दबाने की अपील कर रहे हैं। इन मुस्लिम युवकों के निशाने पर कांग्रेस है। झामुमो को भी निशाने पर लिया जा रहा है। कहा जा रहा है कि मुसलमानों के नाम पर पार्टियां बस राजनीति करती हैं। चुनाव के दौर में ही इन्हें इनकी याद आती है। उलीडीह खानकाह के रहने वाले ओमान में काम कर रहे मो. शमीम फेसबुक पर लिखते हैं कि मुस्लिम उम्मीदवार नहीं तो इसबार नोटा दबेगा।

टिकट नहीं तो क्या, इफ्तार पार्टी देंगे

जमशेदपुर के सरफराज हुसैन इन दिनों शहर में एक बुद्धिजीवी के तौर पर उभर रहे हैं। मुस्लिमों को टिकट दिलाने के लिए फेसबुक पर काफी जोर-शोर से मुहिम भी चलाई। टिकट नहीं मिलने पर गठबंधन पर यू तंज किया- ठगबंधन का बड़ा एलान। कहा लोकसभा टिकट नहीं दिया तो क्या। इफ्तार पार्टी धुंआधार चलेगी।

स्टेज के ऊपर हम क्यों नहीं

सरफराज हुसैन अपनी दूसरी पोस्ट में महागठबंधन के नेताओं की मंच पर एक साथ तस्वीर डाल कर सवाल करते हैं कि मुसलमान स्टेज के नीचे कब तक रहेंगे। स्टेज के ऊपर मुसलमान क्यों नहीं हैं।


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