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इलेक्शन एक्सप्रेस: पॉलिटिक्स से पहले देश, जरूरत है मूलभूत ढांचे को मजबूत करने की

इलेक्शन एक्सप्रेस कुरुक्षेत्र रेलवे जंक्शन से दिल्ली के लिए निकली। इसमें कुरुक्षेत्र से दैनिक जागरण के ब्यूरो चीफ पंकज आत्रेय और फोटो जर्नलिस्ट ने यात्रियों की राय जाना।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Wed, 10 Apr 2019 10:38 AM (IST)Updated: Wed, 10 Apr 2019 10:38 AM (IST)
इलेक्शन एक्सप्रेस: पॉलिटिक्स से पहले देश, जरूरत है मूलभूत ढांचे को मजबूत करने की
इलेक्शन एक्सप्रेस: पॉलिटिक्स से पहले देश, जरूरत है मूलभूत ढांचे को मजबूत करने की

पानीपत कुरुक्षेत्र, जेएनएन। गीता की जन्मस्थली से दिल्ली जाने वाली गीता जयंती एक्सप्रेस कुरुक्षेत्र रेलवे जंक्शन के प्लेटफार्म नंबर एक से निकल चुकी है। इस बोगी में काफी लोग हैं। मैं फोटो जर्नलिस्ट अश्वनी धनौरा के साथ ट्रेन में सवार हो गया। 

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धीरे-धीरे गति पकड़ रही गाड़ी में यात्री कंफर्टेबल मोड में आ रहे हैं। उनके बीच बैठ गए। हमने चुनावी चर्चा शुरू की। चुनाव का क्या माहौल चल रहा है? कौन जीतेगा? सवाल सुनते ही सब विशेषज्ञों की भांति चर्चा में शामिल हो गए और चल पड़ी इलेक्शन एक्सप्रेस। कोई अलीगढ़ जा रहा था तो कोई दिल्ली। इलेक्शन एक्सप्रेस में सभी एक साथ सवार हो गए। 

चर्चा के केंद्र में रहे मुद्दे
चुनावी सफर के दौरान चर्चा में सबसे अहम पुलवामा और एयर स्ट्राइक मुख्य केंद्र रहे। धर्म और मंदिर को लेकर लोगों ने कम ही रूचि दिखाई, लेकिन देश को सर्वोपरि रखा। खासतौर युवाओं ने हर मुद्दे से बड़ा देशप्रेम को बताया। विदेश में देश की साख मजबूत होने और अंतरराष्ट्रीय दबाव में पाकिस्तान से विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान को महज दो दिन में लौटने को जनता अहम मान रही है। दस फीसद आरक्षण और छोटे किसानों को छह हजार रुपये देने की योजना पर ज्यादा न बोलकर लोगों ने आंतरिक और बाहरी सुरक्षा को ही जरूरी माना। बोले, स्कीम तो हर सरकार कुछ न कुछ देती है। जरूरत है मूलभूत ढांचे को मजबूत करने की। रोजगार मजबूत करने की ताकि ऐसी योजनाओं की जरूरत ही न पड़े। 

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देश से बड़ा क्या है भाई साहब
अलीगढ़ जा रहे बिल्लू बोले, देश से बड़ा क्या होता है भाई साहब? सालों से एक पार्टी की सरकार रही है, लेकिन क्या हालात बदल गए जो पांच साल में बदल जाने की उम्मीद की जा रही है। मैं नहीं कहता कि पिछली सरकार खराब थी या तो यह सबसे बढिय़ा है। 50-60 साल और पांच साल में तो फर्क होता ही न। रही बात काले धन और नौकरियों की, तो एक बात तो है। काले धन वालों में खौफ तो पैदा हो ही गया है। सरकारें आती जाती रहेंगी, देश का सम्मान होगा तो ही नागरिक का सम्मान होगा। स्वार्थ को छोड़कर देश की सोचना ही असली राष्ट्रवाद है। 

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पांच साल का मौका और देना चाहिए
दिल्ली जा रहे नीलोखेड़ी निवासी धर्मपाल का कहना है कि देश में भ्रष्टाचार पर लगाम लगी है। प्रदेश में भी लोगों को निष्पक्ष रूप से नौकरियां मिली है, लेकिन मूलभूत ढांचे को अभी भी मजबूत करने की जरूरत है। इसी ट्रेन को देख लो, दो घंटे लेट है। महिलाएं और बच्चे भी सफर करते हैं। ट्रेन में शौचालय और पीने के पानी का समुचित प्रबंध होना चाहिए, बाकि तो सब ठीक ही चल रहा है।

नेताओं के हालात तो खराब हैं
नेताओं की जुबानी जंग पर चरणजीत ने कहा कि एक-दूसरे को गाली देना कौन सी राजनीति है। नेताओं के हालात ही खराब हैं। सभी को बस कुर्सी की पड़ी है। यह उसको गाली दे रहा है, वह इसको। कोई तो लेवल रखना चाहिए। देश को क्या दिशा देंगे ऐसे लोग, जो खुद की जुबान नहीं संभाल सकते। सेना से सबूत मांगे जा रहे हैं। शहीदों की कुर्बानी पर शक किया जाने लगा है। इन हालात में कौन फौज में भर्ती होगा। 

अभी तक कांग्रेस का ही समेट रहे
पानीपत जा रहे पटेल ने कहा कि नरेंद्र मोदी अभी तक तो पिछली सरकार के कारनामे ही समेट रहे थे। इस सरकार ने बड़े फैसले लिए हैं, जो सबको साफ नजर आते हैं। आयुष्मान योजना से आम आदमी को लाभ होगा। अमीर तो अपना इलाज बड़े-बड़े अस्पतालों में करवा लेते हैं, गरीब के लिए इस तरह की और भी कई योजनाएं हैं जो सराहनीय हैं। योजना तो पहले भी थी, लेकिन इतनी तेजी से लाभ नहीं मिला कभी। 

बढिय़ा काम हो रहा है
दिल्ली निवासी अजय कुमार का कहना है कि प्रदेश और केंद्र की सरकार बढिय़ा काम कर रही हैं। आम आदमी को कोई समस्या नहीं है। राजनीति करने को तो कुछ भी बोले जाओ, लेकिन आप जिससे भी पूछोगे वह यही कहेगा कि जिस तरह की सरकार की देश को जरूरत है, वह यही है। मैं किसी पार्टी का आदमी नहीं हूं और न ही किसी का विरोधी हूं। रोजगार सबको मिल नहीं सकता। बुनियादी जरूरतें सबकी पूरी हो ही जाती हैं। कांग्रेस हो या भाजपा, आम आदमी की सोचे तो सरकार सब ठीक हैं।

ताश की बाजी में मोदी-राहुल
चंडीगढ़ से जयपुर जाने वाली इंटरसिटी एक्सप्रेस में भी दैनिक जागरण की टीम ने मुसाफिरों की चुनावी नब्ज टटोली। शुरुआत में तो सब औपचारिकता से बैठे रहे, लेकिन थोड़ी ही दूरी के बाद एक चादर और ताश की गढ़ी निकल आती है और शुरु होती है बाजी। ताश पीसने के साथ ही चुनावी गुफ्तगू भी चल पड़ी। जयपुर निवासी वैभव जैन और कुलदीप सारस्वत का कहना है कि प्रदेश और देश के चुनाव का मिजाज अलग-अलग होता है। वे केंद्र में एक बार फिर नरेंद्र मोदी के लिए वोट करेंगे। राजस्थान में तो हरा दिया? सवाल पर बोले कि उन्होंने तो भाजपा को ही वोट दिया था। प्रदेश में हालात अलग थे। जयपुर के ही राहुल गौतम और शशिकांत शर्मा ने कहा कि पांच साल में भाजपा को देश का मिजाज समझने में ही लग गया। एक और मौका देना चाहिए।


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