पटियाला रियासत का है गौरवशाली इतिहास, लोकसभा में 10 बार कांग्रेस का रहा दबदबा
1952 से अब तक पटियाला लोकसभा सीट पर 16 बार चुनाव हुए जिसमें 10 बार कांग्रेस चार बार शिअद एक बार आप और एक बार निर्दलीय उम्मीदवार जीता है।
जेएनएन, पटियाला। राष्ट्रीय खेल संस्थान के चलते इस क्षेत्र की पहचान देशभर में है। 18वीं सदी में बना किला मुबारक पटियाला रियासत के गौरवशाली इतिहास को बयान करता है। 1952 से अब तक पटियाला लोकसभा सीट पर 16 बार चुनाव हुए, जिसमें 10 बार कांग्रेस, चार बार शिअद और एक बार निर्दलीय उम्मीदवार जीते हैं।
कांग्रेस के अचिंत यहां के पहले सांसद थे। 1977 तक यहां कांग्रेस का ही दबदबा रहा। 1977 में शिअद के गुरचरन सिंह सिंह टोहड़ा ने कांग्रेस के प्रभुत्व को खत्म किया। अभी आम आदमी पार्टी के डॉ. धर्मवीर गांधी यहां के सांसद हैं। मुख्यमंत्री का गृह क्षेत्र होने के कारण यहां की राजनीति हमेशा हाई वोल्टेज रहती है। ज्यादातर लोग नौकरीपेशा हैं या बिजनेस से जुड़े। कला के क्षेत्र में भी कई लोगों को रोजगार मिला है।
विधानसभा हलकों में किसका दबदबा
- डेराबस्सी- शिअद
- राजपुरा- कांग्रेस
- सनौर- शिअद
- घनौर- कांग्रेस
- पटियाला सिटी- कांग्रेस
- पटियाला देहाती- कांग्रेस
- नाभा- कांग्रेस
- समाना- कांग्रेस
- शुतराणा- कांग्रेस
डेमोग्राफी
कुल वोटर्स: 16,32,290
पुरुष वोटर्स: 8,61,434
महिला वोटर्स: 7,70,801
पांच साल में बड़ी घटना
नाभा की मैक्सिमम सिक्योरिटी जेल से 27 नवंबर 2016 को 15 गैंगस्टरों ने हमला कर दो आतंकियों व चार गैंगस्टरों को छुड़वा लिया था। इस घटना देशभर में छाई रही।
विकास का हाल
संसदीय क्षेत्र में कोई बड़ी इंडस्ट्री नहीं है। विशेष विकास कार्य नहीं हुए हैं। शहरी इलाकों व गांवों साफ पेयजल की कमी है। बनूड़ के पास केंद्र सरकार ने फुटवियर डिजाइनिंग का इंस्टीट्यूट अवश्य खोला है। मूलभूत सुविधाएं ठीक-ठाक हैं।
स्थानीय मुद्दे
- 15 साल से अटका केनाल बेस्ड वाटर सप्लाई का प्रोजेक्ट
- बड़ी इंडस्ट्री न होना।
- बेरोजगारी की बढ़ती समस्या।