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Lok Sabha Election 2019: संताल की सियासत में पिता की सल्तनत संजोने की चुनौती

जामताड़ा में हमेशा दिशोम गुरु शिबू सोरेन को बढ़त मिली है। 2014 में झामुमो 78396 वोट समेटने में कामयाब रहा। भाजपा को 58086 मत मिले।

By mritunjayEdited By: Published: Mon, 15 Apr 2019 06:26 PM (IST)Updated: Mon, 15 Apr 2019 06:26 PM (IST)
Lok Sabha Election 2019: संताल की सियासत में पिता की सल्तनत संजोने की चुनौती

दुमका, आरसी सिन्हा। दुमका लोकसभा सीट संताल परगना ही नहीं झारखंड की हाईप्रोफाइल सीट में एक है। संताल की राजनीतिक शतरंज में गोड्डा लोकसभा से पूर्व सांसद फुरकान अंसारी की बेटी ने जिस तरह तृणमूल कांग्रेस से चुनाव लडऩे का एलान कर दिया है। उसका असर जामताड़ा विधानसभा के रास्ते दुमका सीट पर बादशाहत कायम रखने वाले झामुमो के दिल की धड़कन बढ़ा दिया है। राजनीति के जानकार मानते हैं कि अल्पसंख्यक सीट से कांग्रेस ने जिस तरह तौबा कर लिया है, उसका असर कहीं ना कहीं दिखेगा।

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जामताड़ा में शिबू सोरेन को मिलती रही बढ़तः जामताड़ा में हमेशा दिशोम गुरु शिबू सोरेन को बढ़त मिली है। 2004 में झामुमो को 68,408 तो भाजपा को 34,477 मत आए थे। जेएमएम ने 33,931 वोट से लीड लिया था। बात 2009 के चुनाव की करें तो यह फासला भले ही घटा लेकिन 11,00 वोट का बढ़त जेएमएम ने लिया और झामुमो को 42,662 जबकि भाजपा को 31,191 वोट आया था। 2014 की बात करें तो झामुमो 78,396 वोट समेटने में कामयाब रहा। भाजपा को 58,086 मत आया। इस चुनाव मैदान में जेवीएम से बाबूलाल मरांडी थे सो 16,691 वोट जेवीएम की झोली में भी गए थे। इस बार बाबूलाल महागठबंधन के एक अंग हैं।

फुरकान को टिटक नहीं मिलने से विधायक ईरफान नाराजः गोड्डा सीट कांग्र्रेस को नहीं मिलने से फुरकान अंसारी एवं उनके पुत्र विधायक ईरफान अंसारी अपनी नाराजगी मीडिया के सामने भी ला चुके हैं। ऐसे में गोड्डा का अल्पसंख्यक कार्ड दुमका के रिपोर्ट कार्ड को प्रभावित करने की कोशिश करेगा। हालांकि दुमका सीट पर गुरुजी का बतौर तीर धनुष सात बार से लगातार कब्जा है। यहां की जनता ने उनके संघर्षों को देखा है, सो आदर भाव से देखती है। कहते हैं ना कि जंग और राजनीति में कब क्या हो जाय किसी को नहीं पता। पिता की सल्तनत को संजोए रखने के लिए दोनों श्रवण कुमार परेशान हो रहे हैं। एक तरफ सीट जाने का गम तो दूसरी ओर सीट बचाने का फिक्र। ऐसे आदिवासी एवं अल्पसंख्यक झामुमो का वोट बैंक रहा है। लेकिन भाजपा से सुनील सोरेन के आने के बाद से फासला घटा है लड़ाई बढ़ी है। 

बहन के तृणमूल कांग्रेस के टिकट से चुनाव लडऩे और उसके असर के बाबत विधायक डॉ. इरफान ने कहा कि बहन को समझाया जा रहा है। उसने गलती की है।  दूसरी ओर इस बात पर जोर दिया कि वह कांग्रेस पार्टी के साथ बने हुए हैं। महागठबंधन के लिए काम करेेंगे।


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