चुनावी चौपाल : नागरिक सुविधाएं बने मुद्दा तो संवर जाए अपना लखनऊ
दैनिक जागरण कार्यालय में नागरिक सुविधाओं पर हुई चुनाव चौपाल। विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने बेबाकी से रखे अपने विचार।
लखनऊ, जेएनएन। नागरिक सुविधाएं शहर के विकास की नींव बनाती हैं। मूलभूत सुविधाओं को ध्यान में रखकर अगर विकास की दिशा में प्रयास किया जाए तो लखनऊ बेहतर शहर के रूप में संवर कर सामने आएगा। यातायात व्यवस्था को सुदृढ़ करना पुलिस के लिए चुनौती है तो नगर निगम के सामने स्वच्छता। अतिक्रमण के खिलाफ सख्ती हो तो सड़कें खुद चौड़ी नजर आएंगी।
सरकारी तंत्रों में समन्वय की कमी से विकास की राह में रोड़े आते हैं। चुनाव में राजनीतिक दल के नेता नागरिक मुद्दों पर बात रखने के बजाय अपना उल्लू सीधा करते हैं। ऐसे में आवश्यक्ता है तो बुद्धजीवी वर्ग को सामने आकर वास्तविक मुद्दों को सार्वजनिक करने की। दैनिक जागरण कार्यालय में गुरुवार को चुनाव चौपाल के दौरान विभिन्न क्षेत्र के विशेषज्ञों ने बेबाकी से अपनी बात रखी और नागरिक सुविधा की जरूरतों को पूरा करने की मांग की।
रूल और रेगुलेशन कोई फॉलो नहीं करता। नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ दंड प्रभावी नहीं है। कठोर नियम हों तो लोगों में सुधार नजर आए। यातायात व्यवस्था का हाल खराब है। गलत करने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होती। लोगों में डर खत्म हो रहा है। चौराहों पर पुलिस ड्यूटी पर नहीं दिखती। सड़क हादसों में लोग काल के गाल में समा रहे हैं। मृतकों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है, जिसे रोकने की दरकार है। अतिक्रमण ज्यादा है। हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। फुटपाथ पर लोगों ने कब्जा कर रखा है।मुकेश जसनानी, निदेशक, के संस ग्रुप
स्वास्थ्य और शिक्षा दो बड़े मुद्दे हैं। सरकारी स्कूल और अस्पताल में बजट जाता है, लेकिन सुविधाएं नहीं हैं। सरकारी विद्यालयों के शिक्षकों का वेतन निजी स्कूलों की अपेक्षा बेहतर है, लेकिन वहां पढ़ाई नहीं होती। सरकार बातें करती हैं, लेकिन कार्रवाई नहीं होती। बच्चों का कॅरियर बनाना है इसलिए मजबूरी में निजी स्कूलों में जाना पड़ता है। शिक्षा व्यवस्था की दुर्दशा पर दंड निर्धारित होना चाहिए। रामकुमार यादव, उपाध्यक्ष गोमतीनगर विस्तार महासमिति
सरकार से पारंपरिक बाजारों की सुधार की मांग है। हजरतगंज को बेहतर किया गया, जबकि १०७ वर्ष पुराने अमीनाबाद बाजार में अव्यवस्था बहुत है। व्यावसायिक क्षेत्रों में सुधार हो। शिक्षा क्षेत्र में सुधार की बेहद आवश्यकता है। निजी विद्यालय लोगों की आमदनी के हिसाब से वसूली ज्यादा कर रहे हैं, जिन पर अंकुश नहीं है। इन पर नकेल जरूरी है। पढ़ाई की आड़ में निजी स्कूल अन्य व्यावसायिक लाभ भी ले रहे हैं। जितेंद्र सिंह चौहान, अध्यक्ष स्टेशनरी विक्रेता एवं निर्माता एसोसिएशन
जनसंख्या और स्वास्थ्य व्यापक मुद्दा है। सड़क पर गड्ढे हैं, जिससे लोगों को समस्या का सामना करना पड़ता है। गड्ढे की वजह से झटका लगने से बीमारियों में बढ़ोतरी होती है। वायु व ध्वनि प्रदूषण से लोगों को सुनने और सांस लेने में दिक्कत हो रही है। जनरेटर चलने से तेज ध्वनि होती है, जो समस्या पैदा करती है। टैक्स देने वालों को वापस कुछ नहीं मिलता। पीजीआइ में मरीजों के लिए पार्क नहीं है। नगर निगम वहां की जमीन को टेक ओवर नहीं कर रही। डॉ. पीके गुप्ता, अध्यक्ष सामाजिक सरोकार मंच
आसपास के जिलों से बड़ी संख्या में लोग लखनऊ इलाज कराने आते हैं। मेडिकल कॉलेज में वेंटिलेटर की समस्या के कारण उन्हें परेशानी उठानी पड़ती है। इसके अलावा बिना पार्किंग के बन रहे कॉम्पलेक्स हैं। पार्किंग और अतिक्रमण की समस्या आम है। कॉम्पलेक्स के बाहर पार्किंग आवश्यक है और बिना इसके अगर कहीं निर्माण हो रहा है तो इस पर रोक लगनी चाहिए। यातायात की समस्या व्यापक है। इससे लखनऊ अस्तव्यस्त रहता है। प्रमुख बाजारों में महिलाओं के लिए शौचालय की व्यवस्था होनी चाहिए। संजय गुप्ता, अध्यक्ष उत्तर प्रदेश आदर्श व्यापार मंडल
टैक्स का पैसा बर्बाद हो रहा है। सड़क बनती है और विभाग वाले केबल डालने के लिए उसे खोद देते हैं। कॉलोनियों में भूमिगत केबल बिछाई जाए तो सड़क की खोदाई न हो। टैक्स का पैसा बेवजह खर्च न किया जाए। मानकों के अनुसार मैनहोल बनाए जाए, जिससे लोगों की जान बचाई जा सके। इस मुद्दे को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है। विभागों में आपसी तालमेल नहीं है। रूप कुमार शर्मा, सचिव गोमतीनगर जनकल्याण महासमिति
एलडीए की योजना वर्ष १९८६ में शुरू हुई। आशियाना के कुछ इलाकों का विकास करने के लिए एलडीए ने इसे निजी कंपनी को दे दिया। सेक्टर जे, के, एन और एम समेत अन्य निजी कंपनी के हाथ में चले गए और कंपनी ने बिना कोई काम किए लोगों को यूं ही वापस कर दिया। नगर निगम और एलडीए में समन्वय नहीं हो पा रहा है। आपस मे दोनों उलझे हैं। नगर निगम को ये कॉलोनियां हस्तांतरित किए जाने की मांग है, लेकिन इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा। कमलेश वर्मा, महासचिव आशियाना जनकल्याण समिति सेक्टर एन
सफाई मूलभूत समस्या है। पॉलीथिन पर बैन लगा था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही। लोग अब भी इस्तेमाल कर रहे हैं। दुकानों पर खुलेआम बिक रही है। कूड़े का निस्तारण नहीं हो पा रहा है। पर्यावरण का नुकसान हो रहा है। सरकार इस दिशा में काम करे। जिम्मेदार शासन के आदेश का अनुपालन नहीं करा पा रहे हैं। विमल मिश्रा, सचिव आशियाना जनकल्याण समिति सेक्टर एन
नियम कानून है, लेकिन इसका क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है। दोषियों को सजा नहीं दी जा रही। शिक्षा, स्वास्थ्य, भ्रष्टाचार व अतिक्रमण समेत कई मुद्दे हैं। हालांकि वैचारिक अतिक्रमण की समस्या सबसे बड़ी है। घर के चार लोग आपस में बात नहीं कर रहे। समाज में विषमता फैली हुई है और इसके बारे में लोगों को पता ही नहीं। समय के साथ चीजें बदल गई हैं। तब लोग मैदान में खेलते थे, आज मोबाइल फोन में व्यस्त हैं। नेता मूलभूत मुद्दों पर बात ही नहीं करते और बुद्धिजीवी वर्ग वोटिंग में पूरा सहयोग नहीं कर रहा। एसके बाजपेई, सचिव वरिष्ठ नागरिक महासमिति
जानकीपुरम विस्तार में तमाम समस्याएं हैं, इसमें पानी की दिक्कत बड़ी है। सीवर का डिस्पोजल ही नहीं है। पानी की टंकियां तो हैं, लेकिन सब जर्जर हो गई हैं, जिससे उनमें पानी की सप्लाई नहीं होती। सुव्यवस्थित विकास की दरकार है, जिससे सड़कों की खोदाई न हो। ट्रेंड सिस्टम बहुत जरूरी है। बड़ी कंपनियां इसका पालन करती हैं। हमें भी उनसे सीखना चाहिए। कूड़ा निस्तारण की काफी दिक्कत है।
जीसी सिंघल, वरिष्ठ नागरिक जनकल्याण समिति, जानकीपुरम विस्तार