LokSabha Election 2019: वामपंथ की राजनीति के सशक्त हस्ताक्षर चतुरानन को आजीवन रही गिरिडीह से एक शिकायत
गिरिडीह में मिली हार के बाद चतुरानन जब वापस अपने पैतृक जिला बिहार के मधुबनी पहुंचे तो वहां के लोगों ने उन्हें गले लगा लिया। तुरंत उन्हें 84 में राज्यसभा भेजा गया।
गिरिडीह, दिलीप सिन्हा। देश के पूर्व कृषि मंत्री एवं स्वतंत्रता सेनानी चतुरानन मिश्र ने अपनी पूरी जवानी गिरिडीह एवं हजारीबाग के मजदूरों एवं किसानों के हक की लड़ाई लडऩे में खपा दी थी। बावजूद दोनों लोकसभा क्षेत्र के लोगों ने उन्हें अपना आशीर्वाद नहीं दिया। दोनों लोकसभा सीटों से उन्होंने भाग्य आजमाए। चुनाव जीतना तो दूर की बात रही दोनों जगहों पर वे तीसरे नंबर पर रहे। 81 में अपनी गिरिडीह गिरिडीह विधानसभा सीट भी नहीं बचा सके।
यह भी पढ़ें- LOkSabha Election: 70 लाख से अधिक खर्च नहीं कर सकते प्रत्याशी
गिरिडीह में मिली हार के बाद चतुरानन जब वापस अपने पैतृक जिला बिहार के मधुबनी पहुंचे तो वहां के लोगों ने उन्हें गले लगा लिया। तुरंत उन्हें 84 में राज्यसभा भेजा। एक बार लोकसभा और दो बार राज्यसभा भेजकर उन्हें देश के बड़े कम्युनिस्ट नेताओं की पंक्ति में खड़ा कर दिया। देवगौड़ा एवं गुजराल सरकार में वे कृषि मंत्री भी बने। कृषि मंत्री के रूप में उनके कार्यों को आज भी याद किया जाता है।
वामपंथ की राजनीति में बड़ा नामः चतुरानन मिश्र वामपंथी राजनीति के इतिहास में एक बड़ा नाम है। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी के वे राष्ट्रीय नेता थे। साथ ही वामपंथी ट्रेड यूनियन ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी थे। चतुरानन मिश्र को अपना राजनीतिक गुरु मानने वाले गिरिडीह के पूर्व भाकपा विधायक ओमीलाल आजाद ने बताया कि स्वतंत्रता की लड़ाई में चतुरानन जेल गए थे। जेल में ही वे कम्युनिस्ट बने। आजादी के बाद भारत की कम्युनिस्ट पार्टी ने उन्हें कार्य करने के लिए गिरिडीह भेज दिया। भाकपा की झोपड़ीनुमा कार्यालयों में करीब तीन दशक तक रहकर उन्होंने मजदूरों और किसानों को गोलबंद किया। तीन बार वे गिरिडीह के विधायक रहे। बावजूद उनका गिरिडीह में एक आवास तक नहीं था। ईमानदारी व सादगी के वे एक उदाहरण थे।
1969 में गिरिडीह की जनता ने चतुरानन को चुना था अपना विधायक: पहली बार चतुरानन मिश्र गिरिडीह से भाकपा के विधायक 1969 में बने। 69 से 80 तक वे गिरिडीह के विधायक रहे। 81 में विधानसभा चुनाव हारने के बाद वे मधुबनी लौट गए। बिहार से वे दो बार 84 एवं 90 में राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए। 96 में वे मधुबनी से लोकसभा पहुंचे। गिरिडीह एवं हजारीबाग से लोकसभा नहीं पहुंचने का उन्हें मलाल था। हालांकि उनका कहना था कि जीवन मे उन्होंने जो कुछ भी हासिल किया, वह गिरिडीह के संघर्षों के बल पर ही किया है
चतुरानन मिश्र के लोकसभा चुनाव संघर्ष का आंकड़ा
1971 गिरिडीह लोकसभा चुनाव का परिणाम
- चपलेंदु भट्टाचार्य कांग्रेस-67046
- कृष्ण बल्लभ सहाय - 62892
- चतुरानन मिश्र भाकपा- 32168
1977 में हजारीबाग लोकसभा चुनाव का परिणाम
- कुंवर मूल नारायण सिंह जनता पार्टी - 186058
- दामोदर पांडेय कांग्रेस - 44941
- चतुरानन मिश्र भाकपा-35809
1996 मधुबनी लोकसभा चुनाव का परिणाम
- चतुरानन मिश्र भाकपा - 282194
- हुकुमदेव नारायण यादव भाजपा- 228214
- कुमुद रंजन झा कांग्रेस- 38104