Lok Sabha Election 2019: पांच साल, यह हाल- धरातल पर नहीं उतरा पर्यटन का प्रारूप
Lok Sabha Election 2019. भद्रकाली व कौलेश्वरी को सरकार नेअंतरराष्ट्रीय महत्व का स्थल घोषित कर दिया है। लेकिन दिन बहुरने का इंतजार है।
चतरा, [संजय शर्मा] । चतरा जिला में पर्यटन स्थलों की भरमार है। धार्मिक व प्राकृतिक पर्यटन स्थल के मामले में यह जिला काफी धनी है। जिले के इटखोरी प्रखंड में स्थित मां भद्रकाली मंदिर परिसर तथा हंटरगंज प्रखंड में स्थित मां कौलेश्वरी मंदिर परिसर ऐतिहासिक दृष्टिकोण से अंतरराष्ट्रीय महत्व का स्थल है। सनातन, बौद्ध एवं जैन धर्म के वैभव पूर्ण अतीत को समेट कर रखने वाले इन दोनों धार्मिक पर्यटन स्थलों का पुरातात्विक महत्व भी है।
यही वजह है कि इन दोनों धार्मिक पर्यटन स्थलों को राज्य सरकार ने अंतरराष्ट्रीय महत्व का स्थल घोषित कर दिया है। मां भद्रकाली मंदिर परिसर तथा मां कौलेश्वरी मंदिर परिसर में पर्यटन विकास के लिए सरकार ने कई महत्वपूर्ण योजनाएं भी बनाई है। भद्रकाली मंदिर परिसर के लिए तो सरकार ने 600 करोड़ रुपए का मास्टर प्लान तैयार कर रखा है। इसके तहत मंदिर परिसर में 200 करोड़ रुपए का प्रेयर व्हील, म्यूजियम, ऑडिटोरियम, मेगा प्लाजा गेट, रिवर फ्रंट आदि योजनाओं का निर्माण किया जाना है। इन योजनाओं में से साडे चार करोड़ के म्यूजियम का शिलान्यास किया जा चुका है।
जिला परिषद के माध्यम से मंदिर परिसर में सवा दो करोड़ रुपए की लागत से गेस्ट हाउस का निर्माण किया जा रहा है। अन्य योजनाओं के धरातल पर उतारे जाने का फिलहाल इंतजार है। साथ ही इटखोरी महोत्सव को राजकीय महोत्सव का दर्जा सरकार से प्राप्त हो चुका है। वहीं मां कौलेश्वरी मंदिर परिसर के लिए सरकार के द्वारा कोलुहा पहाड़ पर रोपवे निर्माण की योजना को मंजूरी प्रदान कर दी गई है। चतरा के धार्मिक पर्यटन स्थलों के विकास के लिए सरकार गंभीर नजर आती है। लेकिन प्राकृतिक पर्यटन स्थल को आज भी अपने उद्धार का इंतजार है।
जिले के कान्हाचट्टी प्रखंड में स्थित तमासिन का प्रसिद्ध जलप्रपात, चतरा के गोवा का जलप्रपात, गिद्धौर के बल बल का गर्म जल कुंड, लावालौंग का खैवा बनारू, सिमरिया का भवानी मठ तथा पत्थलगड़ा का मां लेम्बोइया मंदिर परिसर में भी पर्यटन विकास की अपार संभावनाएं हैं। इन क्षेत्रों के लोग मां भद्रकाली मंदिर तथा मां कौलेश्वरी मंदिर की तरह वहां भी पर्यटन विकास का इंतजार कर रहे हैं। ताकि इन प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों को प्रसिद्धि मिलने के साथ रोजगार के अवसर भी पैदा हो सके।