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Lok Sabha Election 2019: कमल वाले टहलकर बागी...बढ़ी सहज की चिंता...

Lok Sabha Election 2019. बागी नेताजी ने चुप्पी साध ली है। न तो बयानबाजी हो रही है न ही वे मैदान में दिख रहे हैं। यही सरल सहज नेताजी को काफी परेशान कर रहा है।

By Alok ShahiEdited By: Published: Sun, 28 Apr 2019 10:14 AM (IST)Updated: Sun, 28 Apr 2019 10:14 AM (IST)
Lok Sabha Election 2019: कमल वाले टहलकर बागी...बढ़ी सहज की चिंता...
Lok Sabha Election 2019: कमल वाले टहलकर बागी...बढ़ी सहज की चिंता...

रांची, राज्‍य ब्‍यूरो। Lok Sabha Election 2019 - लोकसभा चुनाव में प्रचार अब रफ्तार पकड़ रहा है। हर उम्‍मीदवार सामने से शह-मात के खेल में दांव आजमाने में जुटा है। ऐसे में वार-पलटवार, घात-प्रतिघात और चुप्‍पी से लेकर बड़बोलापन तक ने झारखंड के सत्ता के गलियारे में बेचैनी बढ़ा दी है। आइए जानते हैं चुनावी तपिश के बारे में .....

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बढ़ रही चिंता
आजकल सरल, सहज भैया की चिंता बढ़ गई है। जब कमल वाले टहलकर बागी हो गए थे तो समीकरण उनके पक्ष में दिख रहे थे। उनका उत्साह उस समय दोगुना हो गया था जब उनका नामांकन भी हो गया। लेकिन अब थोड़े चिंतित दिखने लगे हैं, क्योंकि बागी नेताजी ने चुप्पी साध ली है। न तो बयानबाजी हो रही है न ही वे मैदान में दिख रहे हैं। यही नेताजी को काफी परेशान कर रहा है। सियासी युद्ध के जानकार बताते हैं, महतो जी जितना लड़ेंगे, भैया उतना ही बढ़ेंगे। लेकिन ऐसा हो तब तो? 

नहीं छोड़ता पीछा
पंजे वाले परेशान हैं। वजह कमलदल वाले उनका पीछा ही नहीं छोड़ते। अब यहां का ही ले लें। जयपुर जैसी घटना घटते-घटते बची। छत्तीसगढ़ के मुखिया पंजे को मजबूत करने पहुंचे। लेकिन संयोग देखे जो जगह मीडिया वालों से बातचीत करने के लिए तय की गई, उनके संचालक का कमलदल से खास रिश्ता निकल आया। आनन-फानन में जगह बदली गई ताकि गुलाबी नगरी की तरह फजीहत न हो जाए। जयपुर में भी पंजे वालों के साथ कुछ ऐसा ही हुआ था, वहां पोस्टर ब्यॉय कोई और था और पोस्टर लगाने वाले भक्त मंडली से थे। 

साहब की पीड़ा
घर बनाने वाले विभाग के एक साहब खुद दर्द से तिलमिला रहे हैं। इस साहब ने भुकभुकिया लाइट वाले एक साहब को कभी प्रताडि़त किया था। तब ये साहब एक जिला चला रहे थे। जिसे प्रताडि़त किया, उसने तो अपना इलाज करवा लिया, लेकिन मवेशी वाला दिल्ली से इंर्पोटेड इंजेक्शन उनकी कुर्सी में ठोक दिया था। यह इंजेक्शन साहब के लिए घाव बन गया है। किसी भी बड़े डॉक्टर के पास जा रहे हैं तो वहां नाकामी ही हाथ लग रही है।

कुछ ने तो उन्हें पूजापाठ तक की सलाह दे दी है। उन्हें सुझाव भी दे दिया है कि जब तक वे 25 हजार रुपये भुकभुकिया लाइट वाले उस प्रताडि़त साहब को नहीं चढ़ाएंगे, तब तक उनका दर्द कम नहीं होगा। अब साहब परेशान हैं, प्रतिष्ठा बचाएं कि 25 हजार देकर इस बीमारी से पिंड छुड़ाएं।


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