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केरल में भाजपा कई सीटों पर विरोधियों को दे रही कड़ी टक्‍कर, वाम दलों को अंतिम किला बचाने की चुनौती

केरल में राहुल गांधी के वायनाड से चुनाव लड़ने और सबरीमाला विवाद के बाद वामपंथियों का अंतिम किला भी ढहने के कगार पर पहुंच गया है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट....

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sun, 14 Apr 2019 10:28 PM (IST)Updated: Sun, 14 Apr 2019 10:28 PM (IST)
केरल में भाजपा कई सीटों पर विरोधियों को दे रही कड़ी टक्‍कर, वाम दलों को अंतिम किला बचाने की चुनौती

नई दिल्ली, नीलू रंजन। केरल में तीन साल पहले विधानसभा चुनाव में खाता खोलने वाली भाजपा इस बार लोकसभा चुनाव में दमदार उपस्थिति दर्ज करने का दावा कर रही है। 20 लोकसभा सीटों वाले केरल में आधा दर्जन से अधिक सीटों पर भाजपा खुद को लड़ाई में मान रही है। वहीं राहुल गांधी के वायनाड से चुनाव लड़ने और सबरीमाला विवाद के बाद वामपंथियों का अंतिम किला भी ढहने के कगार पर पहुंच गया है।

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दरअसल, 2016 में केरल के विधानसभा चुनाव में 14 फीसदी वोट हासिल करने और एक सीट जीतने के बाद ही भाजपा का उत्साह बढ़ गया था। इसके तहत न सिर्फ आरएसएस व भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ हो रही हिंसा के मुद्दे को पुरजोर तरीके से उठाया। यहां तक अक्टूबर 2018 में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कन्नूर से त्रिवेंद्रम तक 15 दिन की पदयात्रा भी निकाली। पदयात्रा के दौरान भाजपा ने देशभर से अपने बड़े नेताओं को मैदान में उतारा।

सबरीमाला विवाद पर वामपंथियों के रूख ने भाजपा को हिंदुओं के बीच पैठ बनाने का बड़ा मुद्दा सौंप दिया और पार्टी ने इसमें कोई चूक नहीं की। वहीं केरल सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले के लागू करने की आड़ में सबरीमाला के अनुयायियों के खिलाफ पुलिस बल के प्रयोग से भी नहीं बाज नहीं आई। वहीं भाजपा ने अपने संकल्पपत्र में रामजन्मभूमि के साथ पहली बार सबरीमाला को शामिल करते हुए संसद में कानून बनाकर लोगों की आस्था को बहाल करने का वायदा किया है।

जाहिर है जिन-जिन सीटों पर नायर वोटों की संख्या ज्यादा है, वहां-वहां भाजपा की लड़ाई में आ गई है। इनमें त्रिवेंद्रम और पट्टनमथिटा में भाजपा अपनी जीत सुनिश्चित होने का दावा कर रही है। पट्टनमथिटा से भाजपा ने के सुंदरम को मैदान में उतारा है, जो सबरीमाला में राज्य सरकार की कोशिशों के खिलाफ विरोध के केंद्र में रहे थे और इसके लिए उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था। वहीं त्रिवेंद्रम में भाजपा ने राजशेखरन को मैदान में उतारा है।

इसके साथ ही भाजपा ने इस बार केरल ऊंची जाति के नायर के साथ ही ओबीसी जाति इझावा को भी अपने साथ जोड़ने की कोशिश की है। इझावा जाति से जुड़े धार्मिक संगठन श्रीनारायण धर्म परिपालन योगम (एसएनडीपी) के राजनीतिक संगठन भारत धर्म जन सेना (बीडीजेएस) के साथ समझौता किया है। यही नहीं बीडीजेएस के प्रमुख तुषार वल्लापल्ली को वायनाड में राहुल गांधी के खिलाफ उतार दिया है।

इसके साथ ही भाजपा ने इस बार पीसी थामस केरल कांग्रेस के साथ ही समझौता किया है। वहीं कभी सोनिया गांधी के करीबी रहे टाम वड्डकम को पार्टी शामिल कर और केंद्रीय मंत्री केजे अल्फांस को एर्नाकुलम से मैदान में उतार कर भाजपा ने ईसाई मतदाताओं को भी साधने की कोशिश की है। फिलहाल भाजपा के लिए यही अहम है कि केरल में पहली बार मुकाबले को कुछ सीटों पर त्रिकोणीय बनाने में सफल रही है।


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