भोपाल सीट की चुनावी जंग ने MP के दंगल को कर दिया बड़ा, दिग्विजय और प्रज्ञा में कड़ा मुकाबला
कांग्रेस के दिग्विजय सिंह के सामने यहां से भाजपा ने जिस दिन साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को उतारा यह सीट चर्चा में आ गई। तब से लेकर अब तक सारे दांव यहां आजमाए जा रहे हैं।
भोपाल, ऋषि पाण्डे। मध्यप्रदेश के 29 लोकसभा क्षेत्रों में से 16 पर मतदान शेष है। छठे और सातवें चरण में आठ-आठ सीटों पर वोट पड़ेंगे। 12 मई को छठे चरण में भोपाल, गुना, मुरैना, विदिशा, भिंड, ग्वालियर, सागर और राजगढ़ सीटों पर मतदान होगा। लेकिन चर्चा केवल भोपाल सीट की ही होती रही है। मानो एमपी का चुनाव राजधानी भोपाल के इर्दगिर्द सिमट कर रह गया हो। कांग्रेस के दिग्विजय सिंह के सामने यहां से भाजपा ने जिस दिन साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को उतारा, यह सीट चर्चा में आ गई। तब से लेकर अब तक सारे दांव यहां आजमाए जा रहे हैं। इस दौरान चुनाव आयोग तक पहुंची राज्यभर की करीब 12 हजार शिकायतों में से 16 सौ से अधिक शिकायतें भोपाल से जुड़ीं हुई थीं।
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और दिग्विजयसिंह के चुनाव मैदान में आमने सामने आने के साथ ही यह तो तय था कि भोपाल का चुनावी मंजर पिछले तमाम चुनावों से जुदा रहेगा, लेकिन किस हद का होगा इसका भान किसी को नहीं था। चुनाव प्रचार में ऐसा कोई दिन नहीं गुजरा जब कोई विवाद नहीं हुआ हो। वैसे दिगिवजय ने अपने चुनाव प्रचार को विकास पर फोकस किया हुआ है। वे रोज सुबह ट्वीट के जरिए कुछ सवाल उठाते हैं और भोपाल के विकास को लेकर उनके द्वारा किए गए काम लोगों को याद दिलाते हैं। इसके विपरीत अपने विवादास्पद बयानों के चलते 72 घंटे का प्रतिबंध झेलने वाली साध्वी प्रज्ञा ठाकुर कुछ न कुछ विवाद पैदा करती रहीं।
ऐसा पहली देखने में आ रहा है जब चुनाव मैदान के साथ साथ चुनाव आयोग में जमकर शिकायतों की लाठियां भांजी जा रही हैं। चुनाव आयोग के सूत्र बताते हैं कि 1 जनवरी से 1 मई की अवधि के बीच पूरे प्रदेश से आचार संहिता के उल्लंघन से जुड़ी 12 हजार शिकायतें मिलीं जबकि अकेले भोपाल से 1649 शिकायते मिलीं। राजनीतिक दलों ने एक दूसरे के खिलाफ 63 शिकायतें कीं। 200 शिकायतें दलों ने भोपाल में हुए राजनीतिक घटनाक्रमों को लेकर दीं। 75 शिकायतों को लेकर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय ने जिला निर्वाचन अधिकारी से प्रतिवेदन मांगा। ऐसी शिकायतों में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के हेमंत करकरे और राम मंदिर को लेकर दिए बयान की शिकायत भी शामिल थी, जिसके आधार पर प्रज्ञा के खिलाफ न सिर्फ एफआइआर दर्ज हुई बल्कि चुनाव आयोग ने उनका चुनाव प्रचार तीन दिन के लिए बैन भी किया।
भाजपा ने नवजोत सिंह सिद्धू, दिग्विजय सिंह और मंत्री पीसी शर्मा की शिकायत की तो कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान समेत स्थानीय स्तर के नेताओं के खिलाफ शिकायतें कीं। चौहान ने भोपाल में हुई एक सभा में कहा था कि मैने अपने भाषण में दिग्विजय सिंह का नाम ले लिया अब मुझे नहाना पड़ेगा। इसके अलावा सोशल मीडिया पर अलग तरह की लड़ाई चल रही है, जिसमें पुराने भाषणों और घटनाओं को लेकर ट्रोल आर्मी सक्रिय है।
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