Move to Jagran APP

Lok Sabha Election 2019: कश्मीर में शिया और ओबीसी वोटरों के सहारे भाजपा के उम्मीदवार

पिछले संसदीय चुनावों में घाटी के तीनों संसदीय क्षेत्रों में भाजपा का एक भी प्रत्याशी अपने अपने क्षेत्र में कुल वोटों का 1.5 प्रतिशत भी हासिल नहीं कर पाया था।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sat, 23 Mar 2019 01:23 PM (IST)Updated: Sat, 23 Mar 2019 01:23 PM (IST)
Lok Sabha Election 2019: कश्मीर में शिया और ओबीसी वोटरों के सहारे भाजपा के उम्मीदवार

नवीन नवाज, जम्मू। कश्मीर घाटी की तीनों संसदीय सीटों के मौजूदा राजनीतिक व सामाजिक समीकरणों के बीच भाजपा के उम्मीदवारों के लिए जीतना दूर की कौड़ी है। भाजपा भी इस तथ्य को समझती है। वह घाटी में अलगाववादियों के चुनाव बहिष्कार के बीच नेकां, कांग्रेस, पीडीपी में वोटों के विभाजन के आधार पर ओबीसी व शिया समुदाय के वोटरों के सहारे अपना खाता खोलने की उम्मीद में है।

loksabha election banner

पिछले संसदीय चुनावों में घाटी के तीनों संसदीय क्षेत्रों में भाजपा का एक भी प्रत्याशी अपने अपने क्षेत्र में कुल वोटों का 1.5 प्रतिशत भी हासिल नहीं कर पाया था।सिर्फ उत्तरी कश्मीर में बारामुला संसदीय सीट पर उसके प्रत्याशी गुलाम मोहम्मद मीर को 6558 वोट मिले थे। उनका वोट प्रतिशत 1.42 प्रतिशत रहा था। यह सीट पीडीपी के मुजफ्फर हुसैन बेग जीते थे। श्रीनगर संसदीय सीट पर भाजपा के फैयाज अहमद बट ने 4467 वोट प्राप्त किए थे जबकि दक्षिण कश्मीर में भाजपा प्रत्याशी मुश्ताक अहमद मलिक ने 4720 वोट हासिल किए थे। उनका वोट प्रतिशत 1.28 प्रतिशत रहा था।

इस बार संसदीय चुनाव में उतारे नए चेहरे

भाजपा ने इस बार पिछले संसदीय चुनावों में हारे किसी भी उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया है। दक्षिण कश्मीर से एमएलसी सोफी युसुफ को उम्मीदवार बनाया गया है जो वर्ष 2004 मेंं संसदीय चुनाव में हिस्सा ले चुके हैं। उत्तरी कश्मीर में एमएम वार को मैदान में उतारा गया है और श्रीनगर में खालिद जहांगीर को चुनाव लड़ाया जा रहा है। अपने प्रत्याशियों के लिए ज्यादा से ज्यादा वोट जुटाने के लिए भाजपा नेताओं ने बीते एक पखवाड़े से घाटी के विभिन्न हिस्सों में अपनी बैठकों का दौर शुरु कर रखा है। भाजपा कार्यकर्त्ताओं को अपने अपने इलाके में मोहल्ला स्तर पर छोटी-छोटी बैठकें कर, लोगों को समझाने और भाजपा के हक में वोट डालने को प्रेरित करने का निर्देश दिया गया है।

कश्मीर में भाजपा के लिए सीट निकालना दूर की कौड़ी

कश्मीर मामलों के जानकार मनोहर लालगामी के अनुसार, भाजपा के लिए मौजूदा संसदीय चुनावों में सीट जीतना दूर की कौड़ी है। लेकिन राजनीति में किसी भी बात को नहीं नकारा जा सकता। भाजपा ने इस बार पंचायत और स्थानीय निकाय चुनावों में कई जगह जीत दर्ज की है। उसका असर संसदीय चुनावों में आना चाहिए। अगर वह असर इनमें नजर नहीं आता तो आगामी विधानसभा चुनावों में कश्मीर में भाजपा की जीत की संभावना क्षीण रहेगी। भाजपा ने जिस तरह से इन चुनावों में चल रही है,उसे देखते हुए कहा कि जा सकता है कि वह ओबीसी और शिया वोटरों के अलावा पहाड़ी वर्ग के वोटरों पर नजर गढ़ाए हुए है। अलगाववादियों के चुनाव बहिष्कार के बीच वादी में जो मतदाता वोट डालने निकलताहै, उसका बहुसंख्यक मतदाता इन्हीं वर्गाें से आता है। उत्तरी कश्मीर में शिया, पहाड़ी और गुज्जर समुदाय का वोटर ही सबसे ज्यादा है। दक्षिण कश्मीर में गुज्जर, पहाड़ी और ग्रामीण वोटर ज्यादा है। इसी इलाके से भाजपा के एमएलसी सोफी युसुफ हैं और वही यहां चुनाव लड़ रहे हैं।

भाजपा ने बीते पांच सालों में की बहुत मेहनत

वरिष्ठ पत्रकार मकबूल वीरे ने कहा कि भाजपा ने बीते पांच सालों में कश्मीर में बहुत मेहनत की है,विशेषकर पहाड़ी और गुज्जर समुदाय के बीच उसकी पैठ नजर आती है। इसके अलावा ग्रामीण इलाकों में भी अब भाजपा की यहां चर्चा होती है। शहरी इलाकों में मतदान का प्रतिशत कम होता है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में ज्यादा होता है। इन्हीं इलाकों में पिछड़ा वर्ग से जुड़े लोग भी खूब हैं। भाजपा की रैलियां और सभाएं इन्हीं लेागों पर केंद्रित रही हैं। बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले पंच-सरपंचों में से अधिकांश भाजपा से ही थे और वह इस समय अपने अपने इलाके में भाजपा के लिए वोट जुटाने में लगे हैं। कुछ समय पहले भाजपा ने कश्मीर में पिछड़ा वर्ग को ध्यान में रखते हुए संबधित वर्ग के प्रतिनिधियों का एक सम्मेलन भी बुलाया था। इसमें भाजपा नेताओं ने उनके मुददों को हल करने का यकीन दिलाया था।

भाजपा को ओबीसी, शिया समुदाय से उम्मीद

प्रदेश भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि कश्मीर ग्रामीण, पिछड़ा वर्ग और गुज्ज्जर-बक्करवाल व शिया समुदाय उपेक्षित रहा है। भाजपा के केंद्र में आने और राज्य में भाजपा की सरकार बनने के बाद इन लोगों की कश्मीर में सुनी गई है। इसका फायदा हमें इन चुनावों में हो सकत है। लोग बेशक खुलकर यहां भाजपा की रेलियों में शामिल न हों,लेकिन वोट डालने जरुर आएंगे। श्रीनगर संसदीय सीट में शिया समुदाय का वोट निर्णायक रहता है। मुख्तार अब्बास नकवी और शहनवाज हुसैन भी यहां चुनावी रैलियां करेंगे हम उन्हीं मुददों को यहां उठाएंगे जो स्थानीय लोगों के सामाजिक व आर्थिक विकास से संबधित हैं। हमारा मकसद संसदीय चुनावेां में ज्यादा से ज्यादा वोट प्राप्त कर, विधानसभा चुनावों में कश्मीर में जीत की जमीन तैयार करना है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.