LokSabha Election 2019: सोशल मीडिया के मंच पर लड़ी जा रही बड़ी लड़ाई, भिड़ रहे सूरमा
पिछले एक दशक में तो सोशल मीडिया चुनाव प्रचार अभियान का सशक्त माध्यम बनकर उभरा है। भारत में राजनीतिक दल सोशल मीडिया को प्रचार के प्रमुख साधन के रूप में अपना रहे हैं।
धनबाद, आशुतोष कुमार पांडेय। कुछ दो दशक पीछे जाकर देखें तो चुनावी सीजन में आंखों के सामने कार, बस या ऑटो में लगे झंडे, लाउडस्पीकर से प्रत्याशी को जिताने की अपील के साथ धुआंधार नारेबाजी और छोटे-छोटे प्लास्टिक या कागज के बिल्लों के लिए लपकते बच्चों वाली चुनाव प्रचार की तस्वीर जीवंत हो उठती है। लेकिन अब यह सीन पूरी तरह बदल चुका है और इसकी जगह ले ली है छह इंच के मोबाइल फोन के स्क्रीन ने।
पिछले एक दशक में तो सोशल मीडिया चुनाव प्रचार अभियान का सशक्त माध्यम बनकर उभरा है। भारत में राजनीतिक दल सोशल मीडिया को प्रचार के प्रमुख साधन के रूप में अपना रहे हैं। शायद ही कोई राजनीतिक दल ऐसा होगा, जो इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल अपनी बात रखने और प्रतिद्वंद्वियों के आरोपों का जवाब देने के लिए न कर रहा हो। आज फेसबुक, वाट्सएप, ट्विटर या यूट्यूब जैसे माध्यमों पर राजनीतिक दलों का अधिकाधिक प्रचार हो रहा है। इसके कई कारण हैं। सबसे पहले तो यह कि आज कोई ऐसा घर नहीं है जहां मोबाइल नहीं है, और शायद ही कोई ऐसा स्मार्टफोन हो जिसमें वाट्सएप, फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब नहीं हो। लिहाजा सोशल मीडिया की पहुंच पर तो किसी को संदेह ही नहीं। इससे ज्यादा पहुंच वाला प्रचार माध्यम फिलहाल कुछ नहीं है। दूसरा इस प्रचार तंत्र में सूचनाओं का फ्लो काफी तेजी से होता है। पहल झपकते ही आप करोड़ों के बीच अपनी बात पहुंचा सकते हैं। तीसरा इस माध्यम से प्रचार करना अपेक्षाकृत सस्ता भी होता है। बस मोबाइल में इंटरनेट होना चाहिए। पोस्ट लिखा, हैशटैग किया और पहुंच गए टारगेट ऑडिएंस के पास। प्रचार के पीछे जनसंचार का एक सिद्धांत (टू ल्स्टेप थ्योरी) काम कर रहा है। इसके मुताबिक, लोग जानकारी के लिए या विचारों के लिए सीधे जनसंचार के किसी स्नोत पर कम ही निर्भर रहते हैं और अपनी जानकारी समाज के ही किसी और व्यक्ति से लेते हैं।
ऐसे किया जा रहा सोशल मीडिया पर प्रचार
-फेसबुक लाइव : जनसभाओं, रैलियों, नामांकन को बाकायदा लाइव प्रसारित किया जाता है।
-वीडियो कांफ्रेंसिंग : पार्टी के नेता अब वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से एक साथ कई शहरों के लोगों से जुड़ रहे हैं।
-फैंस क्लब: राजनीतिक दल और बड़े नेता अपने फैंस क्लब सोशल मीडिया में चला रहे हैं।
-सोशल मीडिया सेल : चुनाव प्रचार को अधिकाधिक लोगों तक पहुंचने के लिए राजनीतिक दलों ने सोशल मीडिया सेल बनाया है।
झारखंड में हमारे पास 1000 से भी अधिक वाट्सएप ग्रुप हैं। अभी सोशल मीडिया कैंपेन मोदी अगेन पर काम कर रहे हैं। 15 अप्रैल से फेसबुक पर झारखंड बोले मोदी-मोदी कैंपेन शुरू कर रहे है।
-राहुल अवस्थी, प्रदेश संयोजक, सोशल मीडिया सेल