Jharkhand : सिंहभूम से सर्वाधिक पांच बार सांसद रहे बागुन, खास वजह से रहते थे चर्चा में
सिंहभूम संसदीय चुनाव के इतिहास पर नजर डालें तो सबसे अधिक बार बागुन सुम्बरूई को लोगों का समर्थन मिला। हालांकि वे अलग-अलग दलों के टिकट पर चुनाव लड़े।
जमशेदपुर [विकास श्रीवास्तव]। झारखंड के सिंहभूम संसदीय क्षेत्र के मतदाताओं की पंसद बार-बार बदली है। संसदीय चुनाव के इतिहास पर नजर डालें तो सबसे अधिक बार बागुन सुम्बरूई को लोगों का समर्थन मिला। हालांकि, वे अलग-अलग दलों के टिकट पर चुनाव लड़े। इस सीट पर कभी झारखंड पार्टी की तूती बोलती थी। 1952 से लेकर 1977 तक इसी पार्टी के सांसद रहे। झारखंड पार्टी से बागुन सुम्बरूई भी इस सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। झापा का चुनाव चिह्न नगाड़ा हुआ करता था।
कांग्रेस को यहां चार बार जीत हासिल हुई है। 1984 के चुनाव में बागुन सुंबरूई कांग्रेस को पहली बार जीत दिलाने में कामयाब रहे। इसके बाद 1989 में बागुन सुंबरूई को फिर कांग्रेस का टिकट मिला और उन्होंने जीत दर्ज की। 1998 के चुनाव में प्रत्याशी बदल गया। इस बार कांग्रेस से चुनाव लड़ते हुए विजय सिंह सोय ने जीत हासिल की। 2004 में फिर पासा पलटा और बागुन सुंबरूई को कांग्रेस का टिकट मिला। इस बार भी वे चुनाव जीत गए। इस तरह सिंहभूम संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस को चार बार जीत हासिल हुई है।
कोल्हान की राजनीति के कहे जाते थे भीष्म पितामह
कोल्हान के राजनीति भीष्म पितामह कहे जाने वाले पूर्व सांसद बागुन सुम्बरुई के रुतबा का अंदाजा इस बात से लगाया जाता था कि वह पांच बार लोकसभा सांसद व चार बार विधायक रहे ही, अपने जमाने में कोल्हान में कांग्रेस को अपने दम पर अकेले लेकर चला करते थे। जिस ओर बागुन सुम्बरुई जाते उस ओर हुजूम चला जाता था। कद्दावर आदिवासी नेता होने के कारण उनकी खूब चलती थी। अपनी बेबाक बातों के लिए भी वह जाने जाते थे। वह जिस चीज को करना चाहते थे, दिल से करते थे। गलत बातों को वह कभी पसंद नहीं करते थे और सीधे मुंह पर बोलना और विरोध करना उनके फितरत में शामिल था। 94 साल के जवान के रुप में उनकी पहचान क्षेत्र में थी। उनका राजनीतिक जीवन लोक दल से 1955 में शुरू हुआ था। पहले विधानसभा चुनाव में वह सफल नहीं हुए लेकिन राजनीति की परख उनको होने लगी थी। उसके बाद दूसरे चुनाव में वह चाईबासा से विधायक चुने गये। उनका रुतबा भी उस समय तक खूब चलता था।
जीवन भर नहीं बदला पहनावा
गांधी जी की तरह व खुले बदन ही एक चादर लपेट कर चला करते थे। राजनीति की शुरुआत में जो वेश-भूषा अपनाया वह उनके अंतिम समय तक उन्हीं में रमे रहे। उसके बाद व कांग्रेस पार्टी के संपर्क में आये तो आयरन लेडी के नाम से मशहूर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने लोकसभा का टिकट बागुन को दे दिया। कोल्हान एक बड़ा क्षेत्र था, उसकी तैयारी भी अच्छे से की और लोकसभा पहुंच गये। इसके बाद वह क्षेत्र में बागुन दादा के रुप में पहचाने जाने लगे। राजनीति सफर भी चल निकला, कोल्हान में उनके बराबर कोई बड़ा नेता मौजूद नहीं था। लगातार वह लोकसभा फिर बिहार विधानसभा के लिए चुने जाते रहे। कई बार विवाद भी रहे, लेकिन उनको कोई परवाह नहीं थी।
शादी को लेकर चर्चा में रहते थे दादा
पूर्व सांसद बागुन सुम्बरुई अपने राजनीतिक जीवन से ज्यादा पारिवारिक जीवन को लेकर चर्चा में रहे। लोग हमेशा कहते रहे कि उन्होंने दर्जनों शादियां की हैं, लेकिन अधिकारिक रुप से चार पत्नी उनके जीवन में रही। पहली पत्नी दसमती सुम्बरुई, दूसरी पत्नी रोयबारी सुम्बरुई, तीसरी पत्नी मुक्तीदानी सुम्बरुई तीनों स्वर्गवास हो चुकी है। जबकि चौथी पत्नी अनीता सुम्बरुई जीवित हैं। पहली पत्नी से कोई बच्चा नहीं था, जबकि दूसरी पत्नी से एक पुत्र छोटा सुम्बरुई था वह मर चुका है, लेकिन बागुन बाबू का पोता सचिन सुम्बरुई अभी मौजूद है। तीसरी पत्नी से पुत्र हिटलर सुम्बरुई व एक बेटी चौथी पत्नी अनीता से अविनाश सुम्बरुई अभी हैं। कहा जाता था कि बागुन दादा काफी आशिक मिजाज थे और हर चुनाव जीतने के बाद एक शादी किया करते थे। सच्चाई चाहे जो भी लेकिन हकीकत में चार पत्नी के वह पति थे।
मदद के लिए आगे रहते थे बाबा
बागुन सुम्बरुई दूसरों की मदद करने में भी आगे रहते थे। कोई भी किसी काम को लेकर उनसे मदद की उम्मीद करते तो वह उनकी बात सुनने के बाद तुरंत उनकी मदद के लिए तैयार हो जाते थे। 90 वर्ष के उम्र में भी वह अपने प्रिय जनता के कार्य के लिए अधिकारियों के पास पहुंच कर उस कार्य को खुद करवाते थे और समस्या का समाधान करते थे। कई बार इसको लेकर जिला के उच्च पदाधकारियों के साथ विवाद भी हुआ लेकिन वह कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखते थे। तत्कालीन डीसी के.श्रीनिवासन के साथ उनका विवाद जग जाहिर है, जिस पर मनरेगा में घोटाला का आरोप बागुन सुम्बरुई ने लगा कर राज्य सरकार से जांच भी कराई थी। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा के साथ उनका जाति को लेकर विवाद से सभी वाकिफ थे। अर्जुन मुंडा को हमेशा व दूसरे जाति का बता कर कई बार जांच की मांग भी कर चुके थे।
धोती पहने नंगा आदमी को गार्डों ने लोकसभा के गेट पर रोका था
कुछ साल पहले बागुन सुम्बरुई ने मीडिया से वार्ता करते हुए एक कहानी सुनाई थी, जिसमें उनको लोकसभा में प्रवेश करने से गार्डों ने रोक दिया था। जिसके बाद काफी हंगामा हुआ और गार्डों को दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया गया था। बागुन सुम्बरुई ने खुद बताया था कि सिंहभूम लोकसभा सीट से चुन कर जब पहली बार लोकसभा में जा रहे थे तो गार्डों ने देखा कि बिना कपड़ा के नंगा आदमी कहां प्रवेश कर रहा है। तत्काल दो गार्डों ने दोनों हाथ पकड़ कर रोक लिया और उठा कर बाहर ले जाने लगे। क्योंकि वे गांधी जी की तरह धोती ही पहनते थे और वही कपड़ा शरीर पर लपेट कर रखा था, साथ में दाड़ी भी रख रहे थे। इससे गार्डों को पहचानने में परेशानी हुई कि नंगा आदमी लोकसभा में कैसे प्रवेश कर रहा है। इसके बाद तुरंत मेरा पीए दौड़ कर आया और गार्डों से कहा कि बिहार राज्य के सिंहभूम लोकसभा क्षेत्र से सदस्य हैं तो गार्डों ने मांफी मांगी। यह जानकारी लोकसभा के अंदर तक पहुंच चुका था। हमारे साथियों ने थोड़ा हंगामा किया तो दोनों गार्डों को दूसरी ओर काम पर लगा दिया गया।
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