बाबूलाल-राजकुमार फाइनल, लेकिन रवींद्र राय पर अब भी सस्पेंस बरकरार
कोडरमा लोकसभा क्षेत्र में त्रिकोणीय संघर्ष होना तय है लेकिन ये तीन योद्धा कौन होंगे यह अभी तय नहीं हो सका है। वर्तमान सांसद डॉ. रवींद्र कुमार राय को लेकर सस्पेंस अभी बरकरार है।
By Edited By: Published: Sun, 24 Mar 2019 03:46 AM (IST)Updated: Sun, 24 Mar 2019 03:51 AM (IST)
दिलीप सिन्हा, गिरिडीह: कोडरमा लोकसभा क्षेत्र में त्रिकोणीय संघर्ष होना तय है, लेकिन ये तीन योद्धा कौन होंगे, यह अभी तक तय नहीं हो सका है। महागठबंधन से पूर्व मुख्यमंत्री व झाविमो अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी एवं भाकपा माले से विधायक राजकुमार यादव का लड़ना तो तय है, लेकिन भाजपा से वर्तमान सांसद डॉ. रवींद्र कुमार राय को लेकर सस्पेंस अभी भी बरकरार है।
भाजपा ने कोडरमा में अभी अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है। भाजपा कोडरमा, रांची एवं चतरा के मौजूदा सांसदों को टिकट देने या न देने के सवाल को लेकर पसोपेश में है। कोडरमा में सांसद रवींद्र कुमार राय को टिकट के लिए गांडेय के भाजपा विधायक प्रो. जयप्रकाश वर्मा से कांटे की टक्कर मिल रही है। संभव है कि भाजपा रविवार तक अपने प्रत्याशी की घोषणा कर देगी। सांसद रवींद्र एवं विधायक जयप्रकाश दोनों ही दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। दोनों ने पूरी ताकत लगा दी है। दोनों के बीच शाह-मात का खेल चल रहा है।
बाबूलाल कोडरमा से तीन बार जीत चुके हैं चुनाव: जहां तक बाबूलाल का सवाल है तो वे तीन बार कोडरमा से चुनाव जीत चुके हैं। पहला चुनाव 2004 में दुमका छोड़कर कोडरमा से लड़े थे और रिकार्ड वोटों से जीते थे। उस चुनाव में पूरे झारखंड में भाजपा से जीतने वाले वे इकलौते सांसद थे। इसके बाद 2006 में उन्होंने भाजपा व लोकसभा की सदस्यता दोनों से इस्तीफा दे दिया था। निर्दलीय लड़कर भी वे तब जीते थे। 2009 के चुनाव में उन्होंने झाविमो से यहां भाग्य आजमाया। इस चुनाव में भी वे जीते। 2014 के चुनाव में वे कोडरमा के बजाय दुमका से लड़े। कोडरमा में प्रणव वर्मा को उतारा। बाबूलाल व प्रणव दोनों हार गए। वहीं कोडरमा सीट पर भाजपा के डॉ. रवींद्र कुमार राय ने कब्जा कर लिया। इस बार बाबूलाल ने फिर से कोडरमा से लड़ने की घोषणा की है। लंगटा बाबा की समाधि से पदयात्रा कर बाबूलाल ने एलान कर दिया कि वे कोडरमा से इस बार चुनाव लड़ेंगे। बाबूलाल का यहां से चुनाव लड़ना पहले से ही तय माना जा रहा था। यही कारण था कि पिछले लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी रहे प्रणव वर्मा टिकट मिलने की संभावना नहीं दिखने पर झाविमो से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थाम लिया था।
राजकुमार फाइनल, दो दिनों में होगी आधिकारिक घोषणा: वहीं पिछले कई चुनावों से भाजपा एवं बाबूलाल से लोहा लेने वाले विधायक राजकुमार यादव ही इस बार भी कोडरमा से माले के उम्मीदवार होंगे। वैसे पार्टी ने अभी अधिकृत रूप से इसकी घोषणा नहीं की है। पार्टी महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने बताया कि दो दिनों के अंदर प्रत्याशी की अधिकृत तौर पर घोषणा कर दी जाएगी। दीपांकर बगोदर में ही शनिवार से कैंप कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार रविवार को पार्टी नेताओं संग बैठक में दीपंकर इस संबंध में अंतिम निर्णय लेंगे। माले में दूसरे किसी नाम पर विचार होने की संभावना नहीं है। कारण, प्रत्याशी बदलते ही माले का जो जातिगत आधार है, वह टूट जाएगा। इस खतरे को देखते हुए पार्टी कोई भी जोखिम लेने को तैयार नहीं है।
भाजपा में सबसे अधिक उहापोह: जहां तक भाजपा का सवाल है तो सबसे उहापोह की स्थिति वहीं है। कार्यकर्ता और नेता किसी को अभी तक पता नहीं है कि उम्मीदवार कौन होगा। इस कारण भाजपा का चुनाव प्रचार यहां अभी तक शुरू नहीं हो सका है। टिकट की टिकटिक में पूरी भाजपा उलझी हुई है। वहीं झाविमो एवं माले दोनों पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतर गयी है। माले की कमान खुद दीपंकर और झाविमो की कमान खुद बाबूलाल संभाले हुए हैं। बाबूलाल का खेमा जहां इस बात का इंतजार कर रहा है कि रवींद्र राय का टिकट कट जाए तो वहीं माले की चाहत रवींद्र की उम्मीदवारी है। कारण, रवींद्र का टिकट कटने से उनके स्वजातीय वोटों का झुकाव बाबूलाल की ओर होगा जो माले की सेहत के लिए ठीक नहीं होगा। बहरहाल जो भी हो, लेकिन कोडरमा में इस बार संघर्ष बहुत जोरदार होना तय है।
भाजपा ने कोडरमा में अभी अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है। भाजपा कोडरमा, रांची एवं चतरा के मौजूदा सांसदों को टिकट देने या न देने के सवाल को लेकर पसोपेश में है। कोडरमा में सांसद रवींद्र कुमार राय को टिकट के लिए गांडेय के भाजपा विधायक प्रो. जयप्रकाश वर्मा से कांटे की टक्कर मिल रही है। संभव है कि भाजपा रविवार तक अपने प्रत्याशी की घोषणा कर देगी। सांसद रवींद्र एवं विधायक जयप्रकाश दोनों ही दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। दोनों ने पूरी ताकत लगा दी है। दोनों के बीच शाह-मात का खेल चल रहा है।
बाबूलाल कोडरमा से तीन बार जीत चुके हैं चुनाव: जहां तक बाबूलाल का सवाल है तो वे तीन बार कोडरमा से चुनाव जीत चुके हैं। पहला चुनाव 2004 में दुमका छोड़कर कोडरमा से लड़े थे और रिकार्ड वोटों से जीते थे। उस चुनाव में पूरे झारखंड में भाजपा से जीतने वाले वे इकलौते सांसद थे। इसके बाद 2006 में उन्होंने भाजपा व लोकसभा की सदस्यता दोनों से इस्तीफा दे दिया था। निर्दलीय लड़कर भी वे तब जीते थे। 2009 के चुनाव में उन्होंने झाविमो से यहां भाग्य आजमाया। इस चुनाव में भी वे जीते। 2014 के चुनाव में वे कोडरमा के बजाय दुमका से लड़े। कोडरमा में प्रणव वर्मा को उतारा। बाबूलाल व प्रणव दोनों हार गए। वहीं कोडरमा सीट पर भाजपा के डॉ. रवींद्र कुमार राय ने कब्जा कर लिया। इस बार बाबूलाल ने फिर से कोडरमा से लड़ने की घोषणा की है। लंगटा बाबा की समाधि से पदयात्रा कर बाबूलाल ने एलान कर दिया कि वे कोडरमा से इस बार चुनाव लड़ेंगे। बाबूलाल का यहां से चुनाव लड़ना पहले से ही तय माना जा रहा था। यही कारण था कि पिछले लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी रहे प्रणव वर्मा टिकट मिलने की संभावना नहीं दिखने पर झाविमो से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थाम लिया था।
राजकुमार फाइनल, दो दिनों में होगी आधिकारिक घोषणा: वहीं पिछले कई चुनावों से भाजपा एवं बाबूलाल से लोहा लेने वाले विधायक राजकुमार यादव ही इस बार भी कोडरमा से माले के उम्मीदवार होंगे। वैसे पार्टी ने अभी अधिकृत रूप से इसकी घोषणा नहीं की है। पार्टी महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने बताया कि दो दिनों के अंदर प्रत्याशी की अधिकृत तौर पर घोषणा कर दी जाएगी। दीपांकर बगोदर में ही शनिवार से कैंप कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार रविवार को पार्टी नेताओं संग बैठक में दीपंकर इस संबंध में अंतिम निर्णय लेंगे। माले में दूसरे किसी नाम पर विचार होने की संभावना नहीं है। कारण, प्रत्याशी बदलते ही माले का जो जातिगत आधार है, वह टूट जाएगा। इस खतरे को देखते हुए पार्टी कोई भी जोखिम लेने को तैयार नहीं है।
भाजपा में सबसे अधिक उहापोह: जहां तक भाजपा का सवाल है तो सबसे उहापोह की स्थिति वहीं है। कार्यकर्ता और नेता किसी को अभी तक पता नहीं है कि उम्मीदवार कौन होगा। इस कारण भाजपा का चुनाव प्रचार यहां अभी तक शुरू नहीं हो सका है। टिकट की टिकटिक में पूरी भाजपा उलझी हुई है। वहीं झाविमो एवं माले दोनों पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतर गयी है। माले की कमान खुद दीपंकर और झाविमो की कमान खुद बाबूलाल संभाले हुए हैं। बाबूलाल का खेमा जहां इस बात का इंतजार कर रहा है कि रवींद्र राय का टिकट कट जाए तो वहीं माले की चाहत रवींद्र की उम्मीदवारी है। कारण, रवींद्र का टिकट कटने से उनके स्वजातीय वोटों का झुकाव बाबूलाल की ओर होगा जो माले की सेहत के लिए ठीक नहीं होगा। बहरहाल जो भी हो, लेकिन कोडरमा में इस बार संघर्ष बहुत जोरदार होना तय है।
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