Amethi Lok Sabha Election 2019: Smriti Irani के लिए पिछले चुनाव से 2019 तक कितने बदले हालात, यहां जानिए सही स्थिति
Amethi Lok Sabha Constituency पर Rahul Gandhi और भाजपा की Smriti Irani के बीच करारी चुनावी टक्कर है। राहुल यहां से चौथी बार लड़ रहे हैं जबकि स्मृति दूसरी बार मैदान में हैं।
नई दिल्ली [ जागरण स्पेशल ]। अमेठी लोकसभा सीट पर पिछली बार की तरह इस बार भी करारी चुनावी टक्कर के हालात हैं। गांधी परिवार की परंपरागत सीट रही अमेठी पर पिछली बार की तरह इस बार भी भाजपा प्रत्याशी स्मृति इरानी मैदान में हैं। स्मृति इरानी के लिए इस बार यहां के हालात भी बदले बताए जा रहे हैं। दरअसल, वह पिछली हार के बाद से यहां पर लगातार एक्टिव हैं। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि उन्होंने मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित किया है।
लोकसभा चुनाव के तहत 6 मई को पांचवे चरण के लिए मतदान होना है। इस चरण में वीवीआईपी श्रेणी की सीट कही जाने वाली अमेठी लोकसभा क्षेत्र के लोग भी मतदान करेंगे। अमेठी सीट के अब तक के इतिहास में ऐसे सिर्फ दो मौके रहे हैं जब कांग्रेस को हार का मुंह देखना पड़ा हो। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी यहां से लगातार तीन बार सांसद चुने गए और वह चौथी बार भी मैदान में हैं। उनको चुनौती देने के लिए पूरी तैयारी के साथ भाजपा की मंत्री स्मृति इरानी चुनाव लड़ रही हैं।
राजनीतिक विष्लेशकों के मुताबिक कांग्रेस और भाजपा का पलड़ा यहां पर बराबर की स्थिति में है। लेकिन वह कहते हैं कि पिछली हार से सबक लेकर स्मृति इरानी ने लगातार यहां पर लोगों से मुलाकात कर अपना आधार मजबूत किया है। वह कई मौकों पर लोगों की समस्याओं में साथ खड़ी रही हैं। हाल ही में उनके चुनाव क्षेत्र के एक गांव में आग की घटना का वीडियो वायरल हो हुआ। इस वीडियो में वह आग बुझाने के लिए खुद नल चलाकर बाल्टियों में पानी भर रही हैं और लोगों को आग बुझाने के लिए प्रेरित कर रही हैं। ऐसे ही कुछ अन्य मौके भी देखने को मिले जो यह बताते हैं कि उन्होंने जनता का दिल जीतने का हर प्रयास किया है।
चुनावी जानकार इस बात से भी इनकार नहीं करते हैं कि 2014 के चुनाव में जब मोदी लहर थी और कमजोर से कमजोर भाजपा प्रत्याशी चुनाव जीतकर संसद पहुंचा। तब भी स्मृति इरानी कांग्रेस के गढ़ में सेंध लगाने में नाकाम रहीं। जानकारों के मुताबिक पिछली बार की तरह 2019 के चुनाव में मोदी लहर नहीं है। ऐसे में वह किस तरह से कांग्रेस को हार का स्वाद चखा पाएंगी।
हालांकि, राहुल गांधी के अमेठी के साथ ही वायनाड से भी चुनाव लड़ने की बात इस ओर इशारा जरूर करती है कि कांग्रेस रिस्क नहीं लेना चाहती है। भाजपा के समर्थक इस स्थिति को अपनी जीत के रूप में देखते हैं। कुलमिलाकर 2014 के चुनावों की अपेक्षा 2019 के चुनावों में स्मृति इरानी के लिए हालात काफी बदले हैं। अब जनता किस ओर अपना झुकाव दिखाएगी यह चुनाव के बाद ही पता चल पाएगा।
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