LokSabha Election 2019: सावधान! चुनाव कार्य में की लापरवाही तो कार्रवाई तय मानिए
पांच मतदान केंद्रों से बीएलओ जबकि दो मतदान केंद्रों से दो पर्यवेक्षक बगैर सूचना के गायब थे। एसडीओ ने निलंबन की अनुशंसा जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह उपायुक्त से की है।
देवघर, जेएनएन। आसन्न लोकसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत बढ़ाने तथा निष्पक्ष चुनाव के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है, लेकिन कर्मियों की उदासीनता के कारण प्रशासन का यह प्रयास कहीं न कहीं विफल होता भी नजर आ रहा है। कुछ ऐसी ही उदासीनता 29 मार्च को आयोजित विशेष कैंप में देखने को मिला। छूटे हुए मतदाताओं का नाम सूची में जोडऩे के लिए विभिन्न मतदान केंद्रों पर विशेष कैंप का आयोजन किया गया था, जहां बीएलओ व पर्यवेक्षक की उपस्थिति में काम पूरा किया जाना था, लेकिन कई मतदात केंद्रों से बीएलओ व पर्यवेक्षक नदारत थे। इसका खुलासा अनुमंडल पदाधिकारी सह निर्वाचक निबंधन पदाधिकारी विशाल सागर के औचक निरीक्षण में हुआ।
पांच मतदान केंद्रों से पांच बीएलओ जबकि दो मतदान केंद्रों से दो पर्यवेक्षक बगैर सूचना के गायब थे। एसडीओ ने इनके निलंबन की अनुशंसा जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह उपायुक्त राहुल कुमार सिन्हा से की है। एसडीओ के निरीक्षण के दौरान मतदान केंद्र से आर मित्रा प्लस टू विद्यालय से बीएलओ माया देवी, आरएल सर्राफ उवि से उषा देवी व बबिता देवी, मातृ मंदिर बालिका उवि से सुभद्रा देवी जबकि जयसवाल उवि भवन से सुनीता कुमारी गायब थी। इसके अलावा आर मित्रा व मातृ मंदिर बालिका उवि से पर्यवेक्षक भी अनुपस्थित थे। इनके निलंबन की अनुशंसा की गई है। देवघर के एसडीओ की ओर से निलंबन के अनुशंसा संबंधित पत्र 30 मार्च को उपायुक्त को भेजा गया है। इसमें कहा गया है कि राज्य निर्वाचन आयोग के निर्देश पर लोक सभा चुनाव के मद्देनजर 29 मार्च को विशेष कैंप के आयोजन के तहत सभी मतदान केंद्रों पर संबंधित बीएलओ को अंतिम प्रकाशित मतदाता सूची के साथ उपस्थित रहने का निर्देश दिया गया था। ताकि वैसे योग्य व्यक्तियों का नाम, जिनका अभी तक मतदाता सूची नहीं है, नाम जोड़ा जा सके। इस दौरान उन्होंने नगर निगम के विभिन्न मतदान केंद्रों का निरीक्षण किया। इसमें पांच बीएलओ व पर्यवेक्षक बगैर सूचना के गायब मिले।
र्यवेक्षकों के मोबाइल पर भी संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन संपर्क नहीं हो सका। इससे प्रतीत होता है कि लोक सभा निर्वाचन जैसे अति महत्वपूर्ण कार्य में भी इनके द्वारा रूचि नहीं लिया जा रहा है। ऐसी स्थिति में राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा सुयोग्य मतदाताओं का नाम मतदाता सूची में जोडऩे के लिए चलाए जा रहे अभियान के पूरा नहीं होने की संभावना भी प्रबल है। इससे स्पष्ट है कि सरकारी सेवक होने के बावजूद भी प्रतिनियुक्त कर्मी का निर्वाचन कार्य में रूचि नहीं लेना अनुशासनहीनता, उच्चाधिकारियों के आदेश की अवहेलना व गैर जिम्मेदाराना पूर्ण रवैये को दर्शाता है।