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Haryana Assembly Election Results 2019: 'मोर पंख से भाग्य लिखवाकर लाए हैं लक्कीमैन'

अब लक्कीमैन की जीत के बाद यह माना जा रहा है कि नई सरकार में पलवल के डिंपल बाबू और लक्कीमैन का ही हाइक्यू का स्थान लेने के लिए जोड़-तोड़ रहेगी।

By Mangal YadavEdited By: Published: Fri, 25 Oct 2019 02:22 PM (IST)Updated: Fri, 25 Oct 2019 02:22 PM (IST)
Haryana Assembly Election Results 2019: 'मोर पंख से भाग्य लिखवाकर लाए हैं लक्कीमैन'

फरीदाबाद [बिजेंद्र बंसल]। फरीदाबाद से पहले हाइक्यू मंत्री का टिकट कटवाकर टिकट लेने और फिर एक तरफा चुनाव जीतने वाले लक्कीमैन के बारे में चुनाव प्रचार के दौरान सेक्टर-15 के चावलाजी और सेक्टर-17 के सीए साहब ने कहा था कि ये मोर पंख से अपना भाग्य लिखवाकर आए हैं।

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अब लक्कीमैन की जीत के बाद यह माना जा रहा है कि नई सरकार में पलवल के डिंपल बाबू और लक्कीमैन का ही हाइक्यू का स्थान लेने के लिए जोड़-तोड़ रहेगी। वैसे दोनों की काबिलियत एक ही है। पैसे का पूरा दम और व्यवहार में सौम्यता। इसलिए सौम्य नेताजी को भी दोनों में एक का चयन भारी पड़ेगा। सौम्य नेताजी इस बार लक्कीमैन के बारे में सोच समझकर फैसला करेंगे क्योंकि उन्हें अपनी चौधराहट का ध्यान रखना होगा। इसके बावजूद यदि लक्कीमैन का भाग्य जोर मारेगा तो उन्हें कौन रोक सकता है। आखिर लक्कीमैन तो लक्कीमैन ही हैं।

पंडितजी के समधी बड़े पंडितजी ने दे दिया आशीर्वाद

कहते हैं कि कुछ बुजुर्गों का आशीर्वाद अंतिम दौर में ही मिलता है। बड़े पंडितजी ने ऐतिहासिक नगरी के पंडित जी को समधी होने के बावजूद कभी अपनी चलती में आशीर्वाद नहीं दिया। इस बार लगता है कि बड़े पंडितजी की हार के बाद ऐतिहासिक नगरी के पंडितजी को आशीर्वाद मिल जाएगा। कोई कुछ भी कहे, ऐतिहासिक नगरी के पंडितजी ने भी इतिहास ही रचा है अन्यथा ऐतिहासिक नगरी से लगातार दो बार कोई पंडित चंडीगढ़ नहीं गया, जबकि तीन बार पंडित यहां से चंडीगढ़ गए पर उन्होंने दोबारा विस की कुर्सी नहीं देखी।

जीत कर भी हार गए सौम्य नेताजी

सौम्य नेताजी की इस बार बड़ी जीत हुई है मगर फिर भी वे हार गए हैं। उनके नयनतारा के दोस्त पृथला में हार गए। दूसरे न चाहते हुए भी उनके नयनतारा की सीट तिगांव पर उन्हें शरीफ गुर्जर की मदद करनी पड़ी। अब नयनतारा के निजी दोस्त तो यह भी कहते हैं कि यदि सौम्य नेताजी मान जाते तो नयनतारा का कद भी इस बार पृथला के नैनू चौधरी की तरह हो जाता। सूबे में वे मंत्री भी बनते और साबित कर देते कि राजनीति उन्हें भी आती है। खैर, सौम्य नेताजी ने अकेले में यह भी कहा है कि वे अब कभी नयनतारा का दिल नहीं दुखाएंगे।

राजनीति की बर्फी बनाकर खा गए डिंपल बाबू

पलवल के डिंपल बाबू ने भी कमाल कर दिया। बर्फी का दूध भूनते-भूनते केडी भाई साहब की राजनीति की भी बर्फी बनाकर खा ली। यूं तो डिंपल बाबू कभी केडी भाई साहब के खासमखास हुआ करते थे मगर जब उन्होंने राजनीति में पैर रखा तो केडी भाई साहब की राजनीतिक जमीन ही खाली कर दी।

केडी भाई साहब के लिए एक पनौती भी है। जिस चुनाव में उनके खिलाफ पलवल के सफेद मूंछ वाले चौधरी साहब पूरे जोर-शोर से नि:स्वार्थ खड़े हो जाते हैं, उसमें केडी की जमीन हिल जाती है। इस बार मूंछ वाले चौधरी को सौम्य नेताजी ने रोक दिया था मगर डिंपल बाबू ने एक सच्चे संत के आशीर्वाद से अपने दल में ले ही लिया। बस अब क्या है, जैसे 1996 में केडी चंडीगढ़ से पलवल में आए थे, वैसे ही डिंपल बाबू आएंगे।

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