Move to Jagran APP

गुजरात चुनाव 2017: राजकोट पर चढऩे लगा चुनावी रंग

गुजरात को तीन मुख्यमंत्री देने वाले राजकोट में रूपाणी की प्रतिष्ठा दांव पर-सीएम याद दिला रहे हैं मेयर के जमाने की उपलब्धियां।

By Babita KashyapEdited By: Published: Fri, 03 Nov 2017 12:33 PM (IST)Updated: Mon, 06 Nov 2017 09:00 PM (IST)
गुजरात चुनाव 2017: राजकोट पर चढऩे लगा चुनावी रंग
गुजरात चुनाव 2017: राजकोट पर चढऩे लगा चुनावी रंग

राजकोट, ऋषि पाण्डे। गुजरात को तीन-तीन मुख्यमंत्री देने वाले राजकोट पर विधानसभा का चुनावी रंग चढऩे लगा है। यहां चुनाव में मौजूदा मुख्यमंत्री विजय रूपाणी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। भाजपा के लिए सर्वाधिक सुरक्षित क्षेत्र होने के बावजूद पार्टी मतदाताओं को रूपाणी के पार्षद और नगर निगम मेयर के तौर पर किए गए कामों को याद दिलाने को मजबूर हो रही है। अब तक न तो कांग्रेस और ना ही भाजपा ने अपने उम्मीदवार घोषित किए हैं, फिर भी राजकोट की सड़के चुनावी रंग से सराबोर हैं।

loksabha election banner

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब पहली बार गुजरात के मुख्यमंत्री बने थे, तब राजकोट ने ही उपचुनाव के जरिये उन्हें विधायक बनाया था। उससे पहले केशुभाई पटेल यहां से चुनाव जीतकर मुख्यमंत्री बन चुके हैं। भाजपा की राजनीति के एक और दिग्गज वजुभाई बाला भी राजकोट से चुनाव जीतते रहे हैं। रूपाणी उन खुशकिस्मत राजनेताओं में से हैं, जो पहली बार विधायक बने और किस्मत ने ऐसा साथ दिया कि पहली ही बार में उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी भी मिल गई। रूपाणी की छवि जमीनी नेता कीयूं रूपाणी की व्यक्तिगत इमेज सीधे सरल और जमीनी नेता की है।

पार्षद से मुख्यमंत्री तक के सफर में पद और रुतबा कभी उनके सिर चढ़ कर नहीं बोला। रूपाणी को उनकी व्यक्तिगत छवि के अलावा मोदी के नाम का भी लाभ मिल रहा है। गुजरात में ऐसे लोगो की भी कमी नहीं है, जो प्रधानमंत्री मोदी को गुजराती अस्मिता से जोड़कर देखते हैं। राजकोट के सर्राफा कारोबारी संजय भाई शाह की नजरों से देखे तो मोदी अकेले ऐसे खांटी गुजराती नेता हैं, जो खुद के दम पर देश के सर्वोच्च पद पर पहुंचे हैं। शाह कहते हैं, 'मेरे कई सारे नाते रिश्तेदार अमेरिका में रहते हैं, जो बताते हैं कि मोदी के पीएम बनने के बाद कैसे भारत और भारतीयों की पूछ बढी है?' वह सवाल करते हैं, 'बताइए ऐसे में मैं कैसे दूसरी पार्टी को वोट करूं?' राजकोट पश्चिम से हैं उम्मीदवार राजकोट बेहद शांत शहर है।

अपराध यहां नहीं के बराबर है। शहरवासी इस बात पर गर्व महसूस करते हैं कि रात को 12 बजे भी लड़कियां यहां की सड़कों पर अकेले घूम सकती है। यूं इस शहर में विधानसभा की चार सीटें हैं, लेकिन विजय रूपाणी जिस राजकोट पश्चिम सीट से चुनाव लड रहे हैं, वहां ज्यादातर सभ्रांत और पढ़ा-लिखा तबका रहता है। वोटरों का बड़ा हिस्सा व्यापारियों का है, जो व्यक्ति नहीं, विचारधारा को महत्व देता आया हैं। युवा मतदाताओं का एक ऐसा वर्ग भी है, जिसने होश संभालने के बाद से भाजपा को ही पावर में देखा। 32 साल के शेयर कारोबारी अर्जुन देसाई का कहना है कांग्रेस को कभी सरकार चलाते देखा नहीं तो कैसे भरोसा कर ले। जीएसटी और नोटबंदी के बाद यह तबका थोडा विचलित जरूर हुआ है, लेकिन भाजपा के रणनीतिकारों को भरोसा है कि सब ठीक हो जाएगा। खुद मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने सोमवार को पार्टी कार्यकर्ताओं को स्नेह सम्मेलन में जीत का भरोसा दिलाया। उनका कहना था कि राजकोट लंबे समय से भाजपा के साथ है और इस बार भी साथ नहीं छोड़ेगा।

कांग्रेस के राजगुरु से मुकाबला संभवउनसे मुकाबले के इच्छुक कांग्रेस दावेदार इंद्रनील राजगुरु का तर्क है कि गुजरात का इतिहास रहा है कि ब्राह्माण और बनिया वर्ग का व्यक्ति सीएम बनने के बाद दूसरा चुनाव नहीं जीत पाया। राजगुरु राजकोट पूर्व से कांग्रेस के विधायक हैं और मुख्यमंत्री के खिलाफ चुनाव लडऩे के लिए कांग्रेस नेतृत्व को राजी कर चुके हैं। साधन संपन्न राजगुरु अपना चुनाव प्रचार शुरू भी कर चुके हैं। राजकोट के आम लोग मानते हैं कि मुकाबला कड़ा है, इसीलिए भाजपा को मुख्यमंत्री के तब के काम भी याद दिलाने पड़ रहे हैं, जब वे पार्षद और मेयर थे। राजकोट भाजपा के प्रवक्ता राजू ध्रूव इससे इत्तेफाक नहीं रखते। उनका कहना है कि राजकोट हमेशा से विजय भाई के दिल में रहा है, इसलिए हमारा फर्ज बनता है कि हम लोगो को उन कार्यो के बारे में बताए, जो उनके द्वारा राजकोट के लिए किए गए। फिर वह मुख्यमंत्री के नाते किए गए हो या मेयर के नाते।

राजकोट चेंबर ऑफ कामर्स के अध्यक्ष शिवलाल बारसिया इस बात से नाराज दिखे कि राजकोट के आसपास के उद्योगों को कोई खास सहूलियत नहीं मिल पाई है। पाटीदारों की भूमिका प्रभावीराजकोट पश्चिम विकसित शहरी क्षेत्र है। पेशे से प्राइवेट शिक्षक ज्योति बेन की माने तो राजकोट शहर का जितना भी विकास हुआ है, वह सब भाजपा की देन हैं। कांग्रेस को यहां लोगो ने मौका कब दिया? वह इस बात से संतुष्ट दिखी कि रूपाणी ने शहर को अत्याधुनिक बस अड्डा के साथ इंटरनेशनल एयरपोर्ट की भी सौगात दी। जातीय समीकरण देखे जाए तो पाटीदार यहां प्रभावी भूमिका में हैं। लगभग 55 हजार पाटीदार मतदाता राजकोट में हैं। पाटीदारों के अलावा 20 हजार बनिया, 30 हजार ब्राह्माण और 25 हजार ठक्कर समुदाय के वोटर हैं। 

यह भी पढ़ें: गुजरात के हिंदीभाषी भी अब भाजपा के साथ


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.