बिहार के किशनगंज में नेपाली सुरक्षा प्रहरी की ओर से की गई फायरिंग में एक भारतीय नागरिक के घायल होने के बाद यह अंदेशा यकीन में ही बदलता है कि नेपाल सरकार भारत को उकसाने के लिए किसी भी सीमा तक जाने को तैयार है। किशनगंज की घटना बीते एक महीने में तीसरी ऐसी वारदात है जिसमें नेपाली सुरक्षा प्रहरियों की ओर से जानबूझकर भारतीय नागरिकों को निशाना बनाया गया। पिछले महीने सीतामढ़ी में की गई इसी तरह की फायरिंग में तो एक भारतीय नागरिक की मौत भी हो गई थी। उस घटना पर अफसोस जताने के बजाय अररिया में गोलियां चलाई गईं और अब किशनगंज का मामला सामने है। ऐसा लगता है कि चीन की गोद में बैठ चुकी नेपाल की मौजूदा सरकार भारत के संयम को उसकी कमजोरी समझ रही है। उसका मुगालता दूर करने के लिए भारत को कुछ करना होगा। यह इसलिए और भी आवश्यक है, क्योंकि नेपाली सुरक्षा प्रहरी सीमा पर छेडछाड़ कर यथास्थिति बदलने की भी कोशिश कर रहे हैं।

यह मानने के अच्छे-भले कारण हैं कि उन्हें भारत के खिलाफ उकसावे वाली हरकतें करने को कहा गया है। सीतामढ़ी और किशनगंज सरीखी घटनाओं को लेकर कूटनीतिक स्तर पर नेपाल को कड़ी चेतावनी दी जानी चाहिए। नि:संदेह इसके साथ ही नेपाली जनता को यह संदेश देना भी आवश्यक है कि उनकी कम्युनिस्ट सरकार भारत से जानबूझकर संबंध खराब करने पर तुली है और इस क्रम में उनके हितों की भी परवाह नहीं कर रही है।

नेपाल की मौजूदा सरकार को आगाह करते हुए ऐसा कुछ नहीं होना चाहिए जिससे प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को भारत के खिलाफ विषवमन करने का मौका मिले। ध्यान रहे कि वह पहले से ही यह काम करने में लगे हुए हैं। उत्तराखंड के इलाकों पर दावा ठोकने से लेकर अयोध्या को लेकर मूर्खतापूर्ण बयान देने से यदि कुछ स्पष्ट होता है तो यही कि केपी शर्मा ओली नेपाल में भारत विरोध का माहौल खड़ा कर अपनी डगमगाती कुर्सी बचाना चाह रहे हैं। चूंकि वह अपने भारत विरोधी रुख-रवैये से चीन को भी खुश करने में लगे हुए हैं इसलिए उनकी शरारत भरी राजनीति को लेकर अतिरिक्त सतर्कता बरतने की जरूरत है।

यह सही है कि नेपाल और भारत के सांस्कृतिक एवं सामाजिक संबंध सदियों पुराने हैं और उन पर इतनी आसानी से आंच नहीं आ सकती, लेकिन भारतीय नीति-नियंताओं के लिए यह तो चिंता का विषय बनना ही चाहिए कि नेपाल सरकार उन्हीं पर चुन-चुनकर प्रहार कर रही है। चिंता का विषय यह भी है कि प्रधानमंत्री ओली के साथ नेपाली नेताओं का एक वर्ग नेपाल स्थित चीनी राजदूत का हुक्म बजाने में लगा हुआ है।