नशे की चुनौती से जूझ रहे जम्मू कश्मीर में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की सरकारी गाड़ी से मादक पदार्थ हेरोइन बरामद होना शर्मनाक और दुर्भाग्यपूर्ण है। इससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि किस प्रकार से सरकारी कर्मचारी भी इस गोरखधंधे में संलिप्त हैं। यह सही है कि उस अधिकारी का मादक पदार्थों की तस्करी के साथ कुछ भी लेना लेना देना नहीं है, लेकिन उनकी गाड़ी की आड़ में तस्करी होना चिंताजनक है। यह बात किसी से नहीं छुपी है कि राज्य में नशे की समस्या किस कदर हावी हो गई है। सैकड़ों युवा इसकी चपेट में है और कइयों की अभी तक नशे के कारण मौत भी हो चुकी है। यह अच्छा है कि राज्य सरकार और पुलिस भी इस समस्या को लेकर गंभीर है और उन्होंने अभियान भी छेड़ा हुआ है। विडंबना यह है कि सरकारी विभागों में बैठे कई कर्मचारी खुद ही इस गोरखधंधे को चला रहे हैं। विगत दिवस ट्रैफिक पुलिस के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की गाड़ी से ड्राइवर का हेरोइन के साथ गिरफ्तार होने के बाद यह कहा जा सकता है कि अभी इस धंधे में कई और शामिल हो सकते हैं।

जम्मू कश्मीर एक ऐसा राज्य है जिसकी सीमा पाकिस्तान के साथ लगती है और पाकिस्तान की यह साजिश है कि आतंकवाद के साथ-साथ युवाओं को नशे की गर्त में भी डूबोया जाए। सीमा पार से तस्करी होने के कई मामले में कुछ सालों में दर्ज हो चुके हैं। दुख कि बात यह है कि अभी तक नशे के बड़े सौदागरों पर पुलिस शिकंजा नहीं कस पाई है। पुलिस को चाहिए कि वे गिरफ्तार ड्राइवर से गहनता से पूछताछ कर इस धंधे के सरगना को पकडऩे के लिए प्रयास करे। यह सर्वविदित है कि यहां से तस्करी कर लाए जाने वाले मादक पदार्थ राज्य के विभिन्न कोनों के अलावा बाहरी राज्यों में भी भेजे जाते हैं। इतना ही नहीं, कई बार पंजाब, दिल्ली व अन्य प्रदेशों से भी मादक पदार्थ जम्मू कश्मीर में लाए जाते हैं। ऐसे गिरोहों का पर्दाफाश किए बगैर इस पर अंकुश लगाना संभव नहीं है। पुलिस को चाहिए कि वे पूरे राज्य में नशे के खिलाफ अभियान को तेजी दे और लोगों को जागरूक करने के लिए भी अभियान चलाए। इसमें गैर सरकारी संगठनों व समाज के अन्य अन्य वर्गों को भी शामिल किया जाए ताकि इसके पुख्ता परिणाम निकल सकें।

[ स्थानीय संपादकीय: जम्मू-कश्मीर ]