कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या और साथ ही संक्रमण के फैलाव के खतरे को देखते हुए लॉकडाउन को 31 मई तक बढ़ाने के फैसले पर हैरानी नहीं। चूंकि विस्तारित लॉकडाउन में और अधिक छूट दी जा रही है इसलिए सरकारों और उनकी विभिन्न एजेंसियों के साथ-साथ आम लोगों को इसके प्रति सतर्क रहना होगा कि कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने न पाए। इसका खतरा इसलिए है, क्योंकि एक तो लाखों की संख्या में मजदूर अपने गांव लौट रहे हैं और दूसरे तमाम तरह की छूट के चलते लॉकडाउन के चौथे चरण में काम-काज के सिलसिले में अन्य लोगों की भी आवाजाही बढ़ेगी।

आवाजाही को आसान करना समय की मांग है, क्योंकि उसके बगैर आर्थिक-व्यापारिक गतिविधियों को बल मिलने वाला नहीं। इन गतिविधियों को बल देना इसलिए आवश्यक है, क्योंकि उनके अभाव में अर्थव्यवस्था का नुकसान बढ़ने के साथ ही रोजी-रोटी की समस्या गंभीर रूप ले सकती है। यह सर्वथा उचित और स्वागतयोग्य है कि लॉकडाउन के चौथे चरण में कई तरह की कारोबारी गतिविधियों को शुरू करने की अनुमति देने के साथ ही बसों के संचालन को भी हरी झंडी दे दी गई है। हालांकि रेल और हवाई यात्रा के साथ मैट्रो सेवा पर प्रतिबंध जारी रहेगा, लेकिन अंतरराज्यीय स्तर पर बसों के संचालन की अनुमति से एक बड़ी हद तक आवाजाही को बल मिलेगा।

चूंकि बसों का एक से दूसरे राज्य में संचालन संबंधित राज्यों की सहमति से ही हो सकेगा इसलिए राज्य सरकारों को अड़ंगेबाजी वाला रवैया छोड़ना होगा। यह ठीक नहीं होगा कि आवाजाही के मामले में भिन्न-भिन्न राज्य अलग-अलग रवैया अपनाएं। इससे न केवल आवागमन बाधित होगा, बल्कि लोगों के बीच भ्रम भी फैलेगा। इसके नतीजे में कारोबारी गतिविधियों को गति देने में मुश्किल आएगी और यह किसी के भी हित में नहीं होगा। आज की जरूरत यही है कि कारोबारी गतिविधियां तेज हों। इससे न केवल संकट में फंसी अर्थव्यवस्था को सहारा मिलेगा, बल्कि आम आदमी की समस्याओं का भी समाधान होगा।

लॉकडाउन के चौथे चरण में रेड, आरेंज, ग्रीन जोन का निर्धारण करने का अधिकार राज्यों को दिया जा रहा है। यह उनकी मांग भी थी। उन्हेंं अपने इस अधिकार का इस्तेमाल इस तरह करना होगा कि जिससे लगाम संक्रमण पर लगे, न कि आवाजाही और कारोबारी गतिविधियों पर। वास्तव में इससे ही कोरोना के साथ जीवन जीने लायक माहौल बनेगा। इस माहौल के निर्माण में आम लोगों की भी महती भूमिका होगी। उन्हेंं यह ध्यान रखना होगा कि लॉकडाउन के चौथे चरण में तमाम तरह की छूट मिलने के साथ ही एक-दूसरे से शारीरिक दूरी बनाए रखने और सेहत के प्रति सावधानी बरतने की आवश्यकता और बढ़ गई है।