विपरीत परिस्थितियों के बावजूद प्रदेश के किसान मेहनत से खेतों में सोना उपजाते हैं। ऐसे में सरकार दशकों से किसानों को सस्ती बिजली उपलब्ध करवा रही है। फिलहाल प्रति वर्ष किसानों को करीब सात हजार करोड़ रुपये बिजली सब्सिडी के नाम पर राहत दी जा रही है। सरकार की चिंता यह है कि बिजली की दरें व लागत बढ़ती गई लेकिन किसानों से वसूले जाने वाले दाम वर्षों से नहीं बदले। इस कारण सालों से सब्सिडी का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। अब सरकार ने इसका विकल्प ढूंढ निकाला है। इससे सरकार की लागत भी नहीं बढ़ेगी और किसानों को राहत जारी रहेगी।

प्रस्ताव है कि प्रदेश में सभी नलकूप सौर ऊर्जा से चलाए जाएं। निश्चित तौर पर यह बड़ा प्रोजेक्ट है और इस पर लागत भी काफी अधिक आएगी। सरकार पहले से ही सौर ऊर्जा पंप पर सब्सिडी दे रही है। इसका फायदा यह है कि एक बार पंप स्थापित होने के बाद वर्षो तक कोई लागत नहीं आएगी। अर्थात लंबे समय में सरकार का बोझ भी कम होगा। सरकार के साथ-साथ किसान भी मुनाफे में रहेंगे। अगर यह योजना सिरे चढ़ती है तो किसान अतिरिक्त बिजली को बेचकर कमाई भी कर सकेंगे। प्रदेश में छह लाख से अधिक नलकूप हैं। इन प्रोजेक्ट के लिए निवेश का झंझट भी नहीं रहेगा। क्योंकि सौर ऊर्जा से जुड़ी कंपनियां स्वयं निवेश को तत्पर हैं। बस आसान किस्तों में सरकार को इसकी लागत देनी होगी। सरकार थोड़ा अतिरिक्त प्रयास करे तो हमारे खेत बिजली उत्पादन के भी प्रमुख केंद्र बन जाएं। क्योंकि खेतों के किनारों पर सोलर प्लांट लगाने की अपार संभावनाएं हैं। सरकार इन प्रोजेक्ट को मंजूरी प्रदान कर दे तो हमारे खेत बिजली उत्पादन के भी केंद्र बन जाएं। फिर हरियाणा को बिजली का संकट ही नहीं रहेगा।

[ स्थानीय संपादकीय: हरियाणा ]