लखनऊ में एक प्रेमी युगल ने पहले हाथ की नस काटी और फिर एक अपार्टमेंट की पांचवीं मंजिल से कूदकर जान दे दी। युवक 18 साल का था और एनिमेशन मीडिया का कोर्स कर रहा था। युवती बीस साल की थी और बीएससी तृतीय वर्ष में पढ़ाई कर रही थी। दो होनहारों के दुनिया से इस तरह विदा होने से दोनों के परिवारों पर गम का पहाड़ टूट पड़ा है। दोनों ही परिवारों ने अपने बच्चों से बड़ी-बड़ी उम्मीदें पाल रखी होंगी, उनके सपनों को यूं तोड़ कर इस युगल का चले जाना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। भावना में बहकर किये गए उनके एक काम ने दो परिवारों को जीवन भर का दुख दे दिया। माना जाता है कि युवा उम्र के इस पड़ाव पर आकर मानसिक रूप से परिपक्व हो जाते हैं। वैसे भी वोट देने का अधिकार इस उम्र में आकर मिल जाता है। वैसे अब यह धारणा बन चुकी है कि आज का युवा ज्यादा परिपक्व, जुझारू, दूरदर्शी, ज्यादा व्यावहारिक, अपने कॅरियर के प्रति सजग हो चुका है, लेकिन बीच-बीच में ऐसी घटनाएं समाज को बहुत कुछ सोचने के लिए बाध्य कर देती हैं।

यह कि एक तरफ युवा पढ़ाई पूरी कर कॅरियर के बारे में सोचते हैं। शादी उनकी निचली प्राथमिकता में होती है। वहीं इस युगल के लिए अपना नादान प्यार ही सबकुछ था, जिसके लिए दुनिया छोड़ दी। बच्चों की किसी भी समस्या को बहुत ही संवेदनशील तरीके से सुलझाने की आवश्यकता होती है। इस मामले में जरा सी भी चूक घातक हो सकती है। सबसे बड़ी बात है कि दोनों पक्षों में संवाद होते रहना चाहिए। जाहिर है पहल अभिभावकों को करनी होगी। उन्हें अपने बच्चों को समझाना होगा कि वे शेयर करना सीखें। मन की बात कहना सीखें। बच्चे कुछ कहना चाहें तो घर के बड़ों को तैश में नहीं आ जाना चाहिए। जब बड़े बच्चों पर भरोसा करेंगे तो बच्चे भी कुछ कहने की हिम्मत जुटा सकेंगे। तकनीक के इस युग में संवाद और भी आवश्यक हो गया है। इस मामले में काउंसिलिंग की आवश्यकता को भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।

[ स्थानीय संपादकीय: उत्तर प्रदेश ]