शहरों में पर्यावरण अनुकूल विकास को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय आवासन एवं शहरी कार्य मंत्री हरदीप पुरी ने सिटीज 2.0 चैलेंज नामक अभियान की शुरुआत करते हुए यह जो अपेक्षा व्यक्त की कि यह कार्यक्रम शहरों को कचरा प्रबंधन की नई राह दिखाने का काम करेगा, वह तब पूरी होगी, जब राज्य सरकारें और उनके नगर निकाय अपने हिस्से के दायित्वों का निर्वहन गंभीरता के साथ करेंगे।

इस कार्यक्रम के तहत स्मार्ट सिटी मिशन के 18 शहरों में पर्यावरण के अनुकूल विकास कार्यक्रम चलाए जाएंगे। इस पहल से केंद्र सरकार के गोबरधन मिशन को भी संबद्ध किया जाएगा, जो जैविक कचरे से बायोफ्यूल बनाने पर आधारित है। हरदीप पुरी ने स्मार्ट सिटी मिशन में शामिल सभी शहरों से इस कार्यक्रम के लिए आवेदन करने की अपील करते हुए यह भी कहा कि शहरी कार्य मंत्रालय उनकी पूरी मदद करेगा। इसे देखते हुए स्मार्ट सिटी वाले शहरों को इस कार्यक्रम का हिस्सा बनने के लिए तत्परता दिखानी चाहिए, क्योंकि वे समस्याओं से घिरते चले जा रहे हैं।

हमारे शहरों की एक बड़ी समस्या कचरा निस्तारण की है। इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि हमारे अधिकतर नगर कचरे का सही तरह निस्तारण करने में नाकाम हैं। इस नाकामी से देश की राजधानी दिल्ली भी दो-चार है और इसका प्रमाण कचरे के बड़े होते पहाड़ हैं। जैसे दिल्ली कचरे का निस्तारण नहीं कर पा रही है, वैसे ही मुंबई, चेन्नई, कोलकाता आदि भी। जब देश के प्रमुख महानगरों का यह हाल है, तब फिर इसकी कल्पना सहज ही की जा सकती है कि अन्य महानगरों और नगरों की क्या स्थिति होगी?

यह सही है कि स्वच्छ भारत अभियान शुरू होने के बाद हर घर से कचरे को एकत्र करने का काम करीब-करीब सभी छोटे-बड़े शहर करने लगे हैं, लेकिन वे उसका सही तरीके से निस्तारण नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे शहरों की गिनती करना कठिन है, जहां सूखे और गीले कचरे को अलग-अलग करके निस्तारित करने की कोई व्यवस्था नहीं बन सकी है।

यह चिंताजनक है कि जब कचरा प्रबंधन की चुनौती बढ़ती जा रही है, तब कचरे को कम करने की कोई ठोस पहल नहीं हो पा रही है। कायदे से प्रत्येक शहर में फल-सब्जियों, खाद्यान्न आदि के अवशेष से पशुओं के लिए चारा और खाद बनाने का काम अनिवार्य रूप से होना चाहिए, लेकिन यदि अभी ऐसा नहीं हो पा रहा है तो नगर निकायों की सुस्ती के कारण।

केंद्र सरकार को राज्य सरकारों पर इसके लिए दबाव बनाना चाहिए कि उनके नगर निकाय कचरे का निस्तारण करने का काम प्राथमिकता के आधार पर करें। चूंकि समय के साथ औसत घरों से कहीं अधिक कचरा निकल रहा है, इसलिए इस पर भी ध्यान देना होगा और यूज एंड थ्रो वाले उत्पादों का उपयोग कम से कम हो। वास्तव में आम जनता को यह समझना होगा कि आधुनिक जीवनशैली कहीं अधिक कचरा पैदा कर रही है।