जम्मू में बढ़ती आतंकी घटनाओं को देखते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने एक उच्चस्तरीय बैठक में वहां के हालात की समीक्षा करते हुए आतंक को कुचलने के जो निर्देश दिए, उन पर इस तरह कार्रवाई होनी चाहिए कि आतंकियों को सिर उठाने और छिपाने का मौका न मिले। इस बैठक में गृह मंत्री ने जिस तरह यह कहा कि जैसे कश्मीर घाटी में आतंकवाद पर नियंत्रण पाया गया है, वैसे ही जम्मू संभाग में भी पाया जाए, उससे यही स्पष्ट होता है कि जम्मू की स्थिति कहीं अधिक चिंताजनक है।

यह हाल की घटनाओं से स्पष्ट भी होता है। जम्मू संभाग के रियासी क्षेत्र में श्रद्धालुओं की एक बस को आतंकियों ने ठीक उस दिन निशाना बनाया जिस दिन प्रधानमंत्री मोदी अपने सहयोगियों के साथ शपथ ले रहे थे। यह आतंकी हमला एक तरह से तीसरी बार सत्ता संभालने वाली मोदी सरकार को दी जाने वाली सीधी चुनौती ही था। इस हमले के बाद आतंकियों ने जिस प्रकार एक के बाद एक डोडा, कठुआ आदि इलाकों में ताबड़तोड़ हमले किए, उससे उनके दुस्साहस का ही पता चलता है।

एक लंबे समय से यह प्रकट हो रहा है कि आतंकियों ने कश्मीर के बजाय जम्मू को अपने निशाने पर ले लिया है। जम्मू संभाग के वे इलाके आतंकियों के गढ़ बन गए हैं जिनकी सीमा पाकिस्तान से लगती है। इन इलाकों में आतंकियों की बढ़ी हुई गतिविधियों से यह भी स्पष्ट होता है कि पाकिस्तान नए सिरे से जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को फैलाने में जुट गया है। इसकी पुष्टि पिछले दिनों कठुआ में मारे गए दो पाकिस्तानी आतंकियों से भी होती है। उनके पास से बरामद हथियार और सामग्री से यह स्पष्ट हुआ कि वे पाकिस्तान से घुसपैठ कर जम्मू में आए थे।

अच्छा होता कि इन आतंकियों के नाम-पते और उनके पास से बरामद पाकिस्तानी सामग्री को देखते हुए भारत सरकार पाकिस्तान से जवाब तलब करती और प्रमाणों के साथ उसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी बेनकाब करती। निःसंदेह आवश्यक केवल यह नहीं है कि जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकियों की कमर तोड़ी जाए, बल्कि यह भी है कि पाकिस्तान को नए सिरे से यह बताया जाए कि उसे भारतीय भूभाग में आतंक फैलाने की कीमत चुकानी पड़ेगी। यदि पाकिस्तान को सबक नहीं सिखाया जाता तो यह लगभग तय है कि वह अपनी भारत विरोधी गतिविधियों से बाज आने वाला नहीं है।

जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान पोषित आतंकवाद को कुचलने के लिए कोई कसर इसलिए शेष नहीं रखी जानी चाहिए, क्योंकि इस केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव कराने का समय करीब आ रहा है। यह उल्लेखनीय है कि गृह मंत्री ने आतंकवाद के खिलाफ पुराने तौर-तरीकों के बजाय नए उपाय करने की आवश्यकता रेखांकित की। जम्मू-कश्मीर में आतंकी जैसे दुस्साहस का परिचय दे रहे हैं, उससे निपटने के लिए नए और कारगर उपाय किए जाने जरूरी हैं।