सड़क सुरक्षा के प्रति लापरवाही किस तरह जानलेवा सिद्ध हो रही है, इसका ताजा उदाहरण है किश्तवाड़ से जम्मू जा रही बस के गहरी खाई में गिरने से 35 से अधिक यात्रियों की मौत। चूंकि इस हादसे में बड़ी संख्या में लोग मारे गए, इसलिए प्रधानमंत्री ने भी संवेदना व्यक्त की और पीएम राहत कोष से मृतकों के स्वजनों को दो लाख और घायलों को 50 हजार रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की।

इस भीषण हादसे से बचा जा सकता था, यदि दुर्घटनाग्रस्त बस का ड्राइवर उसे सावधानी से चला रहा होता। वह ऐसा करने के बजाय दो अन्य बसों को ओवरटेक कर उनसे आगे निकलने की कोशिश कर रहा था। इसी होड़ के चलते ड्राइवर ने नियंत्रण खो दिया और सुरक्षा के लिए लगाए गए क्रैश बैरियर को तोड़ते हुए बस तीन सौ फीट गहरी खाई में जा गिरी। यह दर्दनाक हादसा यदि कुछ बता रहा है तो यही कि वाहन चालक यातायात संबंधी नियमों का पालन करने के प्रति सचेत नहीं।

यह किसी से छिपा नहीं कि वाहन चालकों की असावधानी और विशेष रूप से तेज गति से वाहन चलाने की उनकी आदत सड़क हादसों का प्रमुख कारण है। ऐसे हादसे आए दिन होते रहते हैं, लेकिन जिन पर इसकी निगरानी करने का दायित्व है कि यातायात नियमों का उल्लंघन न होने पाए, वे अपना काम सही तरह नहीं करते और इसी कारण सड़क दुर्घटनाओं में मरने एवं घायल होने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है।

अपने देश में यातायात नियमों का किस तरह बड़े पैमाने पर खुलेआम उल्लंघन होता है, इसका एक उदाहरण दो दिन पहले दिल्ली-देहरादून हाईवे पर भी मिला। इस हाईवे पर ओवरटेकिंग लेन में खड़े ट्रक से तेज रफ्तार से जा रही एक कार जा टकराई। इस हादसे में कार सवार छह युवकों की जान चली गई। ट्रक से कार की टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि एयरबैग खुलने के बाद भी किसी की जान बच नहीं सकी।

यह भयावह हादसा दो कारणों से हुआ। एक तो ट्रक गलत लेन में खड़ा था और दूसरे, कार की गति बहुत अधिक थी। ऐसे कारणों के चलते हाईवे, एक्सप्रेसवे और राजमार्गों पर हादसे बढ़ते ही जा रहे हैं। इन हादसों में बड़ी संख्या में लोग जान गंवा रहे हैं, लेकिन संबंधित सरकारी एजेंसियां सड़क सुरक्षा के पर्याप्त कदम नहीं उठा रही हैं।

चिंता की बात यह भी है कि औसत वाहन चालक भी सावधानी का परिचय नहीं दे रहे हैं। शायद ही कोई ऐसा दिन होता हो, जब किसी हाईवे या एक्सप्रेसवे में ओवर स्पीडिंग के चलते जानलेवा दुर्घटना न होती हो। यदि सड़कें अच्छी हैं तो इसका यह अर्थ नहीं कि तय सीमा से अधिक गति से वाहन चलाए जाएं। दुर्भाग्य से तमाम वाहन चालक यह समझने को तैयार नहीं। वे तेज रफ्तार से वाहन चलाकर अपने साथ दूसरों की जान भी जोखिम में डालने का काम कर रहे हैं।