संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार परिषद में भारत ने कनाडा को जो खरी-खोटी सुनाई, वह इसलिए आवश्यक थी, क्योंकि वहां की जस्टिन ट्रूडो सरकार अपने भारत विरोधी रवैये से बाज नहीं आ रही है। वह अभिव्यक्ति की आजादी की आड़ में जिस तरह खालिस्तानी अतिवादियों को संरक्षण दे रही है, उसकी मिसाल यदि कहीं और मिलती है तो वह पाकिस्तान में। कनाडा अपने भारत विरोधी रवैये के कारण पाकिस्तान सरीखा बनता जा रहा है। कनाडा की धरती पर हर किस्म के खालिस्तानी चरमपंथी ही नहीं पल रहे हैं, बल्कि वहां भारत से भागे गैंगस्टर और नशे के तस्कर भी शरण पा रहे हैं।

कनाडा में फल-फूल रहे खालिस्तानी चरमपंथियों का दुस्साहस बढ़ता ही चला जा रहा है। वे न केवल भारतीय राजनयिकों को धमका रहे हैं, बल्कि हिंदू मंदिरों को भी निशाना बना रहे हैं। यह खालिस्तानी चरमपंथियों के बढ़ते दुस्साहस का ही प्रमाण है कि उनकी ओर से दीवाली पर आयोजित समारोहों में खलल डालने की भी कोशिश की गई। कनाडा में संरक्षित खालिस्तानी खुले आम भारतीय ध्वज का अपमान तो करते ही हैं, भारत को तोड़ने की धमकियां भी देते हैं। पिछले दिनों प्रतिबंधित आतंकी संगठन सिख फार जस्टिस के सरगना गुरपतवंत सिंह पन्नू ने एक वीडियो जारी कर धमकी दी कि सिखों को 19 नवंबर को एअर इंडिया की फ्लाइट में यात्रा नहीं करनी चाहिए, क्योंकि उनकी जान को खतरा हो सकता है।

कनाडा सरकार को गुरपतवंत सिंह पन्नू की धमकी को इसलिए गंभीरता से लेना चाहिए, क्योंकि 38 साल पहले खालिस्तानी आतंकियों ने ही एअर इंडिया के एक विमान में बम विस्फोट कर उसे आसमान में ध्वस्त कर दिया था। इस आतंकी घटना में तीन सौ से अधिक लोग मारे गए थे। कनाडा सरकार ने इस आतंकी कृत्य की साजिश रचने वाले आतंकियों को दंडित करने में दिलचस्पी नहीं ली और इसी कारण केवल एक साजिशकर्ता को चंद वर्षों की सजा हुई। उसे भी समय से पहले रिहा कर दिया गया। इससे संतुष्ट नहीं हुआ जा सकता कि पन्नू की धमकी पर कनाडा के परिवहन मंत्री ने यह कहा कि हम हर खतरे को गंभीरता से लेते हैं, क्योंकि यह किसी से छिपा नहीं कि कनाडा सरकार भारत में वांछित आतंकियों का प्रत्यर्पण करने से इन्कार कर रही है।

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो बार-बार यह राग तो अलाप रहे हैं कि भारत को खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की जांच में सहयोग करना चाहिए, लेकिन वे इसके कोई साक्ष्य उपलब्ध कराने से इन्कार कर रहे हैं कि उसकी हत्या में किसी भारतीय एजेंट का हाथ है। यह अच्छा है कि भारत इसकी परवाह नहीं कर रहा है कि निज्जर की हत्या के मामले में अमेरिका, ब्रिटेन, न्यूजीलैंड आदि कनाडा की भाषा बोल रहे हैं। यदि ये देश यह चाहते हैं कि भारत और कनाडा के रिश्ते सुधरें तो उन्हें मोदी सरकार के बजाय जस्टिन ट्रूडो सरकार को नसीहत देनी चाहिए।