ब्लर्ब ::: शिक्षा बोर्ड की थोड़ी सी चूक के कारण लाखों बच्चों की उस तैयारी की भरपाई कैसे की जा सकती है जिन्हें ऐन मौके पर पता चला कि पेपर रद हो गया

विद्यार्थी साल भर वार्षिक परीक्षा के लिए तैयारी करते हैं, ताकि अच्छे नंबर लेकर उत्तीर्ण होकर अगली कक्षा में प्रवेश कर सकें...सफल हो सकें। सफलता के लिए यही नियम हर व्यक्ति के जीवन से भी जुड़ा है, लगातार मेहनत के बाद ही सफलता हासिल होती है। प्रदेश में स्कूल स्तर की परीक्षा संचालित करने का भार हिमाचल स्कूल शिक्षा बोर्ड के कंधों पर है, शिक्षा बोर्ड भी साल भर बच्चों की परीक्षा और अन्य प्रमाणपत्र की गतिविधियों में जुटा रहता है, लेकिन कई बार अपनी ही वार्षिक परीक्षा में बोर्ड फेल हो जाता है। इसके ताजा दो उदाहरण तो मिल गए। पहला किन्नौर जिले के सीनियर सेकेंडरी स्कूल निचार से जमा दो के प्रश्न पत्र चोरी होने से और दूसरा भरमौर में गलत प्रश्नपत्र बांटने से। मामला ताजा है इसलिए लोगों के जहन में भी है। परंतु प्रश्नपत्र फोटोस्टेट करके बांटने के मामले को तो लोग भूल गए होंगे। खैर शिक्षा बोर्ड की थोड़ी सी चूक के कारण लाखों बच्चों की उस तैयारी की भरपाई कैसे की जा सकती है जिन्हें ऐन मौके पर पता चला कि पेपर रद हो गया। शिक्षा बोर्ड की अपनी परीक्षा के लिए इस तरह की लापरवाही सही नहीं है, यह उस दौर की बात हो रही है जब अन्य किसी भी संस्था के लिए पेपर करवाने के लिए बोर्ड तैयार रहता है। कभी शिक्षकों की पात्रता परीक्षा तो कभी किसी बैंक में नौकरी के लिए परीक्षा आयोजित करता है। शिक्षा बोर्ड की लापरवाही सिर्फ वार्षिक परीक्षा में ही सामने नहीं आई है बल्कि स्कूलों में परीक्षा के दौरान नकल के मामलों के सही आंकड़े भी उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं। जबकि प्रदेश के कई परीक्षा केंद्रों में तीसरी आंख का पहरा है। जहां पहरा नहीं है, वहां के बारे में जानकारी देने पर भी मौखिक आश्वासन ही मिलते हैं। तीसरी आंख के बाद भी नकल के आंकड़ों की जानकारी न होना कहीं न कहीं प्रबंधन में खोट है। किन्नौर जिला के सीनियर सेकेंडरी स्कूल निचार में प्रश्नपत्र चोरी होने के मामले में प्रधानाचार्य सहित चार कर्मचारियों पर गाज गिरी है, लेकिन सवाल फिर वहीं हैं कि हाईटेक युग में भी शिक्षा बोर्ड अपने आपको अपडेट नहीं कर पाया है? बच्चों के भविष्य से जुड़े अहम जिम्मेदारी को निभाने के लिए जरूरी है स्कूलों में प्रश्नपत्र पहुंचाने से लेकर उनकी सुरक्षा के बेहतर व्यवस्था की जानी चाहिए। परीक्षा प्रणाली को इतना मजबूत करना होगा कि व्यवस्था में कोई खामी न रहे, यही शिक्षा और विद्यार्थियों के हित में है। आशा है बोर्ड जागेगा।

[ स्थानीय संपादकीय : हिमाचल प्रदेश ]