बाहरी राज्यों में बैठ कर ऑनलाइन ठगी को अंजाम दे रहे अंतरराज्यीय गिरोह द्वारा जम्मू के पौनीचक्क इलाके के व्यक्ति के बैंक खाते से हजारों रुपये निकाल लिए जाने की घटना लोगों में जागरूकता के अभाव को दर्शाती है। विडंबना यह कि ये ठग लोगों को सुनियोजित ढंग से शिकार बना कर उनकी मेहनत की कमाई को लूट लेते हैं। क्राइम ब्रांच ने अंतरराज्यीय गिरोह के सात लोगों को ठगी के आरोप में गिरफ्तार किया है। इससे कई खुलासे भी हुए हैं कि किस प्रकार से ये ठग लोगों को पूरे हाईटेक तरीके से अपना शिकार बनाते हैं। इतना ही नहीं, इन ठगों ने बकायदा तौर पर अपने कॉल सेंटर बना रखे हैं जहां पर ये लोगों के पूरे रिकॉर्ड लेकर उनसे फोन पर बैंक खातों के नंबर व अन्य जानकारियां जुटा लेते हैं। यह सब इतना सुनियोजित होता है कि अकसर जागरूकता के अभाव में लोग पूरी जानकारी इन ठगों को मुहैया करवा देते हैं। इस सब में एक प्रश्न यह भी उत्पन्न होता है कि ठगों के पास किस प्रकार से लोगों के बैंक रिकॉर्ड, उनके नाम व पते व विभिन्न पॉलिसियों की जानकारी मिल जाती है। क्या इसमें कुछ बैंकों के कर्मचारी भी संलिप्त हैं या फिर अन्य तरीकों से ये ठग मोबाइल नंबर व अन्य जानकारियां जुटा लेते हैं। इस पर भी विस्तार से जांच करने की जरूरत है। विडंबना यह है कि ऑनलाइन ठगी के बढ़ते मामलों के बावजूद आज तक लोगों को जागरूक करने के लिए पुलिस या फिर अन्य संबंधित एजेंसियों ने कोई भी जागरूकता अभियान नहीं चलाए। आज भी जम्मू-कश्मीर की सत्रह फीसद से अधिक जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है जहां पर उन्हें इस प्रकार के अपराध के बारे में बहुत कम जानकारी है। आंकड़े बताते हैं कि ठगी के ये मामले ऐसे क्षेत्रों में ही अधिक दर्ज होते हैं। भविष्य में इस प्रकार की घटनाएं घटित न हो, इसके लिए पुलिस के अलावा प्रशासन को भी सख्त कदम उठाने के स्थान पर जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है। यही नहीं पकड़े गए गिरोह से गहन पूछताछ कर इनके पूरे नेटवर्क को ध्वस्त करना चाहिए ताकि लोगों को ठगने के बारे में कोई सोच भी न सके। लोगों को भी अनजान व्यक्तियों को अपने बैंक खातों के बारे में जानकारी नहीं देनी चाहिए। इसके साथ ही एटीएम या फिर अन्य जगहों पर कार्ड के प्रयोग के दौरान बेहद सावधानी बरतने की जरूरत है। पिन अंकित करते समय विशेष ध्यान रखना चाहिए।

[ स्थानीय संपादकीय : जम्मू-कश्मीर ]